आमतौर पर ऐसी धारणा है कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में अधिकतर सीबीएसई बोर्ड के ही स्टूडेंट्स चुने जाते हैं।
लेकिन सच्चाई इससे अलग है। इस बार 80 फीसदी स्टूडेंट्स सीबीआई के अलावा राज्यों के दो अन्य बोर्डों से हैं।
खास बात यह है कि इनमें दो राज्यों के बोर्ड का प्रतिशत सबसे ज्यादा है जहां से सीबीएसई के बाद सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चुने गए हैं। आईआईटी प्रवेश परीक्षा में 12वीं के अंकों को भी महत्व दिए जाने से राज्य बोर्डों के प्रतिशत में यह बदलाव आया है।
पिछले हफ्ते आईआईटी के लिए चुने गए योग्य उम्मीदवारों में सबसे अधिक केवल तीन बोर्ड सीबीएसई, आंध्र प्रदेश और पंजाब बोर्ड से हैं। 9700 में से स्टूडेंट्स में से 8000 इन्हीं बोर्ड से चुने गए हैं।
जेईई एडवांस के चेयरमैन एचसी गुप्ता के मुताबिक इस साल 5500 से ज्यादा स्टूडेंट्स सीबीएसई बोर्ड से, लगभग 1800 आंध्र प्रदेश और 750 पंजाब बोर्ड से हैं। अन्य 30 बोर्ड को इसमें कम ही जगह मिली है।
गुप्ता ने कहा कि अन्य बोर्डों के 100 में से पांच या दस बच्चे ही चुने गए हैं।
आईआईटी का होता रहा है विरोध
किसी विशेष बोर्ड को चयन प्रक्रिया में महत्व देने को लेकर स्टूडेंट्स लंबे समय से आईआईटी की आलोचना करते रहे हैं और आईआईटी पर पक्षपात के आरोप लगे हैं।
इस संबंध में रुड़की के निदेशक प्रदीप्तो बैनर्जी का कहना है कि यह सही है कि हमेशा ही सीबीएसई बोर्ड के अधिक स्टूडेंट्स आईआईटी में आते रहे हैं पर हमारे पास दूसरे बोर्डों के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
आईआईटी निदेशक का कहना है कि हमें टॉप तीन में पंजाब बोर्ड के आने के संबंध में पता नहीं है।
सुधरा है राज्य बोर्ड का प्रतिशत
आईआईटी में सीबीएसई के अलावा भी राज्य बोर्डों के स्टूडेंट्स का प्रतिशत बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार जेईई 2010 में चुने गए उम्मीदवारों में 58% सीबीएसई, 36% राज्य बोर्ड और 6% आईसीएसई थे।
इसी तरह साल 2011 में 13,196 योग्य उम्मीदवारों में से 7396 सीबीएसई (56%), 543(4.1%), आईसीएसई, और 5195(39.4%) राज्य बोर्ड से थे। ऐसे में देखा जाए तो साल 2010 के मुकाबले 2011 जेईई में राज्य बोर्ड के स्टुडेंट्स की संख्या बढ़ी है।
आमतौर पर ऐसी धारणा है कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में अधिकतर सीबीएसई बोर्ड के ही स्टूडेंट्स चुने जाते हैं।
लेकिन सच्चाई इससे अलग है। इस बार 80 फीसदी स्टूडेंट्स सीबीआई के अलावा राज्यों के दो अन्य बोर्डों से हैं।
खास बात यह है कि इनमें दो राज्यों के बोर्ड का प्रतिशत सबसे ज्यादा है जहां से सीबीएसई के बाद सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स चुने गए हैं। आईआईटी प्रवेश परीक्षा में 12वीं के अंकों को भी महत्व दिए जाने से राज्य बोर्डों के प्रतिशत में यह बदलाव आया है।
पिछले हफ्ते आईआईटी के लिए चुने गए योग्य उम्मीदवारों में सबसे अधिक केवल तीन बोर्ड सीबीएसई, आंध्र प्रदेश और पंजाब बोर्ड से हैं। 9700 में से स्टूडेंट्स में से 8000 इन्हीं बोर्ड से चुने गए हैं।
जेईई एडवांस के चेयरमैन एचसी गुप्ता के मुताबिक इस साल 5500 से ज्यादा स्टूडेंट्स सीबीएसई बोर्ड से, लगभग 1800 आंध्र प्रदेश और 750 पंजाब बोर्ड से हैं। अन्य 30 बोर्ड को इसमें कम ही जगह मिली है।
गुप्ता ने कहा कि अन्य बोर्डों के 100 में से पांच या दस बच्चे ही चुने गए हैं।
आईआईटी का होता रहा है विरोध
किसी विशेष बोर्ड को चयन प्रक्रिया में महत्व देने को लेकर स्टूडेंट्स लंबे समय से आईआईटी की आलोचना करते रहे हैं और आईआईटी पर पक्षपात के आरोप लगे हैं।
इस संबंध में रुड़की के निदेशक प्रदीप्तो बैनर्जी का कहना है कि यह सही है कि हमेशा ही सीबीएसई बोर्ड के अधिक स्टूडेंट्स आईआईटी में आते रहे हैं पर हमारे पास दूसरे बोर्डों के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
आईआईटी निदेशक का कहना है कि हमें टॉप तीन में पंजाब बोर्ड के आने के संबंध में पता नहीं है।
सुधरा है राज्य बोर्ड का प्रतिशत
आईआईटी में सीबीएसई के अलावा भी राज्य बोर्डों के स्टूडेंट्स का प्रतिशत बढ़ा है। आंकड़ों के अनुसार जेईई 2010 में चुने गए उम्मीदवारों में 58% सीबीएसई, 36% राज्य बोर्ड और 6% आईसीएसई थे।
इसी तरह साल 2011 में 13,196 योग्य उम्मीदवारों में से 7396 सीबीएसई (56%), 543(4.1%), आईसीएसई, और 5195(39.4%) राज्य बोर्ड से थे। ऐसे में देखा जाए तो साल 2010 के मुकाबले 2011 जेईई में राज्य बोर्ड के स्टुडेंट्स की संख्या बढ़ी है।