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26/11 हमले के गुनहगार पाकिस्तानी मूल के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को अमेरिकी अदालत से मिली 35 साल की सजा से भारत खुश नहीं है। उसने कहा है कि लश्कर-ए-ताइबा के आतंकी हेडली को मौत की सजा सुनाई जानी चाहिए थी। भारत हेडली के प्रत्यर्पण की मांग भी अमेरिका से करता रहेगा। हालांकि अब इसकी संभावना बहुत ही कम है।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत हेडली के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका पर दबाव बनाता रहेगा। उन्होंने कहा कि यदि हेडली को भारत लाकर उस पर यहां मुकदमा चलाया जाता तो उसे कड़ी सजा मिलती।
वहीं, गृहसचिव आरके सिंह ने कहा कि भारत हेडली समेत मुंबई हमले के सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा चाहता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार के पास भारत की ओर से भेजी गई प्रत्यर्पण की अर्जी अब भी बरकरार है। लिहाजा उम्मीद की जा सकती है कि भारत की अदालत में हेडली पर मुकदमा चला कर उसे फांसी तक पहुंचाया जाए।
वहीं, सरकार भले ही हेडली के प्रत्यर्पण की उम्मीद कर रही हो लेकिन इसकी संभावना बहुत कम मानी जा रही है। अमेरिकी सरकार के साथ वादा माफ गवाह बनने की हेडली की डील में यह शर्त भी थी कि उसे न तो मौत की सजा दी जाएगी और न ही भारत, पाकिस्तान और डेनमार्क को प्रत्यर्पित किया जाएगा।
मालूम हो कि इसी डील के चलते अभियोजन पक्ष ने हेडली के लिए उम्रकैद की मांग भी नहीं कर 30 से 35 साल की सजा की ही मांग की थी। हालांकि उसे 35 साल की सजा सुनाने वाले शिकागो कोर्ट के जज ने भी कहा था कि वह मौत की सजा पाने का ही हकदार है।
अमेरिका ने किया बचाव
अमेरिका ने हेडली के लिए कोर्ट में मौत की सजा नहीं मांगे जाने के अपने फैसले का बचाव भी किया है। दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि हेडली ने अमेरिका, भारत समेत अन्य देशों की जांच एजेंसियों के साथ सहयोग की इच्छा जाहिर की है, ताकि आतंकी हमलों को रोकने में मदद मिल सके। 35 साल की सजा से साफ है कि उसे कड़ा दंड दिया गया। अमेरिकी कानून मंत्रालय ने पहले ही उसके लिए मौत की सजा नहीं मांगने का फैसला किया था।
प्रत्यर्पण की क्या संभावना
वैसे हेडली के भारत प्रत्यर्पण की संभावना बहुत कम है, लेकिन ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब हेडली वादा माफ गवाह बनने की डील की शर्तों का कभी उल्लंघन कर दे। अमेरिकी अभियोजन पक्ष के वकील गैरी एस शापिरो ने कहा कि 52 वर्षीय हेडली यदि अमेरिकी सरकार या किसी अन्य देश की सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार कर इस डील को तोड़ देता है तो यह डील अपने आप ही रद्द मानी जाएगी। तब ही उसके प्रत्यर्पण की संभावना बन सकती है।
हम हेडली को दी गई कम सजा से निराश हैं। यदि उसे भारत लाकर उस पर यहां मुकदमा चलाया जाता तो उसे कड़ी सजा मिलती।--सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री
हेडली केवल मुंबई हमले की साजिश में शामिल नहीं था, बल्कि उसने कई अन्य स्थानों पर भी रेकी की थी। मुंबई हमले के सभी आरोपियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।--आरके सिंह, गृह सचिव
26/11 हमले के गुनहगार पाकिस्तानी मूल के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली को अमेरिकी अदालत से मिली 35 साल की सजा से भारत खुश नहीं है। उसने कहा है कि लश्कर-ए-ताइबा के आतंकी हेडली को मौत की सजा सुनाई जानी चाहिए थी। भारत हेडली के प्रत्यर्पण की मांग भी अमेरिका से करता रहेगा। हालांकि अब इसकी संभावना बहुत ही कम है।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत हेडली के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका पर दबाव बनाता रहेगा। उन्होंने कहा कि यदि हेडली को भारत लाकर उस पर यहां मुकदमा चलाया जाता तो उसे कड़ी सजा मिलती।
वहीं, गृहसचिव आरके सिंह ने कहा कि भारत हेडली समेत मुंबई हमले के सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा चाहता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार के पास भारत की ओर से भेजी गई प्रत्यर्पण की अर्जी अब भी बरकरार है। लिहाजा उम्मीद की जा सकती है कि भारत की अदालत में हेडली पर मुकदमा चला कर उसे फांसी तक पहुंचाया जाए।
वहीं, सरकार भले ही हेडली के प्रत्यर्पण की उम्मीद कर रही हो लेकिन इसकी संभावना बहुत कम मानी जा रही है। अमेरिकी सरकार के साथ वादा माफ गवाह बनने की हेडली की डील में यह शर्त भी थी कि उसे न तो मौत की सजा दी जाएगी और न ही भारत, पाकिस्तान और डेनमार्क को प्रत्यर्पित किया जाएगा।
मालूम हो कि इसी डील के चलते अभियोजन पक्ष ने हेडली के लिए उम्रकैद की मांग भी नहीं कर 30 से 35 साल की सजा की ही मांग की थी। हालांकि उसे 35 साल की सजा सुनाने वाले शिकागो कोर्ट के जज ने भी कहा था कि वह मौत की सजा पाने का ही हकदार है।
अमेरिका ने किया बचाव
अमेरिका ने हेडली के लिए कोर्ट में मौत की सजा नहीं मांगे जाने के अपने फैसले का बचाव भी किया है। दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि हेडली ने अमेरिका, भारत समेत अन्य देशों की जांच एजेंसियों के साथ सहयोग की इच्छा जाहिर की है, ताकि आतंकी हमलों को रोकने में मदद मिल सके। 35 साल की सजा से साफ है कि उसे कड़ा दंड दिया गया। अमेरिकी कानून मंत्रालय ने पहले ही उसके लिए मौत की सजा नहीं मांगने का फैसला किया था।
प्रत्यर्पण की क्या संभावना
वैसे हेडली के भारत प्रत्यर्पण की संभावना बहुत कम है, लेकिन ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब हेडली वादा माफ गवाह बनने की डील की शर्तों का कभी उल्लंघन कर दे। अमेरिकी अभियोजन पक्ष के वकील गैरी एस शापिरो ने कहा कि 52 वर्षीय हेडली यदि अमेरिकी सरकार या किसी अन्य देश की सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार कर इस डील को तोड़ देता है तो यह डील अपने आप ही रद्द मानी जाएगी। तब ही उसके प्रत्यर्पण की संभावना बन सकती है।
हम हेडली को दी गई कम सजा से निराश हैं। यदि उसे भारत लाकर उस पर यहां मुकदमा चलाया जाता तो उसे कड़ी सजा मिलती।
--सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री
हेडली केवल मुंबई हमले की साजिश में शामिल नहीं था, बल्कि उसने कई अन्य स्थानों पर भी रेकी की थी। मुंबई हमले के सभी आरोपियों को मौत की सजा दी जानी चाहिए।
--आरके सिंह, गृह सचिव