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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कैंसर के मरीजों को चिह्नित करने के लिए ग्रामीण इलाके में अभियान चलाए जाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को पहले ही स्टेज पर इलाज मिल सके। एसजीपीजीआई को इसके लिए रणनीति बनानी चाहिए। वह शनिवार शाम एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण इलाके के मरीज जब तक डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तब तक बीमारी अंतिम स्टेज पर पहुंच जाती है। खासतौर से कैंसर के मामले में यही देखने को मिल रहा है। एक तरह जहां ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने की जरूरत है, वहीं चिकित्सा संस्थानों को गांव-गांव कैंप लगाकर मरीजों को चिह्नित करना होगा। एसजीपीजीआई पर पूरे प्रदेश की निगाह लगी हुई है। ऐसे में इस संस्थान की जिम्मेदारी भी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि लिवर प्रत्यारोपण सहित जो भी गतिविधियां बंद हैं, उन्हें शुरू किया जाए। अब प्रौद्योगिकी का दौर है। मरीज इंटरनेट पर डॉक्टर की लिखी दवाओं के बारे में सर्च करता है। डॉक्टर की डायग्नोसिस पर दूसरे डॉक्टरों से मशवरा लेता है। ऐसे में डॉक्टरों को अपने ज्ञान को निरंतर अपडेट रखना होगा। कोरोना काल को देखते हुए अब वैक्सीन पहुंचाने की भी चुनौती है।
उन्होंने एसजीपीजीआई को बधाई देते हुए कहा कि यहां से चिकित्सा शिक्षा ग्रहण करने वाले पूरी दुनिया में हैं। संस्थान को अपने गौरव को बचाने के लिए शोध की प्रवृत्ति को निरंतर बनाए रखना होगा। उन्होंने एसजीपीजीआई में की गई टेलीमेडिसिन के जरिये प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की तारीफ की। कहां की इसका फायदा सुदूर ग्रामीण इलाके में मौजूद अस्पतालों को भी मिलना चाहिए।
एसजीपीजीआई के दीक्षांत में 189 को मिली उपाधि
लखनऊ। एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में शनिवार को 189 मेडिकल छात्र-छात्राओं को राज्यपाल ने उपाधि प्रदान की। वहीं डॉ. गगनदीप कंग को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। गैस्ट्रोएंटेरोेलॉजी विभाग के डीएम और एमडी छात्रों ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कैंसर के मरीजों को चिह्नित करने के लिए ग्रामीण इलाके में अभियान चलाए जाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को पहले ही स्टेज पर इलाज मिल सके। एसजीपीजीआई को इसके लिए रणनीति बनानी चाहिए। वह शनिवार शाम एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण इलाके के मरीज जब तक डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तब तक बीमारी अंतिम स्टेज पर पहुंच जाती है। खासतौर से कैंसर के मामले में यही देखने को मिल रहा है। एक तरह जहां ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने की जरूरत है, वहीं चिकित्सा संस्थानों को गांव-गांव कैंप लगाकर मरीजों को चिह्नित करना होगा। एसजीपीजीआई पर पूरे प्रदेश की निगाह लगी हुई है। ऐसे में इस संस्थान की जिम्मेदारी भी ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि लिवर प्रत्यारोपण सहित जो भी गतिविधियां बंद हैं, उन्हें शुरू किया जाए। अब प्रौद्योगिकी का दौर है। मरीज इंटरनेट पर डॉक्टर की लिखी दवाओं के बारे में सर्च करता है। डॉक्टर की डायग्नोसिस पर दूसरे डॉक्टरों से मशवरा लेता है। ऐसे में डॉक्टरों को अपने ज्ञान को निरंतर अपडेट रखना होगा। कोरोना काल को देखते हुए अब वैक्सीन पहुंचाने की भी चुनौती है।
उन्होंने एसजीपीजीआई को बधाई देते हुए कहा कि यहां से चिकित्सा शिक्षा ग्रहण करने वाले पूरी दुनिया में हैं। संस्थान को अपने गौरव को बचाने के लिए शोध की प्रवृत्ति को निरंतर बनाए रखना होगा। उन्होंने एसजीपीजीआई में की गई टेलीमेडिसिन के जरिये प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की तारीफ की। कहां की इसका फायदा सुदूर ग्रामीण इलाके में मौजूद अस्पतालों को भी मिलना चाहिए।
एसजीपीजीआई के दीक्षांत में 189 को मिली उपाधि
लखनऊ। एसजीपीजीआई के दीक्षांत समारोह में शनिवार को 189 मेडिकल छात्र-छात्राओं को राज्यपाल ने उपाधि प्रदान की। वहीं डॉ. गगनदीप कंग को डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। गैस्ट्रोएंटेरोेलॉजी विभाग के डीएम और एमडी छात्रों ने समारोह में हिस्सा नहीं लिया।