न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 23 Sep 2020 10:54 AM IST
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Coronavirus: कोरोना संकट के मद्देनजर देश और दुनिया में अलग-अलग जगहों पर वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। इसी बीच भारत में विकसित हो रही कोवि़ड-19 की वैक्सीन के लिए डीजीसीए ने नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों में बड़ी फार्मा कंपनियों के लिए सुरक्षा, प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता मापदंडों को ध्यान में रखा गया है। नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक भारत में विकसित हो रही किसी भी वैक्सीन के मानव परीक्षण में कम से कम 50 फीसदी प्रभावी होनी चाहिए।
किसी भी वैक्सीन से परीक्षण के दौरान कम से कम 50 फीसदी लोगों में इम्यूनिटी विकसित होनी चाहिए। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से तय किए गए मानक अलग हैं। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन के मुताबिक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को यह सिद्ध करना होगा कि जितने लोगों को वैक्सीन दी गई है, उसमें से कम से कम आधे लोग संक्रमण से सुरक्षित हैं।
वैक्सीन में इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वो अगले एक साल तक किसी व्यक्ति में दोबारा संक्रमण ना पैदा करे। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि आदर्श रूप से वैक्सीन 70 फीसदी या उसके ऊपर प्रभावी होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि 50 फीसदी पर भी वैक्सीन को प्रभावी माना जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश में 30 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से तीन वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण के विभिन्न चरणों में है, जबकि चार वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण से पहले की अवस्था में है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले साल तक भारत अपनी वैक्सीन विकसित कर लेगा।
Coronavirus: कोरोना संकट के मद्देनजर देश और दुनिया में अलग-अलग जगहों पर वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। इसी बीच भारत में विकसित हो रही कोवि़ड-19 की वैक्सीन के लिए डीजीसीए ने नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों में बड़ी फार्मा कंपनियों के लिए सुरक्षा, प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता मापदंडों को ध्यान में रखा गया है। नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक भारत में विकसित हो रही किसी भी वैक्सीन के मानव परीक्षण में कम से कम 50 फीसदी प्रभावी होनी चाहिए।
किसी भी वैक्सीन से परीक्षण के दौरान कम से कम 50 फीसदी लोगों में इम्यूनिटी विकसित होनी चाहिए। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से तय किए गए मानक अलग हैं। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन के मुताबिक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को यह सिद्ध करना होगा कि जितने लोगों को वैक्सीन दी गई है, उसमें से कम से कम आधे लोग संक्रमण से सुरक्षित हैं।
वैक्सीन में इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वो अगले एक साल तक किसी व्यक्ति में दोबारा संक्रमण ना पैदा करे। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि आदर्श रूप से वैक्सीन 70 फीसदी या उसके ऊपर प्रभावी होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि 50 फीसदी पर भी वैक्सीन को प्रभावी माना जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश में 30 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से तीन वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण के विभिन्न चरणों में है, जबकि चार वैक्सीन क्लिनिकल परीक्षण से पहले की अवस्था में है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले साल तक भारत अपनी वैक्सीन विकसित कर लेगा।