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जानिए कौन हैं, अजित डोभाल के तीन "सुपरकॉप्स"
देश की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिन कंधों पर होती है वह पद होता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का। अक्टूबर 2018 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का पुनर्गठन करते हुए उसमें तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए। यह बड़ा और अहम परिवर्तन था क्योंकि इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन एक ही उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होता था। वर्तमान में तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है जो अजित डोभाल के निर्देशन में कार्य करते है।
क्यों जरूरत पड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की
इससे पहले रणनीति से लेकर उसके क्रियान्वयन के लिए अलग अलग ढांचा होता था, मगर इसके समूचे समन्वयन के लिए बहुत जरूरी था कि एक केंद्रीकृत और समुचित संरचना से परिपूर्ण ढांचा हो ताकि एक सूचना को संपूर्ण तरीके से उसके अंजाम तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए दिसंबर 1998 में एक समिति के सुझावों पर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इसकी स्थापना की गई। जब भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित हुआ तो यह अतिआवश्यक हो गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समग्रता से और सुचारू रूप से काम करने हेतु एक शीर्ष और मजबूत संस्था बनाई जाए। एक ऐसी संस्था जो राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विश्लेषण करे और सरकार को भविष्य की रूपरेखा बनाने और नीति निर्धारण में सुझाव और योगदान दे सके।
- सभी गुप्तचर एजेंसियों में सामंजस्य स्थापित करना।
- बिखरी हुयी सूचनाओं को व्यवस्थित करके उन पर उचित कार्यवाही करना।
- नीति निर्धारण में सुरक्षा से सम्बंधित सुझाव देना।
- आपसी तालमेल स्थापित करना।
- गुप्त सूचनाओं को एकत्रित करके प्राथमिकता से साथ उन पर कार्य करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के समस्त पहलुओं पर हर दृष्टिकोण से रणनीति बनाना।
- आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर समस्त रणनीतियां तैयार करना।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना
1998 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक टास्क फोर्स का गठन किया गया। दिसंबर 1998 में इस समिति के सुझावों पर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ का गठन किया गया था। वर्तमान में इसकी बागडोर अजित डोभाल संभाल रहे है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के तीन अंग होते है जिनका अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता हैं। प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सम्पूर्ण काम देखते हैं और सबकी रिपोर्ट तैयार करते है।
इस परिषद के तीनों अंग इस प्रकार हैं:
- स्ट्रेटेजिक पॉलिसी ग्रुप: यह सबसे मुख्य भाग होता है जिसके अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों के सचिव, सशस्त्र सेनाओं के अध्यक्ष, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष, खुफिया सेवाओं के अध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शामिल होते हैं। इनका काम होता है देश के लिए दीर्घ कालिक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करना और उसको सम्पादित करके परिषद के आगे पेश करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड: इस में शैक्षणिक स्थानों के विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त अधिकारियों को रखा जाता है ताकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अपने सुझाव दे सकें और नवीन बिंदुओं पर कार्य कर सके, इनका चयन बहुत विश्लेषण के बाद ध्यान से किया जाता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय सीधा तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अंतर्गत कार्य करता है। इससे पहले देश की इंटेलिजेंस एजेंसिया संयुक्त इंटेलिजेंस कमिटी को अपनी रिपोर्ट भेजा करती थी और फिर उसके बाद वो सभी जानकारियों पर काम करती थी ।
वर्तमान में तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
- आरएन रवि
- राजिंदर खन्ना
- पंकज सरन
तीनो उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के कार्यक्षेत्रों की जिम्मेदारी
तीनो उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की जिम्मेदारियां अलग-अलग होती है और के आधार पर होती है।
आर एन रवि (सेवानिवृत्त अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा) को आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, आतंकवाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब चीन की हरकतों पर निगरानी रखने के काम सौंपे गए हैं।
पंकज सरन (सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा) को मुख्य तौर पर बाहरी सुरक्षा संबंधी मामले देखने की जिम्मेदारी मिली है। चीन, रूस और अमेरिका के साथ उनके विदेशी अफसरों से बातचीत और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए बातचीत स्थापित करने का भी काम दिया गया है।
तीसरे उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजिंदर खन्ना (सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा) को साइबर सुरक्षा मसलों की देखरेख और सशस्त्र सेनाओं के लिए तकनीक और इसरो की उपयोगिता निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। दोनों के मध्य तालमेल बनाया जा सके।
राजिंदर खन्ना
- जनवरी 2019 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख राजिंदर खन्ना को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया गया था।
- वह 1978 बैच के अधिकारी है।
- राजिंदर खन्ना ने खुफिया एजेंसी में रहते हुए कई आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया था।
- तीसरे उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजिंदर खन्ना को साइबर सिक्योरिटी और सशस्त्र सेनाओं के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक और इसरो की उपयोगिता सुनिश्चित करने के कार्यभार सौंपा गया है।
पंकज सरन
- मई 2019 में वरिष्ठ राजनयिक पंकज सरन को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया गया था।
- इससे पहले वह रूस में भारत के राजदूत रहे हैं।
- उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में सरन की 2 वर्ष के लिए नियुक्ति की गई है।
- 1982 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अधिकारी रहे है।
- 2015 में रूस में पंकज सरन को नवंबर 2015 में रूस में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था।
- वह भारत और विदेश में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं।
- वह 2007 से 2012 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव भी रहे।
- भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी पंकज सरन को मुख्य तौर पर बाह्य सुरक्षा संबंधी मामले देखने को कहा गया है। उन्हें चीन, रूस और अमेरिका के साथ राजनयिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने और उनसे बातचीत स्थापित करने का भी काम दिया गया है।
सैन्य सलाहकार
इन तीनों उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा एक लेफ्टिनेंट जनरल वीजी खंडारे को सैन्य सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल खंडारे तीनों उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ संपर्क में रहेंगे और अन्य सेनाओं जैसे थलसेना, वायुसेना तथा नौसेना मुख्यालय से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का सीधा संपर्क बनाए रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करना। यह पद भी बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आपसी तालमेल में कोई भी दुविधा और किसी भी तरह का त्रुटि अंतराल नहीं बने।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के यह सुपरकॉप्स एक सजक प्रहरी की तरह अपने काम को अंजाम देते है और देश को महफूज रखते है। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारियां होती है मगर मकसद एक "देश सुरक्षित रहे "
सार
- जानिए कौन हैं, अजित डोभाल के तीन 'सुपरकॉप्स'
- आखिरकार क्यों जरूरत पड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और सलाहकारों की
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना और इसके प्रमुख अंग
- सुपरकॉप्स का सफरनामा
विस्तार
जानिए कौन हैं, अजित डोभाल के तीन "सुपरकॉप्स"
देश की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिन कंधों पर होती है वह पद होता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का। अक्टूबर 2018 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का पुनर्गठन करते हुए उसमें तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए। यह बड़ा और अहम परिवर्तन था क्योंकि इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन एक ही उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होता था। वर्तमान में तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है जो अजित डोभाल के निर्देशन में कार्य करते है।
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राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
- फोटो : PTI
क्यों जरूरत पड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की
इससे पहले रणनीति से लेकर उसके क्रियान्वयन के लिए अलग अलग ढांचा होता था, मगर इसके समूचे समन्वयन के लिए बहुत जरूरी था कि एक केंद्रीकृत और समुचित संरचना से परिपूर्ण ढांचा हो ताकि एक सूचना को संपूर्ण तरीके से उसके अंजाम तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए दिसंबर 1998 में एक समिति के सुझावों पर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इसकी स्थापना की गई। जब भारत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित हुआ तो यह अतिआवश्यक हो गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समग्रता से और सुचारू रूप से काम करने हेतु एक शीर्ष और मजबूत संस्था बनाई जाए। एक ऐसी संस्था जो राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी पहलुओं पर विश्लेषण करे और सरकार को भविष्य की रूपरेखा बनाने और नीति निर्धारण में सुझाव और योगदान दे सके।
- सभी गुप्तचर एजेंसियों में सामंजस्य स्थापित करना।
- बिखरी हुयी सूचनाओं को व्यवस्थित करके उन पर उचित कार्यवाही करना।
- नीति निर्धारण में सुरक्षा से सम्बंधित सुझाव देना।
- आपसी तालमेल स्थापित करना।
- गुप्त सूचनाओं को एकत्रित करके प्राथमिकता से साथ उन पर कार्य करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के समस्त पहलुओं पर हर दृष्टिकोण से रणनीति बनाना।
- आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को लेकर समस्त रणनीतियां तैयार करना।
PM Narendra Modi, NSA Ajit Doval(File Photo)
- फोटो : PTI
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना
1998 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक टास्क फोर्स का गठन किया गया। दिसंबर 1998 में इस समिति के सुझावों पर महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद’ का गठन किया गया था। वर्तमान में इसकी बागडोर अजित डोभाल संभाल रहे है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के तीन अंग होते है जिनका अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता हैं। प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का सम्पूर्ण काम देखते हैं और सबकी रिपोर्ट तैयार करते है।
इस परिषद के तीनों अंग इस प्रकार हैं:
- स्ट्रेटेजिक पॉलिसी ग्रुप: यह सबसे मुख्य भाग होता है जिसके अंतर्गत सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों के सचिव, सशस्त्र सेनाओं के अध्यक्ष, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष, खुफिया सेवाओं के अध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शामिल होते हैं। इनका काम होता है देश के लिए दीर्घ कालिक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करना और उसको सम्पादित करके परिषद के आगे पेश करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड: इस में शैक्षणिक स्थानों के विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त अधिकारियों को रखा जाता है ताकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु अपने सुझाव दे सकें और नवीन बिंदुओं पर कार्य कर सके, इनका चयन बहुत विश्लेषण के बाद ध्यान से किया जाता है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय: राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय सीधा तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अंतर्गत कार्य करता है। इससे पहले देश की इंटेलिजेंस एजेंसिया संयुक्त इंटेलिजेंस कमिटी को अपनी रिपोर्ट भेजा करती थी और फिर उसके बाद वो सभी जानकारियों पर काम करती थी ।
एनएसए अजीत डोभाल
- फोटो : Social Media
वर्तमान में तीन उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
- आरएन रवि
- राजिंदर खन्ना
- पंकज सरन
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
- फोटो : PTI
तीनो उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के कार्यक्षेत्रों की जिम्मेदारी
तीनो उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की जिम्मेदारियां अलग-अलग होती है और के आधार पर होती है।
आर एन रवि (सेवानिवृत्त अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा) को आंतरिक सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, आतंकवाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब चीन की हरकतों पर निगरानी रखने के काम सौंपे गए हैं।
पंकज सरन (सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा) को मुख्य तौर पर बाहरी सुरक्षा संबंधी मामले देखने की जिम्मेदारी मिली है। चीन, रूस और अमेरिका के साथ उनके विदेशी अफसरों से बातचीत और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए बातचीत स्थापित करने का भी काम दिया गया है।
तीसरे उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजिंदर खन्ना (सेवानिवृत्त अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा) को साइबर सुरक्षा मसलों की देखरेख और सशस्त्र सेनाओं के लिए तकनीक और इसरो की उपयोगिता निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। दोनों के मध्य तालमेल बनाया जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
- फोटो : PTI
राजिंदर खन्ना
- जनवरी 2019 में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख राजिंदर खन्ना को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया गया था।
- वह 1978 बैच के अधिकारी है।
- राजिंदर खन्ना ने खुफिया एजेंसी में रहते हुए कई आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया था।
- तीसरे उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजिंदर खन्ना को साइबर सिक्योरिटी और सशस्त्र सेनाओं के लिए अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक और इसरो की उपयोगिता सुनिश्चित करने के कार्यभार सौंपा गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
- फोटो : PTI
पंकज सरन
- मई 2019 में वरिष्ठ राजनयिक पंकज सरन को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाया गया था।
- इससे पहले वह रूस में भारत के राजदूत रहे हैं।
- उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में सरन की 2 वर्ष के लिए नियुक्ति की गई है।
- 1982 बैच के भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अधिकारी रहे है।
- 2015 में रूस में पंकज सरन को नवंबर 2015 में रूस में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था।
- वह भारत और विदेश में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं।
- वह 2007 से 2012 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव भी रहे।
- भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी पंकज सरन को मुख्य तौर पर बाह्य सुरक्षा संबंधी मामले देखने को कहा गया है। उन्हें चीन, रूस और अमेरिका के साथ राजनयिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत बनाने और उनसे बातचीत स्थापित करने का भी काम दिया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद
- फोटो : Twitter
सैन्य सलाहकार
इन तीनों उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा एक लेफ्टिनेंट जनरल वीजी खंडारे को सैन्य सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल खंडारे तीनों उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ संपर्क में रहेंगे और अन्य सेनाओं जैसे थलसेना, वायुसेना तथा नौसेना मुख्यालय से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय का सीधा संपर्क बनाए रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करना। यह पद भी बहुत महत्वपूर्ण है ताकि आपसी तालमेल में कोई भी दुविधा और किसी भी तरह का त्रुटि अंतराल नहीं बने।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के यह सुपरकॉप्स एक सजक प्रहरी की तरह अपने काम को अंजाम देते है और देश को महफूज रखते है। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारियां होती है मगर मकसद एक "देश सुरक्षित रहे "