Hindi News
›
India News
›
Rahul Gandhi will have to set narrative like Pathan big challenge consensus on face-issue between opposition
{"_id":"63d7ae89f2cc0c581d0feb9d","slug":"rahul-gandhi-will-have-to-set-narrative-like-pathan-big-challenge-consensus-on-face-issue-between-opposition-2023-01-30","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Rahul Gandhi: राहुल को 'पठान' जैसा नैरेटिव सेट करना होगा, विपक्षी दलों के बीच सहमति बनाना है चुनौती","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Rahul Gandhi: राहुल को 'पठान' जैसा नैरेटिव सेट करना होगा, विपक्षी दलों के बीच सहमति बनाना है चुनौती
यात्रा को लेकर राहुल गांधी ने श्रीनगर में कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हमने उठाए और जो अलग-अलग सेक्शन पर दबाव पड़ रहा है, चाहे वो किसान हों, मजदूर हों, बेरोजगार युवा हों
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी
- फोटो : ट्विटर/राहुल गांधी
श्रीनगर में 'भारत जोड़ो यात्रा' का औपचारिक समापन हो गया है। राहुल गांधी ने दादी, पिता, पुलवामा, हैंड ग्रेनेड और लाल शर्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर अपने संबोधन को भावुकता की तरफ ले गए। उन्होंने साफ कर दिया कि 'भारत जोड़ो यात्रा' का मकसद किसी व्यक्ति या पार्टी को फायदा पहुंचाना नहीं है। राहुल के सटीक संबोधन में ऐसा नहीं लगा कि वहां विपक्ष के कई सहयोगी, जिन्हें बुलावा भेजा गया था, मौजूद नहीं हैं। कांग्रेस की कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता सहित पार्टी के कई घटनाक्रमों को अपनी पुस्तक में जगह दे चुके रशीद किदवई कहते हैं, भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी सियासत में उनके लिए बड़ी चुनौतियां हैं। राहुल गांधी को 'पठान' मूवी जैसा नैरेटिव सैट करना होगा। कई विपक्षी दल, जो बॉल पर खड़े होकर राजनीति कर रहे हैं, उन्हें धरातल पर लाना होगा। राहुल को एक ऐसा मुद्दा तय करना पड़ेगा, जो कांग्रेस एवं दूसरे विपक्षी दलों को भरोसे के साथ एक साझा मंच पर ला सके।
मेरे पास दो-तीन आइडिया हैं, उन पर काम करूंगा
यात्रा को लेकर राहुल गांधी ने श्रीनगर में कहा कि हिंदुस्तान की जनता का जो रेजिलियंस है, जो स्ट्रैंथ है, वो डायरेक्टली देखने को मिली। महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे हमने उठाए और जो अलग-अलग सेक्शन पर दबाव पड़ रहा है, चाहे वो किसान हों, मजदूर हों, बेरोजगार युवा हों, छोटे व्यापारी हों, उनकी आवाज हमें सुनने को मिली। मेरे लिए पर्सनली बहुत अच्छा एक्सपीरियंस रहा। शायद मैं कह सकता हूं कि मेरी जिंदगी का सबसे गहरा और सबसे सुंदर एक्सपीरियंस रहा है। आगे के लिए मेरे पास दो-तीन आइडिया हैं, उन पर काम करूंगा। देश में जो पॉलिटिकल क्लास है, उसमें मैं सबको जोड़ता हूं। कांग्रेस-भाजपा सहित सब पार्टियां शामिल हैं। इन दलों और जनता में थोड़ी दूरी पैदा हो गई है। संवाद, मीडिया के द्वारा होता है। इंटरव्यू के द्वारा होता है, प्रेस वार्ता के द्वारा होता है। मैं सोचता हूं कि ये जो दूरी है, इसे कम किया जाए। मेरे माइंड में ये पहला कदम है। ये छोटा कदम है, मेरे माइंड में इससे ज्यादा गहरे कदम हैं, जिनके बारे में मैं सोच रहा हूं। मेरे पास दो-तीन आइडिया हैं। विपक्ष बिखर चुका है, ये बात सही नहीं है। विपक्ष में कुछ मतभेद हैं, मगर बातचीत होती रहती है। चूंकि ये विचारधारा की लड़ाई है, इसलिए विपक्ष एक साथ लड़ेगा, एक साथ खड़ा होगा।
राफेल का मुद्दा, बोफोर्स जैसा नहीं बन सका
रशीद किदवई कहते हैं, इंदिरा गांधी के पास जो चमत्कारी नेतृत्व शैली थी, अभी राहुल गांधी को वहां तक पहुंचना है। वह इतना आसान नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने राफेल का एक बड़ा मुद्दा उठाया था। उस वक्त लग रहा था कि वे वाकई मोदी सरकार को घेरने में कामयाब हो जाएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वह मुद्दा खारिज कर दिया। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि राफेल का मुद्दा, बोफोर्स जैसा नहीं बन सका। बोफोर्स की वजह से सियासत में जो भूचाल आया था, वैसा राफेल के मामले में नहीं हुआ। मौजूदा दौर में विपक्ष एकजुट नहीं है। श्रीनगर में यात्रा के समापन समारोह में कांग्रेस पार्टी ने करीब डेढ़ दर्जन राजनीतिक दलों को बुलावा भेजा था, लेकिन मुश्किल से आधे भी नहीं जुट सके। किदवई के मुताबिक, ऐसा कोई मुद्दा ही नहीं है, जिस पर सभी दल एकजुट हों। राहुल, कुछ और कह रहे हैं तो ममता, केजरीवाल व केसीआर अपने अलग ही नैरेटिव पर चल रहे हैं। कांग्रेस के युवराज को कुछ ऐसा ही कॉमन नैरेटिव बनाना होगा, जिस पर सभी दल साथ चल सकें। राहुल के लिए वही सूत्रधार बनना, चुनौती से कम नहीं है।
राहुल को कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ाना होगा
बतौर किदवई, देखिये मूड ऑफ दा नेशन, जैसे सर्वे आते रहते हैं। इनमें पूरा न सही, मगर थोड़ा बहुत सच तो तलाशा जा सकता है। आज भी कांग्रेस के खाते में 68 सीट दिखाई गई हैं। ऐसे में राहुल गांधी के लिए दोहरी चुनौती है। उन्हें कॉमन गोल पर विपक्ष को साथ लेकर चलना है तो दूसरी ओर अपनी पार्टी का खोया हुआ वोट प्रतिशत, दोबारा से हासिल करना है। कांग्रेसी युवराज को 'पठान' मूवी जैसा नैरेटिव बनाने की जरुरत है। एक ऐसा नैरेटिव, जो दोनों वर्गों को अपना बना ले। पठान मूवी के साथ यही हुआ। जो विरोध कर रहे थे, उन्होंने भी इसे देखा और जो साथ थे, उन्होंने तो देखा ही। यहां पर चेहरे का सवाल भी आ जाता है।
कांग्रेस अध्यक्ष के खाते में अभी तक कुछ नहीं
भले ही मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया हो, लेकिन व्यवहार में उनका एक भी ऐसा कदम नजर नहीं आया है, जो स्वतंत्र अध्यक्ष के खाते में जाता हुआ दिखे। राजस्थान का मामला अटका है। गत दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, 18 से 19 प्रतिशत वोट बैंक में खेल रही है। दूसरी ओर भाजपा का वोट प्रतिशत 31 से बढ़कर 38 हो गया है। वर्तमान परिस्थिति में अगर भाजपा को टक्कर देनी है और विपक्षी दलों के बीच पांव जमाना है तो कांग्रेस को अपना वोट प्रतिशत, 25 तक ले जाना होगा। राजनीतिक जानकार ने कहा, राहुल गांधी के साथ दिक्कत यही रही है कि कभी तो वे अपनी तैयारी समय से पहले दिखा देते हैं तो किसी दूसरे मुद्दे पर उनकी तैयारी में देरी हो जाती है।
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।