देश की प्रमुख इस्लामी संस्था बरेली मरकज ने टेस्ट ट्यूब बेबी और सरोगेसी के खिलाफ फतवा जारी किया है। एक युवक द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में संस्था ने कहा है कि कृत्रिम गर्भाधान के जरिए संतान सुख प्राप्त करना और किराए की कोख (सरोगेसी) का सहारा लेना इस्लामी नजरिए से नाजायज है। संस्था ने फतवे में मुसलमानों को कृत्रिम गर्भाधान और किराए की कोख से बचने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि बरेली मरकज बरेलवी मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था है। दारूल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती कफील अहमद की ओर से जारी फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में अप्राकृतिक ढंग से संतान सुख पाने की मनाही है। इंसानी रवायत में जो तरीके हैं, वही सही हैं। टेस्ट ट्यूब बेबी अथवा कृत्रिम गर्भाधान तथा सरोगेट मदर की बात नाजायज है।
बरेली मरकज की ओर से जिस सवाल के जवाब में फतवा आया है, उसमें एक युवक ने पूछा था कि अगर कोई मुस्लिम दंपति किसी कारण से संतान सुख की प्राप्ति नहीं कर पा रहा है और वह बच्चा गोद भी नहीं लेना चाहता तो क्या वह कृत्रिम गर्भाधान का सहारा ले सकता है? सरोगेट मदर का सहारा लेना कितना जायज है?
कृत्रिम गर्भाधान का सहारा अमूमन वे दंपति लेते हैं, जिनमें किसी तरह का शारीरिक विकार होता है। कभी-कभी अकेले रहने वाली महिलाएं भी संतान सुख के लिए किसी डोनर के वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान का सहारा लेती हैं। किराए की कोख का मतलब है कि किसी दंपत्ति का बच्चा अन्य किसी महिला के कोख में पलता है और इसकी एवज में इस महिला को पैसे दिए जाते हैं। कुछ महीने पहले मशहूर अभिनेता आमिर खान और उनकी पत्नी किरण राव भी सरोगेट मदर के जरिए ही माता पिता बने थे।