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High voltage drama in Rajashan Congress, know all latest updates
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राजस्थान कांग्रेस में घमासान: गहलोत खेमा तीन शर्तों पर अड़ा, माकन बोले- ये अनुशासनहीनता, कार्रवाई के संकेत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 26 Sep 2022 01:05 PM IST
सार
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माकन व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में जयपुर पहुंचे थे। रविवार को वे नए सीएम के चयन के लिए कांग्रेस विधायकों की राय जानने के लिए बैठक करने वाले थे, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक नहीं पहुंचे।
राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी घमासान के बीच गहलोत खेमे के इस्तीफों पर कांग्रेस नेतृत्व ने नाराजगी प्रकट की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने कहा है कि विधायकों का विधायक दल की बैठक में नहीं आना अनुशासनहीनता है। इसे लेकर कार्रवाई हो सकती है।
अजय माकन ने कहा, ‘विधायकों का विधायक दल की बैठक में न आना और अलग बैठक करना अनुशासनहीनता है, ये विधायक हमारी एक बात नहीं सुन रहे थे, हम वापस जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट देंगे।
कितने विधायकों का इस्तीफा साफ नहीं
माकन ने कहा कि हम दिल्ली जा रहे हैं। हमें उम्मीद है हम बात करेंगे और हल निकालेंगे। माकन ने कहा कि प्राथमिक दृष्टि से शांति धारीवाल के घर पर हुई मीटिंग एक अनुशासनहीनता है। यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है।
माकन से कहा कि यह साफ नहीं हैं कि कितने विधायकों ने इस्तीफा दिया है। रिजोल्यूशन एक लाइन का होता है। उन्होंने कहा कि कल जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ उसका पूरा ब्योरा सोनिया गांधी को देंगे। हम विधायकों से वन टू वन बातचीत के लिए आए थे, लेकिन हमारी किसी से बात नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री पद पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ।
#RajasthanPoliticalCrisis | Mallikarjun Kharge & I came here as AICC observers to hold a meeting in accordance with CM's convenience at the latter's residence. We were continuously telling the MLAs who didn't come to come & talk one-to-one: AICC observer Ajay Maken pic.twitter.com/j5GxuCExjC
बता दें, माकन व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में जयपुर पहुंचे थे। रविवार को वे नए सीएम के चयन के लिए कांग्रेस विधायकों की राय जानने के लिए बैठक करने वाले थे, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। इस बीच खबर आई कि 92 विधायकों ने इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया है।
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सशर्त प्रस्ताव कांग्रेस के इतिहास में कभी पारित नहीं हुआ
माकन ने बताया कि विधायक दल की बैठक में नहीं आना अनुशासनहीनता है। इसके साथ ही गहलोत खेमे के विधायकों द्वारा रखी गई तीन शर्तों को भी माकन ने इसे ‘हितों का टकराव‘ बताया। कांग्रेस के इतिहास में कभी इस तरह का सशर्त प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के कितने विधायकों ने स्पष्ट किया है, यह अभी पता नहीं है। एक अधिकृत बैठक में नहीं आना और उसके समानांतर रूप से दूसरी बैठक बुलाना निश्चित रूप से अनुशासनहीनता है।
ये शर्तें हितों का टकराव
माकन ने बताया कि कांग्रेस विधायक प्रताप खाचरियावास और एस धारीवाल ने हमसे मुलाकात की और तीन मांगें रखीं। एक मांग यह कि 19 अक्तूबर को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद नया मुख्यमंत्री चुना जाए और प्रस्ताव को इसके बाद ही अमल में लाया जाए। चूंकि गहलोत स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी है, इसलिए यह हितों का टकराव होगा, कल यदि वे अध्यक्ष चुने जाते हैं, तो क्या वे इस पर फैसला करेंगे?
दूसरी शर्त यह थी कि गहलोत खेमा विधायक दल की बैठक में आने के बजाए अलग-अलग समूहों में आना चाहता था। इस पर माकन ने कहा कि हमने स्पष्ट किया कि हम प्रत्येक विधायक से अलग-अलग बात करेंगे, लेकिन बैठक में आने की बजाए अलग अलग गुटों में बात करना स्वीकार्य नहीं है।
तीसरी शर्त यह थी कि नया सीएम उन 102 विधायकों में से चुना जाना चाहिए, जो गहलोत के प्रति वफादार हैं, न कि सचिन पायलट या उनके समूह में से। माकन ने कहा कि ये सारी बातें हम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताएंगे और वह सीएम गहलोत व सभी से चर्चा कर आगे का फैसला करेंगी।
माकन ने यह भी कहा कि कांग्रेस विधायकों ने जोर देकर कहा कि बैठक में पारित होने वाला प्रस्ताव उक्त तीन शर्तों के अनुरूप हो, इस पर हमने कहा था कि कांग्रेस के इतिहास में कभी भी शर्तों के साथ कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है। प्रस्ताव में हितों का टकराव नहीं होना चाहिए।
Third condition was that the CM should be from the 102 MLAs who are loyal to CM Ashok Gehlot, not Sachin Pilot or his group. We said that their exact sentiments will be conveyed to Cong chief, who will take the decision after talking to CM Ashok Gehlot & everyone else: Ajay Maken pic.twitter.com/KNExjUL73R
सचिन पायलट भी अड़े, नहीं जाएंगे दिल्ली
उधर, सचिन पायलट भी खफा बताए जा रहे हैं। गहलोत खेमा किसी सूरत में उन्हें सीएम बनाने के पक्ष में नहीं है। पायलट को कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे भी अड़ गए हैं कि वे दिल्ली नहीं जाएंगे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व उन्हें सीएम बनाकर राज्य में बिगड़ती पार्टी की स्थिति को संभालना चाहता है, लेकिन सीएम गहलोत व उनके समर्थक इसे लेकर तैयार नहीं हैं। गहलोत खेमा चाहता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की दशा में भी राज्य में उनके गुट का नेता ही सीएम हो।
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