पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के छात्र संगठन फीस कम करवाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। एबीवीपी और एनएसयूआई ने छात्र हित में कदम आगे बढ़ाया है। उम्मीद है कि छात्रों को फीस में छूट मिलेगी।
कोरोना के कारण तमाम परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है। परिवार चलाना लोगों के लिए भारी पड़ रहा है। ऐसे में उन परिवारों के छात्रों की फीस कैसे भरी जा सकती है। इसी की लड़ाई छात्र संगठन लड़ रहे हैं। एबीवीपी की ओर से 25 दिन की हड़ताल की गई। एनएसयूआई ने 21 दिन भूख हड़ताल चलाई। अन्य छात्र संगठनों ने भी प्रदर्शन किए।
इसके बाद भी पीयू ने पांच फीसदी ही फीस में छूट दी। छात्रों ने अपनी हड़ताल आदि खत्म कर दी है, लेकिन अब वह हाईकोर्ट जाने की योजना बना रहे हैं। एबीवीपी के कार्यकर्ता जतिन सिंह कहते हैं कि छात्रों की फीस और कम होनी चाहिए थी, जो कि पीयू ने नहीं की। अब कानूनी लड़ाई के जरिये फीस कम करवाने की तैयारी चल रही है।
यही बात एनएसयूआई के अध्यक्ष निखिल नरमेटा ने कही है। वह भी छात्रों को राहत दिलाने की लिए लड़ाई लड़ेंगे। कहा कि छात्रों को पांच फीसदी छूट से कुछ लाभ नहीं होगा। कम से कम 50 फीसदी फीस पीयू को कम करनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए पीयू ने कदम नहीं उठाए।
पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) के छात्र संगठन फीस कम करवाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। एबीवीपी और एनएसयूआई ने छात्र हित में कदम आगे बढ़ाया है। उम्मीद है कि छात्रों को फीस में छूट मिलेगी।
कोरोना के कारण तमाम परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है। परिवार चलाना लोगों के लिए भारी पड़ रहा है। ऐसे में उन परिवारों के छात्रों की फीस कैसे भरी जा सकती है। इसी की लड़ाई छात्र संगठन लड़ रहे हैं। एबीवीपी की ओर से 25 दिन की हड़ताल की गई। एनएसयूआई ने 21 दिन भूख हड़ताल चलाई। अन्य छात्र संगठनों ने भी प्रदर्शन किए।
इसके बाद भी पीयू ने पांच फीसदी ही फीस में छूट दी। छात्रों ने अपनी हड़ताल आदि खत्म कर दी है, लेकिन अब वह हाईकोर्ट जाने की योजना बना रहे हैं। एबीवीपी के कार्यकर्ता जतिन सिंह कहते हैं कि छात्रों की फीस और कम होनी चाहिए थी, जो कि पीयू ने नहीं की। अब कानूनी लड़ाई के जरिये फीस कम करवाने की तैयारी चल रही है।
यही बात एनएसयूआई के अध्यक्ष निखिल नरमेटा ने कही है। वह भी छात्रों को राहत दिलाने की लिए लड़ाई लड़ेंगे। कहा कि छात्रों को पांच फीसदी छूट से कुछ लाभ नहीं होगा। कम से कम 50 फीसदी फीस पीयू को कम करनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए पीयू ने कदम नहीं उठाए।