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विदेश मंत्री जयशंकर बोले: रूस से EU का तेल आयात भारत से छह गुना, 10 देशों की तुलना में खरीदा ज्यादा ईंधन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: निर्मल कांत Updated Mon, 05 Dec 2022 04:12 PM IST
सार

विदेश मंत्री ने कहा, यूरोपीय संघ ने फरवरी से नवंबर तक रूस से अगले दस देशों की तुलना में अधिक जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) का आयात किया है। यूरोपीय संघ का तेल आयात भारत के तेल आयात से छह गुना ज्यादा है। 

S Jaishankar
S Jaishankar - फोटो : ANI

विस्तार

जर्मनी की विदेश मंत्री दो एनालेना बेयरबॉक दिवसीय भारत दौर पर हैं। इस दौरान उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष डॉ. एस जयशंकर के साथ मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जयशंकर ने पिछले दो साल से जर्मन अधिकारियों के पास रह रही भारतीय बच्ची का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भी बात करते हुए कहा कि यूरोपीय संघ ने फरवरी से नवंबर तक रूस से दस देशों की तुलना में अधिक जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) का आयात किया है।



उन्होंने कहा, अरिहा शाह नाम की एक बच्ची से जुड़ा मामला है। हमें चिंता है कि वह अपने भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश में होनी चाहिए। यह उसका अधिकार है। हमारा दूतावास जर्मन अधिकारियों के साथ इस पर काम कर रहा है। यह एक ऐसा विषय है जिसे मैंने मंत्रिस्तर पर भी उठाया था। 

 

मदद की गुहार लगाता भारतीय जोड़ा।
मदद की गुहार लगाता भारतीय जोड़ा। - फोटो : सोशल मीडिया
क्या है पूरा मामला
दरअसल, जर्मनी में रहने वाले गुजराती जोड़े को पिछले दो साल से अपनी ही बेटी से मिलने की अनुमति नहीं मिल रही है। बच्ची जर्मन प्रोटेक्शन अथॉरिटी के पास है। पहले उन्हें फिट टू बी पैरेंट्स सर्टिफिकेट लाने को कहा गया था। उन्होंने भारत सरकार से भी मामले में मदद की गुहार लगाई थी।  

भावेश और धारा गुजरात के रहने वाले हैं। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में साल 2018 से राजधानी बर्लिन में जॉब कर रहे हैं। 2021 में बेटी का जन्म हुआ। इसके बाद बिटिया के नाना-नानी भी अपनी नातिन से मिलने पहुंचे। एक दिन बच्ची के प्राइवेट पार्ट में किसी वजह से चोट लगी और खून बहने लगा। फिर धारा उसे स्थानीय अस्पताल ले गई। यहां डॉक्टर्स ने उनसे कहा कि बच्चों में इस तरह की चोट सामान्य है। फिर धारा बेटी को घर ले आईं। 

लेकिन दूसरे दिन भी बच्ची की ब्लीडिंग नहीं रुकी तो वह उसे फिर अस्पताल लेकर पहुंची। अस्पताल के स्टाफ ने चाइल्ड प्रोटेक्शन टीम को इसकी जानकारी दी। अफसरों को पहली नजर में यह यौन उत्पीड़न का मामना लगा तो उन्होंने उसे इसी डिपार्टमेंट के हवाले कर दिया। इसके बाद जांच में यौन उत्पीड़न की भी बात साबित नहीं हुई। 

जांच में यह बात साबित न होने पर भी जोड़े को बच्ची को नहीं सौंपा गया। उनसे यह सबाति करने के लिए कहा गया कि वे बच्ची को पालने के काबिल हैं। उन्हें फिट टू बी पेरेंट्स सर्टिफिकेट लाने को कहा गया। पति-पत्नी इस सर्टिफिकेट को हासिल करने के लिए लीगल अथॉरिटी के कई सेशन अटैंड कर चुके हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया अब भी जारी है।  
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