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दि हंस फाउंडेशन ने बैन्यन के साथ की सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ की शुरुआत

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला Published by: Garima Garg Updated Fri, 01 Feb 2019 05:36 PM IST
The hans foundation started Center for Mental Health
The hans foundation,
भारत में करीब 15 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के मानसिक रोग से ग्रस्त हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इनमें से केवल 10 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें देखभाल या उपचार की सुविधा मिल पाती है। ऐसे हालात में उन लोगों की जिंदि गी बदि  से बदि तर हो जाती है, जो मानसिक रोग से ग्रस्त हैं और उनके पास न तो अपना घर है और न ही रोजी रोटी ।ऐसी स्थिति में मानसिक रोग पीडि़तों को न केवल बीमारी को झेलना पड़ता है बल्कि उन्हें कई  प्रकार के उत्पीड़न भी सहन करने पड़ते हैं। नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन की 2016 में आई रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सरकार मानसिक रोगियों के इलाज की व्यवस्था करने में नाकाम रही है। सीधे शब्दों में कहें तो देशभर में गिने-चुने अस्पताल हैं, जहां मनोरोगियों के उपचार की व्यवस्था है। मानसिक रोगियों के हालात और उपचार की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए दि  हंस फाउंडेशन ने दि बैन्यन मेंटल हेल्थ (NGO)के साथ कदम बढ़ाया है। दोनों संस्थान मिलकर सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ बनाएंगे, जिसकी मदद से मानसिक रोगियों के इलाज की व्यवस्था हो सके, विशेष तौर उनकी जो बेघर हैं, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं। दि  हंस फाउंडेशन का मकसद उन लोगों को जीवन बेहतर ढंग से जीने का विकल्प उपलब्ध कराना है, जिन्हें अस्पताल में एडमिट कराने से कोई लाभ हो नहीं रहा और अस्पताल के बाहर ऐसी कोई जगह नहीं जहां उन्हें रखा जा सके। 

दि  हंस फाउंडेशन का मकसदि  है मानसिक रोगियों के लिए अस्पताल के बाहर रहने का विकल्प देना, जिससे उन्हें भी अन्य नागरिकों के समान बेहतर ढंग से जीने का अधिकार मिले। दि  हंस फाउंडेशन ने इस पवित्र कार्य के लिए दि  बैन्यन मेंटल हेल्थ (NGO) को 15 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी है। 9 दिसंबर 2018 को चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में यह वित्तीय सहायता दी गयी । इस दौरान कार्यक्रम में मौजूदि  सभी लोगों ने मानसिक रोगियों की देखभाल के कार्य को बेहतर ढंग से करने के कई विकल्पों पर चर्चा की। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श में हिस्सा लिया। 


दि हंस फाउंडेशन और दि  बैन्यन मेंटल हेल्थ (NGO) की इस पहल का मकसदि है मानसिक रोगियों के लिए समाज के अन्य नागरिकों की तरह जीने का अवसर मुहैया कराना। अस्पताल के बाहर उनके रहने के लिए ऐसी जगह तैयार करना जहां, उनके लिए कम्युनिटी लिविंग की व्यवस्था का इंतजाम हो। जहां, हर छोटी-छोटी चीज का इंतजाम उनकी जरूरतों के हिसाब हो। इस कम्युनिटी लिविंग में न केवल उनके रहने बल्कि अन्य कई प्रकार की सुविधाओं का इंतजाम होगा।
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