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विस्तार
साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अहम बदलाव देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे के बाद इसके कयास तेजी से लगाए जा रहे हैं। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की विदाई की चर्चा के साथ ही किसी नए आदिवासी चेहरे को अध्यक्ष बनाने की मांग तेज हो गई है। नए प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और सांसद दीपक बैज का नाम सबसे आगे है।
हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी। इसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में बदलावों को लेकर चर्चा हुई थी। राजधानी रायपुर लौटते ही सीएम ने कहा था कि अध्यक्ष चुनाव के बाद सभी कमेटी खत्म हो गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्टीयरिंग कमेटी बनाई, जिसमें हम लोग भी विशेष आमंत्रित हैं। कांग्रेस महाधिवेशन में चुनाव होना था, लेकिन सभी सदस्यों ने अधिकार अध्यक्ष जी को दे दिए। अब सीडब्ल्यूसी के सदस्यों का चयन होना है। इसमें सभी वर्गों का सामंजस्य होना है। दिल्ली के बाद प्रदेश में भी बदलाव शुरू होगा। इस पर विस्तार से चर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष से हुई है।
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में आगे हैं ये दो नाम
वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सामने दो विकल्प हैं। इनमें आदिवासी बाहुल्य बस्तर को प्राथमिकता में रखें या फिर सरगुजा को। पार्टी की वर्तमान गुटीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए अमरजीत भगत पहली पसंद के तौर पर सामने आए हैं। वहीं, दूसरी ओर मरकाम के बदले बस्तर का ही प्रतिनिधित्व बनाए रखने के लिए दीपक बैज के नाम पर सहमति भी बन सकती है। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए आदिवासी को ही प्राथमिकता देने की प्रमुख वजह है। क्योंकि प्रदेश में 29 सीटें आदिवासी बहुल्य हैं। आदिवासी चेहरे को सामने कर जातीय संतुलन बनाया जा सकता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी वर्ग से आते हैं। वे प्रदेश की लगभग 48 फीसदी आबादी का वे प्रतिनिधित्व करते हैं। आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी ओबीसी के साथ साथ आदिवासी वोट बैंक पर भी अपना पैठ बना सकेगी।
पार्टी खाद्य मंत्री अमरजीत भगत को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सरगुजा संभाग और आदिवासी दोनों को साध सकती है। खाद्य मंत्री होने की वजह से भगत की प्रदेश में कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पैठ है। इसके अलावा उन्हें सत्ता में रहने का भी अनुभव है। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भगत का नाम भी तेजी से चला था, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें पद नहीं मिल पाया। भगत की गिनती सीएम बघेल के करीबी नेताओं में होती हैं। वहीं, बस्तर से आने वाले वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटाने के बाद क्षेत्र में विरोध न हो इसलिए बस्तर को साधने के लिए दीपक बैज के नाम भी पार्टी में सहमति बन सकती है। बैज सांसद के साथ-साथ युवा चेहरा हैं। बैज की आदिवासियों में अच्छी पकड़ है। मरकाम के हटने के बाद आदिवासी वोटर्स में विरोध भी नहीं होगा।
ये वजह रही मरकाम के हटने की
जानकारों का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर लॉबिंग भी शुरू हो चुकी है। प्रदेश संगठन में होने वाले बदलाव का सीधा असर टिकटों के बंटवारे पर पड़ेगा। टिकट बंटवारे में जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राय अहम होगी। लिहाजा संगठन में ऐसे लोगों को प्रमुख पद दिए जा सकते हैं, जो इस मुद्दे पर एक राय होकर काम कर सकें। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल डेढ़ साल पहले ही पूरा हो गया था। समय समय पर मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के बीच खींचतान की खबरें भी सामने आती रहती हैं। हालांकि दोनों नेता हमेशा पार्टी को परिवार बताते हुए किसी भी तरह की गुटबाजी या नाराजगी से इनकार करते रहे हैं।
पार्टी के नए संविधान के मुताबिक होंगे बदलाव
कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हाल ही में रायपुर में हुआ था। इसमें तय किया गया कि कांग्रेस अपने संगठन में 50 फीसदी हिस्सेदारी महिलाओं दलितों आदिवासी और युवाओं को देगी। अब प्रदेश संगठन में आगामी होने वाले बदलावों में इन नियमों का ध्यान रखा जाएगा। चर्चा ये भी है कि जिला और प्रदेश स्तर में कुछ नए और पुराने पदाधिकारियों को फिर मौका दिया जाएगा। और यही टीम चुनावी मैदान में उतरेगी।