सोनिया गांधी को आर्थिक मसलों पर सलाह देने के लिए बनीं राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के दो सदस्यों ने मुंबई हमले के गुनाहगार अजमल आमिर कसाब को बचाने की पुरजोर कोशिश की थी। कसाब की फांसी की सजा माफ करने के लिए जिन 203 लोगों ने राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी थी, उनमें (एनएसी) के दो सदस्य भी शामिल थे। आरटीआई से मिली जानकारी के जरिए ये खुलासा किया है जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने।
स्वामी ने बताया है कि एनएसी के मौजूदा सदस्य अरुणा रॉय और पूर्व सदस्य हर्ष मंदर समेत देश भर के 203 पत्रकारों और सोशल ऐक्टिविस्टों ने कसाब की फांसी की सजा माफ करने की राष्ट्रपति से अपील की थी। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया था।
मुंबई हमलों के आरोपी कसाब को बीते साल 21 नवंबर को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी। अंग्रेजी अखबार पॉयोनियर में छपी खबर के मुताबिक सुब्रमण्यम स्वामी की पार्टी के एक सदस्य ने आरटीआई के तहत ये जानकारी मांगी थी। स्वामी ने मीडिया को आरटीआई के तहत मिले लेटर की कॉपी देते हुए कहा, 'जिन लोगों ने एक आतंकी की सजा माफ करने की मांग की, वही लोग एनएसी में बैठकर देश का भविष्य तय कर रहे हैं।'
वहीं, अखबार ने जब इस संबध में हर्ष मंदर से बात की तो उन्होंने एक आर्टिकल भेजा, जिसमें लिखा था, 'बेशक 26/11 मुंबई हमले के मामले में अजमल कसाब का ट्रायल फेयर था, लेकिन मुझे लगता है कि उसे फांसी की सजा लोगों के गुस्से को देखते हुए सुनाई गई थी। मैंने सजा माफी की बात नहीं की थी, सिर्फ फांसी की सजा माफ करने की अर्जी दी थी।'
अरुणा रॉय ने तो इस बारे में अखबार से बात नहीं की लेकिन समाजिक कार्यकर्ता निखिल डे बताया, 'मैं और अरुणा रॉय किसी को भी मौत की सजा के पक्ष में नहीं है। हमारा मानना है कि किसी को भी फांसी की सजा के बजाए लंबे समय तक जेल में रखना चाहिए।'
सोनिया गांधी को आर्थिक मसलों पर सलाह देने के लिए बनीं राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के दो सदस्यों ने मुंबई हमले के गुनाहगार अजमल आमिर कसाब को बचाने की पुरजोर कोशिश की थी। कसाब की फांसी की सजा माफ करने के लिए जिन 203 लोगों ने राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी थी, उनमें (एनएसी) के दो सदस्य भी शामिल थे। आरटीआई से मिली जानकारी के जरिए ये खुलासा किया है जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने।
स्वामी ने बताया है कि एनएसी के मौजूदा सदस्य अरुणा रॉय और पूर्व सदस्य हर्ष मंदर समेत देश भर के 203 पत्रकारों और सोशल ऐक्टिविस्टों ने कसाब की फांसी की सजा माफ करने की राष्ट्रपति से अपील की थी। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया था।
मुंबई हमलों के आरोपी कसाब को बीते साल 21 नवंबर को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी। अंग्रेजी अखबार पॉयोनियर में छपी खबर के मुताबिक सुब्रमण्यम स्वामी की पार्टी के एक सदस्य ने आरटीआई के तहत ये जानकारी मांगी थी। स्वामी ने मीडिया को आरटीआई के तहत मिले लेटर की कॉपी देते हुए कहा, 'जिन लोगों ने एक आतंकी की सजा माफ करने की मांग की, वही लोग एनएसी में बैठकर देश का भविष्य तय कर रहे हैं।'
वहीं, अखबार ने जब इस संबध में हर्ष मंदर से बात की तो उन्होंने एक आर्टिकल भेजा, जिसमें लिखा था, 'बेशक 26/11 मुंबई हमले के मामले में अजमल कसाब का ट्रायल फेयर था, लेकिन मुझे लगता है कि उसे फांसी की सजा लोगों के गुस्से को देखते हुए सुनाई गई थी। मैंने सजा माफी की बात नहीं की थी, सिर्फ फांसी की सजा माफ करने की अर्जी दी थी।'
अरुणा रॉय ने तो इस बारे में अखबार से बात नहीं की लेकिन समाजिक कार्यकर्ता निखिल डे बताया, 'मैं और अरुणा रॉय किसी को भी मौत की सजा के पक्ष में नहीं है। हमारा मानना है कि किसी को भी फांसी की सजा के बजाए लंबे समय तक जेल में रखना चाहिए।'