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दंगल और सीक्रेट सुपस्टार जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं बॉलीवुड अभिनेत्री जायरा वसीम ने अभिनय की दुनिया को अलविदा कहने का फैसला लिया है। उनके इस फैसले को किसी ने सराहा है तो किसी ने आपत्ति दर्ज की है। अब इसपर राजनीतिक बयान भी आने शुरू हो गए हैं। शिवसेना और भाजपा ने धर्म को आधार बनाकर अभिनय को छोड़ना दबाव में लिया गया फैसला बताया है। वहीं कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनके फैसले को निजी चयन बताकर समर्थन किया है।
रविवार को जायरा ने सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखकर बॉलीवुड छोड़ने की वजह बताते हुए लिखा- 'पांच साल पहले मैंने एक ऐसा फैसला लिया था जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। बॉलीवुड में पांच साल पूरे होने पर मैं इतना कहना चाहती हूं मैं अपने काम से खुश नहीं हूं। मैं भले यहां फिट हो रही हूं लेकिन मैं यहां की नहीं हूं। मैं अपने ईमान से दूर हो रही हूं। उन्होंने सोशल मीडिया पर छह पन्ने की चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कुरान का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि यह रास्ता उन्हें अल्लाह से दूर कर रहा है।
जिस्म की नुमाइश करना इस्लाम में गलत : सपा नेता
समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने जायरा वसीम के फैसले का समर्थन किया है। वह केवल यहीं पर नहीं रुके उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि नाचने-गाने वाली महिलाएं तवायफ की तरह होती हैं। इस्लाम में जिस्म की नुमाइश करना या कुछ ऐसा करना जिससे यौन आकर्षण होता हो गलत माना जाता है। उनका फैसला बिलकुल सही है।
हिंदू और जैन ने भी धर्म के लिए छोड़ा करियर : मिलिंद देवड़ा
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'कपटी लोग अचानक से जायरा वसीम और नुसरत जहां को लेक्चर देने लगे हैं। मेरे हिंदू और जैन दोस्त हैं जिन्होंने अपने गुरू और आस्था के लिए अपना करियर छोड़ा है। आप चुन सकते हैं कि धर्म आपके करियर या प्यार को निर्धारित करता है या नहीं। नाबालिगों को छोड़कर दूसरों को खुद अपने लिए फैसले लेने दें।' वहीं कांग्रेस नेता और बॉलीवुड में लंबे समय तक सक्रिय रहे राज बब्बर ने कहा कि वह जायरा का नाम नहीं जानते हैं। उनका इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला व्यक्तिगत है।
आप होते कौन हैं जायरा से उसका चयन पूछने वाले : उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'आप आप होते कौन हैं जायरा वसीम से उसका चयन पूछने वाले? यह जिंदगी उसकी है, वह जैसा चाहे जी सकती है। मैं बस उनकी खुशी की कामना करता हूं और आशा करता हूं कि वह उस काम को करें जिसमें उन्हें खुशी मिलती हो।'
फिल्मी दुनिया में काम करना इस्लाम विरुद्ध नहीं : जमीयत-ए-इस्लामी हिंद
जमीयत-ए-इस्लामी हिंद ने कहा है कि कोई भी महिला या पुरुष फिल्मी दुनिया में काम कर सकता है। यह किसी भी तरह इस्लाम विरुद्ध नहीं है। लेकिन इस बात का ख्याल अवश्य रखा जाना चाहिए कि फिल्मी दुनिया में काम करते समय वह अपने चरित्र को बनाये रखे। संगठन के मुताबिक ऐसा करते हुए भी कोई व्यक्ति अपने ‘ईमान’ को बरकरार रख सकता है। लेकिन उसे ध्यान रखना चाहिए कि उसके काम से समाज की भलाई हो और उस फिल्म से समाज की बेहतरी का संदेश जाए।
जामियत-ए-इस्लामी हिंद के सचिव मलिक मोहतसिम खान ने जायरा वसीम के फिल्मी दुनिया छोड़ने पर उठे विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह किसी व्यक्ति का निजी फैसला है। वह अपना जीवन कैसे व्यतीत करना चाहता है, क्या खाना और क्या पहनना चाहता है, इसकी उसे पूरी आजादी है और ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन जहां तक फिल्मी दुनिया में काम करने का सवाल है, फिल्मी दुनिया में काम करना किसी भी तरह इस्लाम के विरुद्ध नहीं है। इस बात का ख्याल अवश्य रखा जाना चाहिए कि ऐसा करते समय उसका चरित्र अच्छा बना रहे।
करियर का फैसला धर्म को आधार बनाकर न करें : प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुईं प्रियंका चतुर्वेदी ने जायरा को लेकर ट्विटर पर कहा, 'अगर यह आपको आकर्षित कर रहा है तो आप अपनी आस्था का पालन कर सकते हैं। मगर अपने करियर का फैसला धर्म को आधार बनाकर न करें। यह आपके धर्म को असहिष्णु बताता है जबकि असल में ऐसा नहीं है। यह उनके धर्म (जायरा) के लिए भी एक बड़ा प्रतिगामी कदम है और इस गलत धारणा को और पुष्ट करता है कि इस्लाम में सहिष्णुता का स्थान नहीं है।'
दबाव में लिया फैसला : शाहनवाज हुसैन
भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने एक चैनल से बातचीत में कहा, 'धर्म के आधार पर अभिनय छोड़ने का फैसला दबाव में लिया हुआ लग रहा है। वह लगातार कट्टरपंथी समूहों के निशाने पर भी थीं।' जायरा के फिल्मों में काम करने को लेकर कई बार कट्टरपंथियों ने उनपर जुबानी हमले किए थे।
दंगल और सीक्रेट सुपस्टार जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं बॉलीवुड अभिनेत्री जायरा वसीम ने अभिनय की दुनिया को अलविदा कहने का फैसला लिया है। उनके इस फैसले को किसी ने सराहा है तो किसी ने आपत्ति दर्ज की है। अब इसपर राजनीतिक बयान भी आने शुरू हो गए हैं। शिवसेना और भाजपा ने धर्म को आधार बनाकर अभिनय को छोड़ना दबाव में लिया गया फैसला बताया है। वहीं कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनके फैसले को निजी चयन बताकर समर्थन किया है।
रविवार को जायरा ने सोशल मीडिया पर लंबी पोस्ट लिखकर बॉलीवुड छोड़ने की वजह बताते हुए लिखा- 'पांच साल पहले मैंने एक ऐसा फैसला लिया था जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। बॉलीवुड में पांच साल पूरे होने पर मैं इतना कहना चाहती हूं मैं अपने काम से खुश नहीं हूं। मैं भले यहां फिट हो रही हूं लेकिन मैं यहां की नहीं हूं। मैं अपने ईमान से दूर हो रही हूं। उन्होंने सोशल मीडिया पर छह पन्ने की चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कुरान का भी जिक्र किया है। उनका कहना है कि यह रास्ता उन्हें अल्लाह से दूर कर रहा है।
जिस्म की नुमाइश करना इस्लाम में गलत : सपा नेता
समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने जायरा वसीम के फैसले का समर्थन किया है। वह केवल यहीं पर नहीं रुके उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा कि नाचने-गाने वाली महिलाएं तवायफ की तरह होती हैं। इस्लाम में जिस्म की नुमाइश करना या कुछ ऐसा करना जिससे यौन आकर्षण होता हो गलत माना जाता है। उनका फैसला बिलकुल सही है।
हिंदू और जैन ने भी धर्म के लिए छोड़ा करियर : मिलिंद देवड़ा
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'कपटी लोग अचानक से जायरा वसीम और नुसरत जहां को लेक्चर देने लगे हैं। मेरे हिंदू और जैन दोस्त हैं जिन्होंने अपने गुरू और आस्था के लिए अपना करियर छोड़ा है। आप चुन सकते हैं कि धर्म आपके करियर या प्यार को निर्धारित करता है या नहीं। नाबालिगों को छोड़कर दूसरों को खुद अपने लिए फैसले लेने दें।' वहीं कांग्रेस नेता और बॉलीवुड में लंबे समय तक सक्रिय रहे राज बब्बर ने कहा कि वह जायरा का नाम नहीं जानते हैं। उनका इंडस्ट्री छोड़ने का फैसला व्यक्तिगत है।
आप होते कौन हैं जायरा से उसका चयन पूछने वाले : उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'आप आप होते कौन हैं जायरा वसीम से उसका चयन पूछने वाले? यह जिंदगी उसकी है, वह जैसा चाहे जी सकती है। मैं बस उनकी खुशी की कामना करता हूं और आशा करता हूं कि वह उस काम को करें जिसमें उन्हें खुशी मिलती हो।'
जायरा वसीम (फाइल फोटो)
- फोटो : Facebook
फिल्मी दुनिया में काम करना इस्लाम विरुद्ध नहीं : जमीयत-ए-इस्लामी हिंद
जमीयत-ए-इस्लामी हिंद ने कहा है कि कोई भी महिला या पुरुष फिल्मी दुनिया में काम कर सकता है। यह किसी भी तरह इस्लाम विरुद्ध नहीं है। लेकिन इस बात का ख्याल अवश्य रखा जाना चाहिए कि फिल्मी दुनिया में काम करते समय वह अपने चरित्र को बनाये रखे। संगठन के मुताबिक ऐसा करते हुए भी कोई व्यक्ति अपने ‘ईमान’ को बरकरार रख सकता है। लेकिन उसे ध्यान रखना चाहिए कि उसके काम से समाज की भलाई हो और उस फिल्म से समाज की बेहतरी का संदेश जाए।
जामियत-ए-इस्लामी हिंद के सचिव मलिक मोहतसिम खान ने जायरा वसीम के फिल्मी दुनिया छोड़ने पर उठे विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह किसी व्यक्ति का निजी फैसला है। वह अपना जीवन कैसे व्यतीत करना चाहता है, क्या खाना और क्या पहनना चाहता है, इसकी उसे पूरी आजादी है और ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन जहां तक फिल्मी दुनिया में काम करने का सवाल है, फिल्मी दुनिया में काम करना किसी भी तरह इस्लाम के विरुद्ध नहीं है। इस बात का ख्याल अवश्य रखा जाना चाहिए कि ऐसा करते समय उसका चरित्र अच्छा बना रहे।
करियर का फैसला धर्म को आधार बनाकर न करें : प्रियंका चतुर्वेदी
कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुईं प्रियंका चतुर्वेदी ने जायरा को लेकर ट्विटर पर कहा, 'अगर यह आपको आकर्षित कर रहा है तो आप अपनी आस्था का पालन कर सकते हैं। मगर अपने करियर का फैसला धर्म को आधार बनाकर न करें। यह आपके धर्म को असहिष्णु बताता है जबकि असल में ऐसा नहीं है। यह उनके धर्म (जायरा) के लिए भी एक बड़ा प्रतिगामी कदम है और इस गलत धारणा को और पुष्ट करता है कि इस्लाम में सहिष्णुता का स्थान नहीं है।'
दबाव में लिया फैसला : शाहनवाज हुसैन
भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने एक चैनल से बातचीत में कहा, 'धर्म के आधार पर अभिनय छोड़ने का फैसला दबाव में लिया हुआ लग रहा है। वह लगातार कट्टरपंथी समूहों के निशाने पर भी थीं।' जायरा के फिल्मों में काम करने को लेकर कई बार कट्टरपंथियों ने उनपर जुबानी हमले किए थे।