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ICMR calls for proposals on Therapeutics for Inherited Rare Diseases
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Inherited Diseases: दुर्लभ वंशानुगत बीमारियों का इलाज ढूंढेगा आईसीएमआर, रिसर्च ग्रुप की तलाश
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 15 Dec 2022 05:04 AM IST
सार
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आईसीएमआर के डॉ. लोकेश शर्मा ने बताया कि विरासत में मिलने वाली यानी वंशानुगत दुर्लभ बीमारियों की आबादी में एक व्यापकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन बीमारियों को आजीवन विकार के रूप में परिभाषित किया है जो प्रति एक हजार की आबादी पर एक मामला है।
महंगे इलाज वाली दुर्लभ बीमारियों का इलाज खोजेगा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)। इसके लिए वे एक ऐसे रिसर्च ग्रुप की तलाश कर रहे हैं जो आगामी दो से तीन वर्ष में शोध को पूरा कर सकें और इसके बाद क्लीनिकल ट्रायल के जरिए न सिर्फ इलाज की प्रक्रिया बल्कि दवाएं और जांच की नई तकनीकों को भी विकसित करेंगे। उम्मीद है कि आगामी वर्ष 2023 में यह शोध शुरू हो जाएगा।
आईसीएमआर के डॉ. लोकेश शर्मा ने बताया कि विरासत में मिलने वाली यानी वंशानुगत दुर्लभ बीमारियों की आबादी में एक व्यापकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन बीमारियों को आजीवन विकार के रूप में परिभाषित किया है जो प्रति एक हजार की आबादी पर एक मामला है। अगर उपचार की बात करें तो यह किसी हैरानी से कम नहीं है कि दुर्लभ विकारों में से केवल पांच फीसदी का ही उपचार मौजूद है और इनमें से भी अधिकांश महंगे हैं और सभी जगह उपलब्ध भी नहीं हैं जबकि उपलब्धता और पहुंच इन बीमारियों की रोकथाम व मृत्यु दर कम करने के महत्वपूर्ण उपाय हैं।
आईसीएमआर की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मोनिका पाहुजा के अनुसार, दुर्लभ बीमारियों में छोटे अणु जन्मजात त्रुटियां, प्राथमिक इम्यूनोडिफीसिअन्सी डिसऑर्डर (पीआईडी), न्यूरोमस्कुलर विकार (एनएमडी), रुधिर संबंधी विकार (सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया को छोड़कर) और स्केटल डिसप्लेसिया इत्यादि शामिल हैं। स्केटल डिसप्लेसिया ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चे की हड्डी, जोड़ों और उपास्थि में असामान्य विकास होता है।
कोरोना की तरह निपाह की जांच किट भी मिली
कोरोना वायरस की तरह आईसीएमआर ने निपाह वायरस की बड़ी आबादी में जांच के लिए एलाइजा जांच किट तैयार की है। डॉ. लोकेश शर्मा ने बताया कि जांच किट तैयार करने से पहले एक चिकित्सा अध्ययन किया गया था जिसमें यह 99.28 फीसदी असरदार पाई गई है।
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