मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बृहस्पतिवार को कुंभ मेले का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनका अंदाज कुछ बदला हुआ था। वह किसी बड़े संत से मिलने नहीं गए, कार्यकर्ताओं से दूर-दूर रहे, जहां मन किया गाड़ी रोकी और पटरी के दुकानदार या राह चलते किसी साधु से बात की, समस्या पूछी और उनका हालचाल जाना।
अफसर सिर्फ सीएम के आगे-पीछे घूमते नजर आए और सीएम अफसरों को पूरे मेला क्षेत्र में घुमाते रहे। बाद में बोले, ‘साधु-संतों का आशीर्वाद है। मेला सकुशल संपन्न होगा। वह चाहते हैं कि सभी खुशी-खुशी लौटें और संत अपना आर्शीवाद देकर यहां से जाएं।’ सीएम मेला क्षेत्र में तकरीबन दो घंटे रुके और यह बोलकर निकले कि निरीक्षण करने फिर आएंगे।
सीएम का काफिला ठीक दोपहर दो बजे मेला क्षेत्र पहुंचा। त्रिवेणी रोड पर अखाड़ों के सामने से होता हुआ काफिला त्रिवेणी पांटून पुल पार कर सेक्टर-आठ की तरफ मुड़ गया। समाजवादी चिंतन शिविर के सामने सीएम एक कार्यकर्ता काफिले के सामने आ गया तो काफिला अचानक रुक गया। कार्यकर्ता को सुरक्षा कर्मियों ने हटाया लेकिन सीएम ने उसे अपने पास बुलाकर पूछा कि क्या परेशानी है। थोड़ा आगे बढ़ने पर काफिला फिर रुका और सीएम अपनी गाड़ी से उतरकर पटरी के एक दुकानदार संतराम के पास पहुंचे।
सीएम ने पूछा कि दिन में कितना कमा लेते हो। जवाब मिला, ‘साहब सौ या दो सौ रुपए।’ पास ही खड़े एक साधु से सीएम ने समस्या पूछी तो उन्होंने पानी की दिक्कत बताई। इसके बाद सीएम का काफिला सेक्टर नौ, दस से होते हुए पांटून पुल पार करके वापसी में सेक्टर चार पहुंचा तो सीएम की गाड़ी फिर रुकी और अखिलेश ने वहां खड़े जूना अखाड़े के संत मस्तराम पुरी से बातचीत शुरू कर दी। संवाददाताओं से बातचीत में सीएम ने कहा कि संगम का अपना महत्व है। यहां देश-विदेश से लोग आए हैं।
सभी छोटे-बड़े कारोबारी, संत एक ही जगह इकट्ठा हुए हैं, इसलिए सब कुछ जानना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां खामियां देखी हैं, उन्हें तत्काल दूर किया जाएगा। कहा कि कुछ लोगों से बातचीत हुई है और लोगों ने अपनी समस्या भी बताई है। जल्द ही बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बृहस्पतिवार को कुंभ मेले का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनका अंदाज कुछ बदला हुआ था। वह किसी बड़े संत से मिलने नहीं गए, कार्यकर्ताओं से दूर-दूर रहे, जहां मन किया गाड़ी रोकी और पटरी के दुकानदार या राह चलते किसी साधु से बात की, समस्या पूछी और उनका हालचाल जाना।
अफसर सिर्फ सीएम के आगे-पीछे घूमते नजर आए और सीएम अफसरों को पूरे मेला क्षेत्र में घुमाते रहे। बाद में बोले, ‘साधु-संतों का आशीर्वाद है। मेला सकुशल संपन्न होगा। वह चाहते हैं कि सभी खुशी-खुशी लौटें और संत अपना आर्शीवाद देकर यहां से जाएं।’ सीएम मेला क्षेत्र में तकरीबन दो घंटे रुके और यह बोलकर निकले कि निरीक्षण करने फिर आएंगे।
सीएम का काफिला ठीक दोपहर दो बजे मेला क्षेत्र पहुंचा। त्रिवेणी रोड पर अखाड़ों के सामने से होता हुआ काफिला त्रिवेणी पांटून पुल पार कर सेक्टर-आठ की तरफ मुड़ गया। समाजवादी चिंतन शिविर के सामने सीएम एक कार्यकर्ता काफिले के सामने आ गया तो काफिला अचानक रुक गया। कार्यकर्ता को सुरक्षा कर्मियों ने हटाया लेकिन सीएम ने उसे अपने पास बुलाकर पूछा कि क्या परेशानी है। थोड़ा आगे बढ़ने पर काफिला फिर रुका और सीएम अपनी गाड़ी से उतरकर पटरी के एक दुकानदार संतराम के पास पहुंचे।
सीएम ने पूछा कि दिन में कितना कमा लेते हो। जवाब मिला, ‘साहब सौ या दो सौ रुपए।’ पास ही खड़े एक साधु से सीएम ने समस्या पूछी तो उन्होंने पानी की दिक्कत बताई। इसके बाद सीएम का काफिला सेक्टर नौ, दस से होते हुए पांटून पुल पार करके वापसी में सेक्टर चार पहुंचा तो सीएम की गाड़ी फिर रुकी और अखिलेश ने वहां खड़े जूना अखाड़े के संत मस्तराम पुरी से बातचीत शुरू कर दी। संवाददाताओं से बातचीत में सीएम ने कहा कि संगम का अपना महत्व है। यहां देश-विदेश से लोग आए हैं।
सभी छोटे-बड़े कारोबारी, संत एक ही जगह इकट्ठा हुए हैं, इसलिए सब कुछ जानना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां खामियां देखी हैं, उन्हें तत्काल दूर किया जाएगा। कहा कि कुछ लोगों से बातचीत हुई है और लोगों ने अपनी समस्या भी बताई है। जल्द ही बेहतर सुविधा मुहैया कराई जाएगी।