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For the first time WHO in Ayurveda Congress, will be recognized in the world
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Ayurved Congress: पहली बार आयुर्वेद कांग्रेस में डब्ल्यूएचओ, दुनिया में दिलाएगा पहचान
परीक्षित निर्भय, पणजी।
Published by: Amit Mandal
Updated Thu, 08 Dec 2022 04:59 AM IST
सार
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11 दिसंबर को कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित होंगे और देश को आयुष चिकित्सा को लेकर कई योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं।
भारत में वैश्विक केंद्र स्थापित करने के बाद पारंपरिक चिकित्सा को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का रुझान बढ़ा है। शायद यही वजह है कि पहली बार विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में डब्ल्यूएचओ शामिल हो रहा है जो आठ से 12 दिसंबर तक गोवा के पणजी में आयोजित की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे
11 दिसंबर को कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित होंगे और देश को आयुष चिकित्सा को लेकर कई योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। डब्ल्यूएचओ मॉडर्न मेडिसिन की तरह पारंपरिक चिकित्सा को भी एक अलग पहचान दिलाने पर चर्चा करेगा। इसके लिए छह पूर्ण और समवर्ती सत्रों के अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की सभा, पारंपरिक दवाओं पर डब्ल्यूएचओ कार्यक्रम और गुरु-शिष्य बैठक जैसे कार्यक्रम रखे गए हैं। इस विश्व कांग्रेस में 53 देशों के 400 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों सहित 4,500 से अधिक पंजीकृत प्रतिभागियों का जमावड़ा होगा।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के कई हिस्सों में एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेद, फिजियोथैरेपी इत्यादि सेवाएं दी जा रही हैं। इसका असर है कि इनके जरिये कैंसर के मरीज रिकवर हो रहे हैं। सड़क दुर्घटना में घायल रोगियों को भी ऑपरेशन के बाद आयुर्वेद के जरिये वापस पुराना जीवन लौटाने में मदद की जा रही है। ऐसे सैंकड़ों मामले कांग्रेस में प्रस्तुत भी किए जाएंगे।
आयुर्वेद के जरिये पशु चिकित्सा पर भी दुनिया की नजर
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों में पालतू जानवर और उनके स्वास्थ्य को लेकर लोग काफी गंभीर रहते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा इंसानों के साथ साथ पशु उपचार में भी काफी असरदार रही है। अश्वगंधा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है और अमेरिका के कई शहरों में पालतू जानवरों के आहार में इसे शामिल किया जा रहा है। इस कांग्रेस में भी दुनिया को इसके उदाहरण और चिकित्सा अध्ययन सामने लाए जाएंगें।
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