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Delhi Dialogue : NSA level talks on Afghanistan, today hosted by India, there will be talk on peace and stability
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अफगानिस्तान पर चर्चा : भारत की मेजबानी में एनएसए स्तर की वार्ता आज, शांति-स्थिरता पर होगी बात
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Wed, 10 Nov 2021 12:20 AM IST
ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा रूस और ईरान भी अफगानिस्तान पर दिल्ली में होने वाली इस बैठक में भाग लेंगे। बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे।
एनएसए अजीत डोभाल
- फोटो : पीटीआई
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भारत ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में जन केंद्रित परियोजनाओं पर तीन अरब अमरीकी डालर से अधिक खर्च करते हुए देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई है, यहां तक कि तालिबान ने भी नई दिल्ली के योगदान को स्वीकार किया है। चाहे जी20 शिखर सम्मेलन हो, ब्रिक्स सम्मेलन हो या द्विपक्षीय वार्ता, अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर भारत महत्वपूर्ण भागीदार रहा है।
भारत पहले ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और दूसरी ओर चीन की आक्रामता से जूझ रहा है, उसके लिए अफगानिस्तान का लंबे समय तक अस्थिर रहना और उसकी सरजमीं का आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल, नई मुसीबतें पैदा करेगा। इसलिए भी भारत के लिए अफगानिस्तान के मुद्दे पर क्षेत्रीय संवाद बेहद जरूरी हो गया है।
भारत की ओर से आयोजित अफगानिस्तान पर अपनी तरह की पहली क्षेत्रीय वार्ता में भाग लेने के लिए रूस, ईरान और सभी पांच मध्य एशियाई देशों के सात सुरक्षा अधिकारी मंगलवार को दिल्ली पहुंचे। ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के अलावा रूस और ईरान भी अफगानिस्तान पर दिल्ली में होने वाली इस बैठक में भाग लेंगे। बैठक की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे।
इससे पहले ईरान ने इसी तरह के प्रारूप में 2018-2019 में संवादों की मेजबानी की थी। हालांकि, इस बार वार्ता में सात देशों की सबसे अधिक भागीदारी होगी। प्रारूप का पालन करते हुए भारत ने पाकिस्तान और चीन को भी इसमें आमंत्रित किया था। हालांकि, दोनों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। लेकिन चीन ने कहा है कि वह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्तरों पर अफगानिस्तान पर भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार है। चीन ने ईरान द्वारा आयोजित पिछली बैठकों और हाल ही में ब्रिक्स बैठक में भी भाग लिया था।
समाधान का हिस्सा नहीं बनना चाहता पाकिस्तान
अधिकारियों को लगता है कि पाकिस्तान कभी भी अफगानिस्तान की समस्याओं के समाधान का हिस्सा नहीं बनना चाहता है, क्योंकि सभी मानते हैं कि पाकिस्तान ही अफगानिस्तान में समस्या का असल स्रोत है। यह दुनिया से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) वर्षों से तालिबान में हक्कानी और आईएसआईएस खुरासान का समर्थन देती रही है।
इसके साथ ही, पाकिस्तान अफगानों को मानवीय सहायता के प्रवाह में एक प्रमुख बाधा के रूप में भी उभरा है। भारत अफगानिस्तान को अत्यावश्यक सहायता की आपूर्ति के लिए तैयार है, लेकिन पाकिस्तान लगातार मदद पहुंचाने में बाधा खड़ी कर रहा है। इस प्रारूप में आयोजित किसी भी बैठक में पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ और अब उसने भारत के निमंत्रण को भी अस्वीकार कर दिया है।
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मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के खतरों पर होगी चर्चा
दिल्ली संवाद में भाग लेने वाले सात अन्य देशों के साथ भारत, अफगानिस्तान और उसके आसपास से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरों पर विस्तार से चर्चा करेगा। इसके साथ ही कई प्रतिभागियों ने मादक पदार्थों की तस्करी और अफगानिस्तान में अमेरिका द्वारा छोड़े गए विशाल हथियारों के उपयोग पर भी चिंता जताई है। लेकिन हैरत की बात है कि पाकिस्तान को इन सब मुद्दों की परवाह नहीं है और वह लगातार तालिबान सरकार के साथ बातचीत कर रहा है।
तालिबान शासन को मान्यता एजेंडे में नहीं
ईरान, रूस और यहां बातचीत में भाग लेने वाले सभी मध्य एशियाई देश तालिबान शासन को मान्यता देने के फैसले से काफी दूर हैं। सूत्रों ने एएनआई को बताया कि तालिबान को मान्यता देना उनके एजेंडे में भी नहीं है। सभी भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों, महिला अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रतिनिधित्व के संबंध में चिंता जताई है। उन्हें 90 के दशक के तालिबान और अब के तालिबान में कोई फर्क नहीं नजर आ रहा।
अफगानिस्तान पर संयुक्त सुरक्षा नीति बनाने पर जोर देगा भारत
सरकारी सूत्रों का कहना है कि अगर बैठक में संयुक्त सुरक्षा नीति बनाने पर सहमति बनी तो इससे न सिर्फ पाकिस्तान-चीन को अलग-थलग करने में मदद मिलेगी, बल्कि अफगानिस्तान के तालिबान शासन पर भी दबाव बनाया जा सकेगा। भारत समेत सभी आठ देश अफगानिस्तान में बढ़ते पाकिस्तान के दखल से चिंतित हैं। खास बात यह है कि इन देशों का अफगानिस्तान से सीधा जुड़ाव है और अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं का असर इन देशों पर पड़ता है। गौरतलब है कि भारत शुरू से ही अफगानिस्तान के मामले में दुनिया के देशों से संयुक्त रणनीति बनाने का आग्रह करता रहा है। भारत ने अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद लगातार आतंकी गतिविधियों के बढ़ने की आशंका जाहिर की है।
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