जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 09 Jul 2021 05:37 PM IST
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' की कैडर समीक्षा रिपोर्ट तैयार हो रही है। विभिन्न यूनिटों से पदों को खत्म करने या सृजित करने के सुझाव मिल रहे हैं। बल के पूर्व कैडर अफसरों का कहना है कि 2019 में सिपाहियों के 36524 पद खत्म करने का मसौदा तैयार हुआ था। हवलदारों के भी 5754 पदों को खत्म किया गया। करीब एक दशक से बल में आईपीएस और कैडर अफसरों के बीच पदोन्नति एवं दूसरे वित्तीय फायदों को लेकर खींचतान चल रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा है।
पूर्व अफसरों ने बताया, ऐसी संभावना बन रही है कि इस बार की समीक्षा को भी कैडर अधिकारियों के बीच में ही इस तरह घुमाया जाएगा कि उससे आईपीएस के लिए निर्धारित पदों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बल में आईपीएस डीआईजी के 80-90 फीसदी पद खाली पड़े रहते हैं। इस वजह से कुछ पद अस्थायी तौर से कैडर अफसरों को मिल जाते हैं। हालांकि स्थायी रूप से वे पद कैडर में समायोजित नहीं होते।
सीआरपीएफ की कैडर समीक्षा को लेकर काफी सावधानी बरती जा रही है। इस संबंध में बल ने कई अफसरों की एक कमेटी भी बनाई है। कैडर अफसरों को भी कमेटी का सदस्य बनाया गया है। बल की कई यूनिटों से कैडर समीक्षा को लेकर सुझाव मांगे गए हैं। कैडर समीक्षा को अंतिम रूप देने के बाद उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दिया जाएगा। वहां से कांट-छांट होने के बाद वह रिपोर्ट डीओपीटी के पास पहुंचेगी। डीओपीटी द्वारा छह जुलाई को जारी कैडर रिव्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआरपीएफ की फाइनल कैडर समीक्षा रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी से कहा गया है कि वह रिपोर्ट जल्द जमा कराई जाए। अभी तक जो सुझाव मिले हैं, उनमें कई तरह की बातें कही गई हैं।
पूर्व अफसरों के मुताबिक इस तरह की संभावना बन रही है कि बल की फाइनल कैडर रिपोर्ट में जिन पदों को कम करना है या बढ़ाना है, वे सभी बदलाव कैडर अधिकारियों के पदों में ही देखने को मिलेंगे। बल में आईपीएस आईजी और डीआईजी के अनेक पद खाली पड़े रहते हैं। उन पदों को स्थायी तौर से कैडर अधिकारियों को दे दिया जाए। जब कई वर्ष तक उन पदों पर कोई आईपीएस ज्वाइन नहीं करता है तो ही कुछ पदों को अस्थायी तौर से कैडर अफसरों की नियुक्ति के द्वारा भरा जाता है। कैडर समीक्षा का सारा खेल सहायक कमांडेंट से लेकर एडीजी तक रहता है। मूल रूप से इसे सहायक कमांडेंट से आईजी तक भी कह सकते हैं, क्योंकि अधिकांश पदों का बदलाव इन्हीं रैंकों के बीच में होता है।
बल में दो-तीन ऐसी रिपोर्ट भी मिली हैं, जिनमें ग्राउंड कमांडर यानी सहायक कमांडेंट के 400 से ज्यादा पदों को खत्म करने की बात कही गई है। खास बात है कि अधिकांश ऑपरेशनों की कमान सहायक कमांडेंट ही संभालते हैं। कई दफा उनके साथ बड़े रैंक वाले अधिकारी भी होते हैं। इसके बाद डिप्टी कमांडेंट के तीन सौ से अधिक नए पदों के सृजन का सुझाव आया है। इसी लाइन पर टूआईसी के 460 से ज्यादा नए पद सृजित करने का प्रस्ताव मिला है। कमांडेंट के नए पद भी दो सौ के पार जा रहे हैं। इसके बाद कमांडेंट के पद छह सौ तक पहुंच जाएंगे। यह अलग बात है कि इतने कमांडेंट को नियुक्ति कहां पर दी जाएगी। बटालियनों की संख्या इन पदों के मुकाबले बेहद कम है। डीआईजी के लिए करीब 35 और आईजी के 15 पद नए सृजित करने की बात सामने आई है।
पूर्व अफसरों ने कहा, अगर इस तरह की कैडर समीक्षा रिपोर्ट बनती है तो बल का मौलिक ढांचा खराब होने की संभावना है। अगर बड़ी संख्या में सहायक कमांडेंट के पद खत्म होते हैं तो नीचे वालों के पदोन्नति के चांस खत्म हो जाएंगे। बल मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी बताते हैं कि अभी इस रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। कई सारी रिपोर्ट हैं, कुछ कांट-छांट हो रही है। सभी के हितों का ध्यान रखा जाएगा। रिटायर्ड अधिकारी कहते हैं कि ट्रेनिंग सेंटर, मुख्यालय या दूसरी जगहों पर कई ऐसे पद हैं, जहां एक जैसे कार्य के लिए दो-दो या उससे ज्यादा अधिकारियों के पद सृजित करने का सुझाव मिला है। इसे बारे में मुख्यालय अधिकारी का कहना था कि यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है, केवल एक सुझाव है।
विस्तार
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' की कैडर समीक्षा रिपोर्ट तैयार हो रही है। विभिन्न यूनिटों से पदों को खत्म करने या सृजित करने के सुझाव मिल रहे हैं। बल के पूर्व कैडर अफसरों का कहना है कि 2019 में सिपाहियों के 36524 पद खत्म करने का मसौदा तैयार हुआ था। हवलदारों के भी 5754 पदों को खत्म किया गया। करीब एक दशक से बल में आईपीएस और कैडर अफसरों के बीच पदोन्नति एवं दूसरे वित्तीय फायदों को लेकर खींचतान चल रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा है।
पूर्व अफसरों ने बताया, ऐसी संभावना बन रही है कि इस बार की समीक्षा को भी कैडर अधिकारियों के बीच में ही इस तरह घुमाया जाएगा कि उससे आईपीएस के लिए निर्धारित पदों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बल में आईपीएस डीआईजी के 80-90 फीसदी पद खाली पड़े रहते हैं। इस वजह से कुछ पद अस्थायी तौर से कैडर अफसरों को मिल जाते हैं। हालांकि स्थायी रूप से वे पद कैडर में समायोजित नहीं होते।