इंडिया गेट पर उग्र प्रदर्शन के दौरान घायल हुए दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत की गुत्थी उलझ गई है। योगेंद्र नामक प्रत्यक्षदर्शी ने दावा किया है कि कांस्टेबल सुभाष उनके सामने भागते हुए आए थे और गिर पड़े। योगेंद्र ने एक टीवी चैनल को बताया कि तोमर की पिटाई किसी प्रदर्शनकारी ने नहीं की थी।
योगेंद्र का कहना है कि उन्होंने खुद कांस्टेबल की मदद भी की। घटनास्थल पर कोई एंबुलेंस नहीं था इसलिए उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। बाद में पुलिस की मदद से कांस्टेबल को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
वहीं एक और प्रत्यक्षदर्शी पाओलिन ने टीवी चैनल को बताया कि सुभाष चंद तोमर खुद गिरे थे। भीड़ के दौरान सुभाष ने अपना संतुलन खो दिया और गिर पड़े। मेरे अलावा कुछ और लोगों ने उनकी मदद भी की। इस दौरान उन्हें शरीर कोई चोट नहीं लगी। हालांकि दो मिनट बाद ही पुलिस भी वहां पहुंच गई।
हालांकि दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर कांस्टेबल की मौत के लिए कुछ प्रदर्शनकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने पत्रकारों को बताया कि तोमर की मौत गले, छाती और पेट में लगी अंदरूनी चोट की वजह से हुई। इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
कांस्टेबल की मौत पर विवाद को देखते सरकार ने क्राइम ब्रांच से कांस्टेबल की मौत की जांच कराने का फैसला किया है। वहीं गृह मंत्रालय ने सुभाष चंद तोमर के परिवार को 10 लाख रुपये मदद देने का ऐलान किया है।
हृदय की बीमारी का चल रहा था इलाजइधर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर को अचेतावस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर टीएस सिद्धू ने बताया कि सुभाष को गंभीर हालात में भर्ती कराया गया था।
प्राथमिक तौर पर उन्हें सदमे और हृदय संबंधी समस्या थी। जबकि दाएं हाथ और छाती पर मामूली चोट के निशान थे लेकिन घाव गंभीर नहीं थे। इसी वजह से घाव का इलाज भी नहीं किया जा रहा था। हृदय संबंधी बीमारी का ही इलाज किया जा रहा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चलेगा।
निर्दोषों को नहीं फंसाया जाए: केजरीवालआम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गैंगरेप की घटना के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान घायल पुलिस कांस्टेबल सुभाष तोमर की मौत पर दुख जाहिर करते हुए कहा कि इस मामले में किसी निर्दोष को फंसाया नहीं जाना चाहिए।
केजरीवाल ने कहा कि कांस्टेबल की मौत के लिए जो भी जिम्मेदार है उसे सजा मिले। लेकिन जिन आठ युवकों पर इस मामले में आरोप लगाए गए हैं यदि वे निर्दोष हैं और उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है तो पार्टी उनका साथ देगी। पुलिस के पास कोई साक्ष्य नहीं होने के कारण अदालत ने उन आठ युवकों की जमानत मंजूर कर ली।
केजरीवाल ने कहा कि पुलिस का यह दावा गलत है कि आम आदमी पार्टी के सदस्य मनीष सिसोदिया ने उन आठ युवकों की जमानत की मांग की थी।
बागपत के रहने वाले थे तोमरउल्लेखनीय है कि मूल रूप से जिला बागपत बड़ोली गांव निवासी सुभाष चंद तोमर वर्ष 1987 में दिल्ली पुलिस में सिपाही भर्ती हुए थे। गांव में सुभाष के पिता चौल सिंह तोमर, मां पितमो देवी, बड़े भाई हरबीर, रणबीर, नरेश और छोटा भाई रमेश हैं।
सुभाष फिलहाल दिल्ली के गोकुल पुरी स्थित मीत नगर में पत्नी अमरेश के अलावा बेटी ज्योति (24), बेटा दीपक (21) व आदित्य (18) के साथ रह रहे थे। ज्योति बड़ोत से बीएड कर रही है। जबकि दीपक गाजियाबाद के एक कॉलेज से बीबीए कर रहा है। वहीं, छोटा बेटा 12वीं करने के बाद आर्किटेक्ट की तैयारी कर रहा है।
दीपक ने बताया कि रविवार को उन्हें आरएमएल अस्पताल से पिता के घायल होने की सूचना मिली थी। उनका परिवार भी गैंगरेप पीड़िता के साथ है। यहां तक देश में हो रहे गैंगरेप के खिलाफ प्रदर्शन का भी हम समर्थन करते हैं।
दीपक ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान नेताओं के भड़काने के बाद भीड़ गुस्साई और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। दीपक ने आरोपियों की पहचान कर उन्हें कड़ी सजा देने की मांग की। आदित्य ने बताया कि उसके पिता ड्यूटी के बहुत पाबंद थे। ड्यूटी के चलते उन्होंने कभी कोई त्योहार परिवार के साथ नहीं मनाया।