कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों के शामिल होने से साफ इनकार करते रहे पाकिस्तान का सच आखिरकार दुनिया के सामने आ ही गया। पाकिस्तान की काली करतूत की असलियत का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि उसके ही एक पूर्व अधिकारी ने किया है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एनालिसिस विंग के तत्कालीन प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शाहिद अजीज का कहना है कि 1999 में हुई कारगिल जंग में मुजाहिदीन ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने हिस्सा लिया था। साथ ही उन्होंने तत्कालीन पाक सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का भी आरोप लगाया।
अजीज ने समाचार पत्र ‘द नेशन डेली’ में छपे अपने लेख में कहा है कि कारगिल युद्ध में कोई मुजाहिदीन शामिल नहीं था। केवल वायरलेस पर झूठे संदेश भेजे गए थे लेकिन इससे किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सका। हमारे सैनिकों को गोला बारूद और हथियारों के साथ बंकरों में बैठाया गया था। अजीज 2005 में सेना से रिटायर हुए। उन्होंने लिखा कि कारगिल की पूरी सच्चाई का बाहर आना अभी बाकी है। मुशर्रफ ने कारगिल की हकीकत को छिपाकर रखा।
पाक सेना के पूर्व अधिकारी ने लिखा है कि पाक सेना ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिस्थितियों को नजरअंदाज कर गलत अनुमानों और कम तैयारियों के साथ कारगिल जंग की योजना बनाई थी, जिसकी वजह से ये विफल हो गई। शायद इसी वजह से इसे इतना गोपनीय रखा गया था। पाकिस्तान का मकसद सियाचिन के लिए सप्लाई लाइन पर कब्जा कर भारतीय सैनिकों को वहां से खदेड़ना था।
पाकिस्तानी सेना को भारत से इतने आक्रामक अंदाज में जवाबी कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं थी। कारगिल जंग के वक्त अजीज आईएसआई के एनालिसिस विंग के प्रमुख थे और इसलिए उन्हें जंग के बारे में पूरी जानकारी थी। अजीज का कहना है कि सैनिकों को पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने समझाया था कि भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन भारत की ओर से आक्रामक थल और वायु सेना के हमलों की वजह से पाक सैनिकों को पीछे हटना पड़ा।
इस साल की शुरुआत में 8 जनवरी को पाकिस्तानी सैनिकों ने एलओसी पर घुसपैठ कर दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी। इनमें से एक का सिर काटकर ले गए। इसके अलावा एलओसी पर पाक सेना द्वारा बारूदी सुरंग बिछाने की साजिश का भी पर्दाफाश किया गया लेकिन पाकिस्तान इन दोनों ही करतूतों में अपना हाथ होने से इनकार करता रहा है।
कारगिल जंग मई और जुलाई 1999 के बीच हुई थी। इसमें करीब 30 हजार भारतीय सैनिक शामिल हुए थे, जबकि पाकिस्तान की ओर से पांच हजार घुसपैठिए (सैनिक) शामिल थे। भारत ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ अभियान चलाया था।
कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों के शामिल होने से साफ इनकार करते रहे पाकिस्तान का सच आखिरकार दुनिया के सामने आ ही गया। पाकिस्तान की काली करतूत की असलियत का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि उसके ही एक पूर्व अधिकारी ने किया है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की एनालिसिस विंग के तत्कालीन प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शाहिद अजीज का कहना है कि 1999 में हुई कारगिल जंग में मुजाहिदीन ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने हिस्सा लिया था। साथ ही उन्होंने तत्कालीन पाक सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का भी आरोप लगाया।
अजीज ने समाचार पत्र ‘द नेशन डेली’ में छपे अपने लेख में कहा है कि कारगिल युद्ध में कोई मुजाहिदीन शामिल नहीं था। केवल वायरलेस पर झूठे संदेश भेजे गए थे लेकिन इससे किसी को बेवकूफ नहीं बनाया जा सका। हमारे सैनिकों को गोला बारूद और हथियारों के साथ बंकरों में बैठाया गया था। अजीज 2005 में सेना से रिटायर हुए। उन्होंने लिखा कि कारगिल की पूरी सच्चाई का बाहर आना अभी बाकी है। मुशर्रफ ने कारगिल की हकीकत को छिपाकर रखा।
पाक सेना के पूर्व अधिकारी ने लिखा है कि पाक सेना ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिस्थितियों को नजरअंदाज कर गलत अनुमानों और कम तैयारियों के साथ कारगिल जंग की योजना बनाई थी, जिसकी वजह से ये विफल हो गई। शायद इसी वजह से इसे इतना गोपनीय रखा गया था। पाकिस्तान का मकसद सियाचिन के लिए सप्लाई लाइन पर कब्जा कर भारतीय सैनिकों को वहां से खदेड़ना था।
पाकिस्तानी सेना को भारत से इतने आक्रामक अंदाज में जवाबी कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं थी। कारगिल जंग के वक्त अजीज आईएसआई के एनालिसिस विंग के प्रमुख थे और इसलिए उन्हें जंग के बारे में पूरी जानकारी थी। अजीज का कहना है कि सैनिकों को पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ कमांडरों ने समझाया था कि भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई नहीं की जाएगी लेकिन भारत की ओर से आक्रामक थल और वायु सेना के हमलों की वजह से पाक सैनिकों को पीछे हटना पड़ा।
इस साल की शुरुआत में 8 जनवरी को पाकिस्तानी सैनिकों ने एलओसी पर घुसपैठ कर दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी। इनमें से एक का सिर काटकर ले गए। इसके अलावा एलओसी पर पाक सेना द्वारा बारूदी सुरंग बिछाने की साजिश का भी पर्दाफाश किया गया लेकिन पाकिस्तान इन दोनों ही करतूतों में अपना हाथ होने से इनकार करता रहा है।
कारगिल जंग मई और जुलाई 1999 के बीच हुई थी। इसमें करीब 30 हजार भारतीय सैनिक शामिल हुए थे, जबकि पाकिस्तान की ओर से पांच हजार घुसपैठिए (सैनिक) शामिल थे। भारत ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ‘ऑपरेशन विजय’ अभियान चलाया था।