वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी ने पितृत्व विवाद मामले में डीएनए टेस्ट करवाने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल को टेस्ट करवाने का निर्देश जारी करते हुए यह भी कहा था यदि तिवारी अदालत के आदेश का पालन करने में कोताही बरतते है तो उनका ब्लड लेने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया जा सकता है। दूसरी ओर, तिवारी की दलील है कि उनके साथ इस मामले में जबरदस्ती नहीं की जा सकती। ऐसा किया जाना शीर्षस्थ अदालत के कई फैसलों और संविधान में प्रदत्त अधिकारों का हनन है।
शीर्षस्थ अदालत में तिवारी की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। याद रहे कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एनडी के पुत्र होने का दावा करने वाले रोहित शेखर की याचिका स्वीकार करते हुए अप्रैल में तिवारी को बड़ा झटका दिया था। तिवारी इस मामले में हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ पहले भी शीर्षस्थ अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं जिस पर अदालत ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया था।
एकल पीठ ने पितृत्व विवाद में तिवारी को डीएनए परीक्षण के लिए खून का नमूना देने की छूट प्रदान की थी जबकि डबल बेंच ने एकल पीठ के सितंबर, 2011 के फैसले को खारिज करते हुए साफ किया था कि ऐसे आदेश का फायदा ही क्या जिसे अदालत पालन न करवा सके।
तिवारी का कहना है कि शीर्षस्थ अदालत के तमाम फैसलों में यह कहा गया है कि किसी भी व्यक्तिको मेडिकल जांच के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यह संविधान के तहत मिलने उनके अधिकारों का भी उल्लंघन है।