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दिल्ली के चर्चित गैंगरेप की घटना से सबक लेते हुए कानून मंत्रालय पूरे देश में फास्ट ट्रैक अदालतें बनाने पर जोर दे रहा है ताकि ऐसे जघन्य मामलों व मानवीय दृष्टिकोण वाले सिविल मुकदमों पर जल्द फैसला सुनाया जा सके। वह इसमें होने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा देने को तैयार है।
कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने बताया कि उन्होंने ऐसे कोर्ट बनाने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सभी 21 हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा है। इन्हें 2005 से बनना था पर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच खर्च को लेकर विवाद के कारण रुका हुआ था। वे चाहते हैं कि ये अदालतें न केवल बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराधों की सुनवाई करें बल्कि वैवाहिक विवादों, बच्चों की अभिरक्षा व वृद्धों से जुड़े मामलों जैसे मानवीय दृष्टिकोण वाले विवादों की सुनवाई भी करें।
कुमार ने बताया कि एक बहु आयामी रणनीति बना रहे हैं ताकि न्याय न केवल जल्दी मिले बल्कि कम खर्च पर मिलता हुआ दिखाई भी दे। ऐसी अदालतों को बनाने के लिए हम राज्य सरकारों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। सभी मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों ने इसको बहुत सकारात्मक रूप से लेते हुए इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पंजाब, दिल्ली, केरल और महाराष्ट्र में फास्ट ट्रैक अदालतें बनना शुरू हो गया है।
दिल्ली के चर्चित गैंगरेप की घटना से सबक लेते हुए कानून मंत्रालय पूरे देश में फास्ट ट्रैक अदालतें बनाने पर जोर दे रहा है ताकि ऐसे जघन्य मामलों व मानवीय दृष्टिकोण वाले सिविल मुकदमों पर जल्द फैसला सुनाया जा सके। वह इसमें होने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा देने को तैयार है।
कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने बताया कि उन्होंने ऐसे कोर्ट बनाने के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों और सभी 21 हाईकोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा है। इन्हें 2005 से बनना था पर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच खर्च को लेकर विवाद के कारण रुका हुआ था। वे चाहते हैं कि ये अदालतें न केवल बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराधों की सुनवाई करें बल्कि वैवाहिक विवादों, बच्चों की अभिरक्षा व वृद्धों से जुड़े मामलों जैसे मानवीय दृष्टिकोण वाले विवादों की सुनवाई भी करें।
कुमार ने बताया कि एक बहु आयामी रणनीति बना रहे हैं ताकि न्याय न केवल जल्दी मिले बल्कि कम खर्च पर मिलता हुआ दिखाई भी दे। ऐसी अदालतों को बनाने के लिए हम राज्य सरकारों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। सभी मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों ने इसको बहुत सकारात्मक रूप से लेते हुए इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पंजाब, दिल्ली, केरल और महाराष्ट्र में फास्ट ट्रैक अदालतें बनना शुरू हो गया है।