लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव सुधार में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। चुनाव को प्रभावित करने वाले धनबल और बाहुबल पर अंकुश लगाया जाएगा। इसके लिए सरकार तेजी से कदम उठा रही है।
ये बातें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल तमाम मतभेदों के बावजूद चुनाव सुधार के मुद्दे पर तैयार हैं। इस मसले पर व्यापक तैयारी की गई है और जल्द ही बदलाव किए जाएंगे।
कानून मंत्री ने कहा कि सरकार और आयोग ने यह पहल 2010 में शुरू की थी। चुनाव सुधार पर देशभर में जनता से राय ली गई है और इसके लिए विधि आयोग से भी सिफारिशें पेश करने को कहा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धनबल और बाहुबल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है जो सुधार से संभव हो सकेगा।
देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग और सरकार सुधार को जल्द मूर्तरूप देने के प्रयास में हैं। याद रहे कि 2010 में सरकार और आयोग ने सुधार के लिए देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन कर राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ और आम आदमी की राय लेने की घोषणा की थी। इन विचारों के आधार पर एक चुनाव सुधार विधेयक संसद में पेश कर कानून बनाया जाना है।
कानून मंत्री ने कहा कि राजनीतिक दल भी चुनाव सुधार के लिए तैयार हैं। तमाम मतभेदों के बावजूद सभी राजनीतिक दल सुधार चाहते हैं। सरकार और आयोग एकजुट होकर राजनीति में अपराधीकरण रोकने, चुनाव खर्च में कमी और ओपिनियन पोल पर पाबंदी जैसे सुधार के लिए कदम बढ़ा रहे हैं।
चुनाव सुधार: उठ रहे सवाल
1. क्या गंभीर मामलों में जिनके खिलाफ अदालत आरोप तय कर चुकी है, क्या उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए। अभी सिर्फ दोषी ठहराए गए लोगों के ही चुनाव लड़ने पर रोक है।
2. क्या किसी के एक से ज्यादा सीट से चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी जाए।
3. क्या उम्मीदवारों की तरह राजनीतिक पार्टियों के खर्चे की भी सीमा तय की जाए।
4. समय पर खर्च का हिसाब ना देने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
5. चुनाव के वक्त चुनाव आयोग के अधिकारों में और क्या इजाफा हो कि चुनाव में किसी गड़बड़ी का डर ना रहे।
6. क्या ईवीएम में किसी को मत न देने का बटन भी शामिल किया जाए।
लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव सुधार में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। चुनाव को प्रभावित करने वाले धनबल और बाहुबल पर अंकुश लगाया जाएगा। इसके लिए सरकार तेजी से कदम उठा रही है।
ये बातें राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल तमाम मतभेदों के बावजूद चुनाव सुधार के मुद्दे पर तैयार हैं। इस मसले पर व्यापक तैयारी की गई है और जल्द ही बदलाव किए जाएंगे।
कानून मंत्री ने कहा कि सरकार और आयोग ने यह पहल 2010 में शुरू की थी। चुनाव सुधार पर देशभर में जनता से राय ली गई है और इसके लिए विधि आयोग से भी सिफारिशें पेश करने को कहा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धनबल और बाहुबल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है जो सुधार से संभव हो सकेगा।
देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग और सरकार सुधार को जल्द मूर्तरूप देने के प्रयास में हैं। याद रहे कि 2010 में सरकार और आयोग ने सुधार के लिए देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन कर राजनीतिक पार्टियों, एनजीओ और आम आदमी की राय लेने की घोषणा की थी। इन विचारों के आधार पर एक चुनाव सुधार विधेयक संसद में पेश कर कानून बनाया जाना है।
कानून मंत्री ने कहा कि राजनीतिक दल भी चुनाव सुधार के लिए तैयार हैं। तमाम मतभेदों के बावजूद सभी राजनीतिक दल सुधार चाहते हैं। सरकार और आयोग एकजुट होकर राजनीति में अपराधीकरण रोकने, चुनाव खर्च में कमी और ओपिनियन पोल पर पाबंदी जैसे सुधार के लिए कदम बढ़ा रहे हैं।
चुनाव सुधार: उठ रहे सवाल
1. क्या गंभीर मामलों में जिनके खिलाफ अदालत आरोप तय कर चुकी है, क्या उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाए। अभी सिर्फ दोषी ठहराए गए लोगों के ही चुनाव लड़ने पर रोक है।
2. क्या किसी के एक से ज्यादा सीट से चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी जाए।
3. क्या उम्मीदवारों की तरह राजनीतिक पार्टियों के खर्चे की भी सीमा तय की जाए।
4. समय पर खर्च का हिसाब ना देने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
5. चुनाव के वक्त चुनाव आयोग के अधिकारों में और क्या इजाफा हो कि चुनाव में किसी गड़बड़ी का डर ना रहे।
6. क्या ईवीएम में किसी को मत न देने का बटन भी शामिल किया जाए।