सीबीआई में आंतरिक घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। छुट्टी पर भेजे जाने से नाराज देश की इस शीर्ष एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। वहीं विपक्ष इस पूरे मामले पर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने पीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई के ताबूत में पीएम ने आखिरी कील ठोक दी है।
सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि 'हम नहीं जानते कि क्या सीबीआई राफेल घोटले जैसे मुद्दों की जांच कर रही है। अगर ऐसा था, तो सरकार, प्रधानमंत्री और संबंधित अधिकारियों को बचाने का आदेश दिया गया था। अस्थाना के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए क्या डीआईजी को अंडमान में काला पानी के लिए भेजा गया था?'
उन्होंने आगे कहा, 'मोदी सरकार और पीएम मोदी ने सीबीआई के खिलाफ एक राजनीतिक तख्तापलट संचालित किया है। उन्होंने सभी अधिकारियों और निदेशकों का ट्रांस्फर किया है। और ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य पीएम द्वारा सीबीआई में चुने हुए अधिकारियों की रक्षा करना प्रतीत होता है।
इस मामले पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का कहना है, 'पीएम मोदी ने सीबीआई के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। सीबीआई का व्यवस्थित विखण्डन और विघटन पूरा हो चुका है। पीएम द्वारा सीबीआई की विश्वसनीयता और क्षमता पर किए गए हमले से यह सुनिश्चित हो गया है कि उसकी विश्वसनीयता मर चुकी है और दफन हो चुकी है।'
सुरजेवाला ने आगे कहा, 'सीबीआई निदेशक और उनके सहयोगियों को हटाकर प्रधानमंत्री सीधे क्या नहीं कर सके, उन्होंने सीवीसी के पीछे आश्रय ले कर आत्मविश्वास से और गुप्त तरीके से ये सब किया है। क्या सीबीआई निदेशक का ट्रांसफर कर दिया गया क्योंकि वह राफेल भ्रष्टाचार मामले की जांच के आदेश देने वाले थे।'
सीबीआई विवाद पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, 'सीबीआई अब बीबीआई है। (भाजपा ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन)- बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण!
सीबीआई विवाद पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट पर कहा, 'ब्रेकिंग.. भयभीत और संदिग्ध, सरकार ने सीबीआई निदेशक को हटा दिया है। क्योंकि वह भ्रष्ट विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का पीछा कर रहे थे। जिसे पीएमओ द्वारा सीबीआई में थोपा गया है। बजाय सीबीआई द्वारा खुद उसके भ्रष्टाचार वाले मामलों की जांच किए। पूरी तरह से गौरकानूनी है। चुनौती दी जाएगी।'
भूषण ने आगे कहा, 'सीबीआई राफेल घोटाले की जांच न कर सके इसलिए शायद सीबीआई निदेशक को हटाया गया है। हमने, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सीबीआई निदेशक से राफेल डील की जांच की मांग की थी। सीबीआई निदेशक ने राफेल डील से जुड़ी फाइलें सरकार से मांगी थीं।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा है, 'सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने के क्या कारण हैं? लोकपाल अधिनियम के अनुसार नियुक्त एक जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए मोदी सरकार को किस कानून के तहत अधिकार मिला? मोदी सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है?'
वहीं
बसपा सुप्रिमो मायावती ने कहा कि सीबीआई में जो भी कुछ संकट छाया है उसके लिए अफसरों से कहीं ज्यादा केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि भाजपा की दोषपूर्ण, जातिवादी व सांप्रदायिकता पर आधारित नीतियों व कार्यकलापों ने सीबीआई ही नहीं बल्कि हर उच्च सरकारी संवैधानिक व स्वायत्त संस्थाओं को संकट व तनाव में डाल रखा है।
मायावती ने कहा कि केंद्र की सरकार के लिए उनके अपने दामन पर विजय माल्या प्रकरण, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी व राफेल लड़ाकू विमान सहित अनेकों प्रकार के लगे काले धब्बे उन्हें अच्छे लगते हैं और उसकी कोई उचित जांच भी नहीं कराई जाती है। लेकिन भाजपा विरोधी पार्टियों व अन्य सभी संगठनों संस्थाओँ के खिलाफ सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके इनको चुन-चुनकर कार्रवाइयों का निशाना बनाने का काम पिछले साढ़े चार वर्षों में भाजपा की सरकार द्वारा किया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई मामले में जो भी चल रहा है। यह बहुत ही चिंताजनक है। लोगों का विश्वास देश की उच्च स्वायत्तशासी संस्थाओं से उठता जा रहा है।
सीबीआई में आंतरिक घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। छुट्टी पर भेजे जाने से नाराज देश की इस शीर्ष एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। वहीं विपक्ष इस पूरे मामले पर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने पीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई के ताबूत में पीएम ने आखिरी कील ठोक दी है।
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सीबीआई में आंतरिक घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। छुट्टी पर भेजे जाने से नाराज देश की इस शीर्ष एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। वहीं विपक्ष इस पूरे मामले पर सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने पीएम पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीबीआई के ताबूत में पीएम ने आखिरी कील ठोक दी है।
सीपीआई(एम) नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि 'हम नहीं जानते कि क्या सीबीआई राफेल घोटले जैसे मुद्दों की जांच कर रही है। अगर ऐसा था, तो सरकार, प्रधानमंत्री और संबंधित अधिकारियों को बचाने का आदेश दिया गया था। अस्थाना के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए क्या डीआईजी को अंडमान में काला पानी के लिए भेजा गया था?'
उन्होंने आगे कहा, 'मोदी सरकार और पीएम मोदी ने सीबीआई के खिलाफ एक राजनीतिक तख्तापलट संचालित किया है। उन्होंने सभी अधिकारियों और निदेशकों का ट्रांस्फर किया है। और ऐसा करने के पीछे मुख्य उद्देश्य पीएम द्वारा सीबीआई में चुने हुए अधिकारियों की रक्षा करना प्रतीत होता है।
इस मामले पर
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का कहना है, 'पीएम मोदी ने सीबीआई के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। सीबीआई का व्यवस्थित विखण्डन और विघटन पूरा हो चुका है। पीएम द्वारा सीबीआई की विश्वसनीयता और क्षमता पर किए गए हमले से यह सुनिश्चित हो गया है कि उसकी विश्वसनीयता मर चुकी है और दफन हो चुकी है।'
सुरजेवाला ने आगे कहा, 'सीबीआई निदेशक और उनके सहयोगियों को हटाकर प्रधानमंत्री सीधे क्या नहीं कर सके, उन्होंने सीवीसी के पीछे आश्रय ले कर आत्मविश्वास से और गुप्त तरीके से ये सब किया है। क्या सीबीआई निदेशक का ट्रांसफर कर दिया गया क्योंकि वह राफेल भ्रष्टाचार मामले की जांच के आदेश देने वाले थे।'