ये मिसाइल जमीन से 100 फीट ऊपर उड़ रहे खतरे की पहचान कर सकता है।
दक्षिण एशिया के आसमान पर होगा हमारा नियंत्रण
रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं, एस-400 से भारत को दक्षिण एशिया के आसमान पर बढ़त मिलेगी। इस सिस्टम से 400 किमी दूरी तक दुश्मन के विमान, बैलेस्टिक व क्रूज मिसाइलें और अवाक्स तकनीक से लैस विमान भी रोके जा सकेंगे। इसमें चार तरह की मिसाइलें तैनात हो सकती हैं, जो 400, 250, 120 और 40 किमी दूरी तक वार कर सकती हैं।
अमेरिकी दबाव दरकिनार
अमेरिका ने भारत को रूस से एस-400 खरीदने से रोकने की भरसक कोशिश की। काउंटर अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट के जरिये आर्थिक प्रतिबंधों का दबाव डाला। इसके तहत वह रूस, उत्तर कोरिया या ईरान को अलग-अलग वजहों से दुश्मन देश बताता है। इन देशों से खरीद पर बाकी देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है। नाटो सदस्य तुर्की ने भी जब रूस से एस-400 खरीदा तो अमेरिका ने उसे रक्षा उत्पाद खरीद व अपने महत्वाकांक्षी लड़ाकू विमान एफ-35 की परियोजना से अलग कर दिया।
भारतीय वायुसेना के अफसरों ने रूस में लिया प्रशिक्षण
एस-400 सिस्टम के उपयोग के लिए भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने रूस में प्रशिक्षण लिया। वे अब वायुसेना में इसके उपयोग का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
सौदेबाजी में करीब 7 हजार करोड़ रुपये भी कम करवाए
2018 में भारत ने पांच एस-400 के लिए करीब 35 हजार करोड़ रुपये का समझौता किया था। सूत्रों के अनुसार कड़ी सौदेबाजी न की होती तो भारत को करीब 7 हजार करोड़ रुपये और चुकाने पड़ते। इस खरीद के पीछे चीन के खतरे को वजह बताया गया।