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Bureaucrats express concern over unviable populist schemes by states in meeting with PM Narendra Modi news in Hindi
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पीएम के साथ बैठक: राज्यों की लोकलुभावन योजनाओं पर नौकरशाहों बोले, श्रीलंका जैसा बन सकता है संकट, मोदी ने दी नसीहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 03 Apr 2022 09:52 PM IST
सार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शनिवार को हुई अहम बैठक में कुछ नौकरशाहों ने राज्यों की ओर से घोषित ऐसी योजनाओं पर चिंता जताई है जो वित्तीय रूप से बहुत कमजोर हैं।
वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक मैराथन बैठक के दौरान कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों की ओर से घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता व्यक्त की है। सूत्रों ने रविवार को बताया कि इस बैठक के दौरान अधिकारियों ने दावा किया कि ये योजनाएं आर्थिक रूप से सतत नहीं हैं और राज्यों को उसी राह पर ले जा सकती हैं, जिस पर श्रीलंका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को अपने शिविर कार्यालय पर सभी विभागों के सचिवों के साथ बैठक की थी। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष नौकरशाह भी शामिल हुए थे। साल 2014 के बाद से सचिवों के साथ प्रधानमंत्री की यह नौवीं ऐसी बैठक थी।
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने नौकरशाहों से स्पष्ट रूप से कहा था कि वे कमियों को प्रबंधित करने की मानसिकता से बाहर निकलकर अधिशेष के प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करें। उन्होंने कहा कि प्रमुख विकास परियोजनाओं को नहीं लेने के लिए लिए गरीबी का बहाना बनाने की पुरानी कहानी सुनाना बंद करें और बड़ा दृष्टिकोण अपनाते हुए अपना कर्तव्य निभाएं। इस दौरान दो दर्जन से अधिक सचिवों ने अपने पक्ष प्रस्तुत किए और प्रधानमंत्री मोदी के साथ फीडबैक साझा किए।
एक राज्य में हालिया विधानसभा चुनाव में घोषित की गई एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो वित्तीय रूप से खराब स्थिति में है। इसके अलावा अन्य राज्यों में ऐसी ही अन्य योजनाओं का उल्लेख करते हुए सचिवों ने कहा कि ये आर्थिक रूप से सतत नहीं हैं और बहुत कमजोर हैं और ये राज्यों को उसी रास्ते की ओर ले जा सकती हैं जिस पर श्रीलंका चल रहा है।
श्रीलंका इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यहां महंगाई चरम पर है और दैनिक उपभोग की वस्तुएं खरीद पाना भी लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। देश में ईंधन, रसोई गैस और जरूरी वस्तुओं की कमी चल रही है और लोगों को इन वस्तुओं के लिए लंबी पंक्तियों में खड़े होना पड़ रहा है। देश दिवालिया होने की कगार पर है।
पीएम ने दी नसीहत
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरशाहों से कहा कि उन्हें ऐसी मानसिकता से बाहर निकलकर प्रबंधन की नई चुनौती का सामना करना चाहिए। उन्होंने उनसे बड़ी विकास परियोजनाओं को पूरा नहीं करने लिए गरीबी का हवाला देने की पुरानी आदत को छोड़ने की नसीहत भी दी।
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