पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
आज पूरा देश 64वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। इस मौके पर दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सेना के तीनों अंगों ने शक्ति, शौर्य और वीरता का प्रदर्शन किया, वहीं कई राज्यों और मंत्रालयों की झांकियों ने देश की सांस्कृतिक विविधिता की छटा बिखेरी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने झंडा फहराया, जिसके बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। उसके तुरंत बाद वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने पुष्प वर्षा की। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
राजपथ पर आन, बान और शान का नजारा
गणतंत्र दिवस के परेड में तीनों सेना के जवान शामिल हुए। इस परेड में अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 और विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य का लघु संस्करण मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। अग्नि-5 के आगमन पर पूरा समारोह स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। शक्ति प्रदर्शन के साथ ही सेना के बैंड ने लोगों को अपनी धुनों से मंत्रमुग्ध कर दिया।
परेड में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित अवॉक्स प्रणाली, नौसैनिक सोनार प्रणाली, अर्जुन टैंक, सर्वत्र पुल, पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लांचर सिस्टम का भी प्रदर्शन किया गया। एनसीसी की महिला कैडेट्स ने भी परेड में शामिल होकर बता दिया कि इस देश की बेटियां सरहदों की हिफाजत के लिए हमेशा तत्पर हैं।
सांस्कृतिक विविधता लिए झांकियां
जवानों के परेड के बाद कला, नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक विविधता लिए 19 झांकियां राजपथ पर प्रस्तुत की गईं। सबसे पहली झांकी पश्चिम बंगाल की आई, जिसमें स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी गई। दिल्ली की झांकी में ललित कला का प्रदर्शन हुआ तो झारखंड की झांकी में लोक कला का प्रदर्शन। हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष में भी एक झांकी प्रस्तुत की गई। परेड में स्कूली बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। अंत में वायुसेना के जहाजों ने हवाईपास्ट किया। सुखोई और जगुआर विमानों ने हवा में कलाबाजियां दिखाईं।
शहीदों को श्रद्धांजलि
समारोह शुरू होने से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद वह मुख्य समारोह स्थल पर पहुंचे, जहां रक्षा मंत्री एके एंटनी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने उनका स्वागत किया। गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए सोनिया गांधी, शीला दीक्षित, केंद्रीय मंत्रीमंडल के सदस्य, अन्य देशों के राजदूत और प्रतिनिधियों समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता
गणतंत्र दिवस को देखते हुए दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता की गई है। परेड के दौरान पुलिस, एनएसजी और अर्धसैनिक बलों के 25 हजार से ज्यादा जवान दिल्ली की सड़कों पर तैनात किए गए थे। सीसीटीवी कैमरों की मदद से दिल्ली के चप्पे−चप्पे की निगरानी की जा रही थी। राजपथ से लालकिले तक के परेड के आठ किलोमीटर के रास्ते की बहुमंजिला इमारतों पर स्नाइपर तैनात किए गए थे।
देश के सभी राज्यों में गणतंत्र दिवस पर ध्वाजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
आज पूरा देश 64वें गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। इस मौके पर दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सेना के तीनों अंगों ने शक्ति, शौर्य और वीरता का प्रदर्शन किया, वहीं कई राज्यों और मंत्रालयों की झांकियों ने देश की सांस्कृतिक विविधिता की छटा बिखेरी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने झंडा फहराया, जिसके बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। उसके तुरंत बाद वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने पुष्प वर्षा की। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे।
राजपथ पर आन, बान और शान का नजारा
गणतंत्र दिवस के परेड में तीनों सेना के जवान शामिल हुए। इस परेड में अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 और विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य का लघु संस्करण मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। अग्नि-5 के आगमन पर पूरा समारोह स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। शक्ति प्रदर्शन के साथ ही सेना के बैंड ने लोगों को अपनी धुनों से मंत्रमुग्ध कर दिया।
परेड में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित अवॉक्स प्रणाली, नौसैनिक सोनार प्रणाली, अर्जुन टैंक, सर्वत्र पुल, पिनाक मल्टी बैरल रॉकेट लांचर सिस्टम का भी प्रदर्शन किया गया। एनसीसी की महिला कैडेट्स ने भी परेड में शामिल होकर बता दिया कि इस देश की बेटियां सरहदों की हिफाजत के लिए हमेशा तत्पर हैं।
सांस्कृतिक विविधता लिए झांकियां
जवानों के परेड के बाद कला, नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक विविधता लिए 19 झांकियां राजपथ पर प्रस्तुत की गईं। सबसे पहली झांकी पश्चिम बंगाल की आई, जिसमें स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी गई। दिल्ली की झांकी में ललित कला का प्रदर्शन हुआ तो झारखंड की झांकी में लोक कला का प्रदर्शन। हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष में भी एक झांकी प्रस्तुत की गई। परेड में स्कूली बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। अंत में वायुसेना के जहाजों ने हवाईपास्ट किया। सुखोई और जगुआर विमानों ने हवा में कलाबाजियां दिखाईं।
शहीदों को श्रद्धांजलि
समारोह शुरू होने से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद वह मुख्य समारोह स्थल पर पहुंचे, जहां रक्षा मंत्री एके एंटनी और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने उनका स्वागत किया। गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए सोनिया गांधी, शीला दीक्षित, केंद्रीय मंत्रीमंडल के सदस्य, अन्य देशों के राजदूत और प्रतिनिधियों समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता
गणतंत्र दिवस को देखते हुए दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता की गई है। परेड के दौरान पुलिस, एनएसजी और अर्धसैनिक बलों के 25 हजार से ज्यादा जवान दिल्ली की सड़कों पर तैनात किए गए थे। सीसीटीवी कैमरों की मदद से दिल्ली के चप्पे−चप्पे की निगरानी की जा रही थी। राजपथ से लालकिले तक के परेड के आठ किलोमीटर के रास्ते की बहुमंजिला इमारतों पर स्नाइपर तैनात किए गए थे।
देश के सभी राज्यों में गणतंत्र दिवस पर ध्वाजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।