नोबेल पुरस्कार विजेता और जानेमाने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन खुल कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने कहा है कि एक भारतीय होने के नाते वह मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहेंगे।
बकौल सेन मोदी ने अल्पसंख्यकों में घर कर गई असुरक्षा की भावना को कम करने की पूरी कोशिश नहीं की। सेन ने इस दौरान बिहार के विकास मॉडल को गुजरात के विकास मॉडल से बेहतर करार दिया।
आम चुनाव से ठीक पहले आए सेन के इस विचार को राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासतौर पर जदयू और भाजपा के बीच विकास के गुजरात और बिहार मॉडल पर जम कर बहस हो रही है।
दोनों ही पक्ष अपने-अपने विकास मॉडल को सर्वश्रेष्ठ करार दे रहे हैं। भाजपा ने तो गुजरात मॉडल को आम चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी भी कर ली है।
एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में सेन ने मोदी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते वह कभी नहीं चाहेंगे कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें क्योंकि उन्होंने अल्पसंख्यकों में घर कर गई असुरक्षा की भावना को दूर करने की पूरी कोशिश नहीं की।
सेन के मुताबिक बतौर मुख्यमंत्री मोदी अपने लंबे कार्यकाल में अल्पसंख्यकों में सुरक्षा की भावना पैदा करने की दिशा में बेहतर कार्य कर सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस दौरान सेन ने गुजरात के विकास मॉडल की भी तीखी आलोचना की और विकास के लिए बिहार मॉडल की तारीफ की।
सेन ने कहा कि जब विकास की बात होती है तो आप इसमें सामाजिक बदलावों को अलग करके नहीं देख सकते। सामाजिक बदलाव के बिना विकास बहुत हद तक बेमानी और अस्थाई है।
बिहार के विकास मॉडल में सामाजिक बदलावों को जगह है, जबकि गुजरात के विकास के मॉडल में ऐसा नहीं है। इसलिए वह गुजरात के विकास के मॉडल के पक्ष में नहीं हैं।
अमर्त्य सेन का मोदी पर यह वार जाहिर तौर पर कांग्रेस और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सुकुन देने वाला है।
नोबेल पुरस्कार विजेता और जानेमाने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन खुल कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने कहा है कि एक भारतीय होने के नाते वह मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहेंगे।
बकौल सेन मोदी ने अल्पसंख्यकों में घर कर गई असुरक्षा की भावना को कम करने की पूरी कोशिश नहीं की। सेन ने इस दौरान बिहार के विकास मॉडल को गुजरात के विकास मॉडल से बेहतर करार दिया।
आम चुनाव से ठीक पहले आए सेन के इस विचार को राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासतौर पर जदयू और भाजपा के बीच विकास के गुजरात और बिहार मॉडल पर जम कर बहस हो रही है।
दोनों ही पक्ष अपने-अपने विकास मॉडल को सर्वश्रेष्ठ करार दे रहे हैं। भाजपा ने तो गुजरात मॉडल को आम चुनाव में भुनाने की पूरी तैयारी भी कर ली है।
एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में सेन ने मोदी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते वह कभी नहीं चाहेंगे कि मोदी देश के प्रधानमंत्री बनें क्योंकि उन्होंने अल्पसंख्यकों में घर कर गई असुरक्षा की भावना को दूर करने की पूरी कोशिश नहीं की।
सेन के मुताबिक बतौर मुख्यमंत्री मोदी अपने लंबे कार्यकाल में अल्पसंख्यकों में सुरक्षा की भावना पैदा करने की दिशा में बेहतर कार्य कर सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस दौरान सेन ने गुजरात के विकास मॉडल की भी तीखी आलोचना की और विकास के लिए बिहार मॉडल की तारीफ की।
सेन ने कहा कि जब विकास की बात होती है तो आप इसमें सामाजिक बदलावों को अलग करके नहीं देख सकते। सामाजिक बदलाव के बिना विकास बहुत हद तक बेमानी और अस्थाई है।
बिहार के विकास मॉडल में सामाजिक बदलावों को जगह है, जबकि गुजरात के विकास के मॉडल में ऐसा नहीं है। इसलिए वह गुजरात के विकास के मॉडल के पक्ष में नहीं हैं।
अमर्त्य सेन का मोदी पर यह वार जाहिर तौर पर कांग्रेस और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए सुकुन देने वाला है।