न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 02 Apr 2021 11:47 AM IST
चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव को लेकर चल रहे विवाद का गुरुवार को हाईकोर्ट ने निपटारा कर दिया। हाईकोर्ट ने पीयू को दो माह के भीतर सीनेट चुनाव संपन्न करवाने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश की शुरुआत करते हुए जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा कि जैसे शराब मजबूत आदमी को भी मदहोश कर देती है, वैसे ही शक्ति अच्छे व्यक्ति को भी खुमार चढ़ा देती है। कोई भी व्यक्ति इतना अच्छा और बुद्धिमान नहीं होता कि असीमित शक्ति के साथ उस पर विश्वास किया जा सके।
पीयू के सीनेटर प्रोफेसर केशव मल्होत्रा व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि सीनेट का कार्यकाल खत्म होने के बावजूद चुनाव नहीं करवाया जा रहा है। पीयू ने नवंबर 2019 में सीनेट के चुनाव का कार्यक्रम जारी किया था। जून में चुनाव के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति का नोटिस भी जारी कर दिया गया था। अगस्त में कोरोना संक्रमण के चलते चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल ने चुनाव न करवाने की राय दी। इसके बाद 17 अक्तूबर को वीसी ने चुनाव को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया था।
याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पीयू जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान में चुनाव न होने के चलते व्यवस्था खराब हो रही है। इससे पीयू की ख्याति को धब्बा लग सकता है। इस मामले में जिस प्रकार से चुनाव करवाने में देरी करवाई गई है, वह यूनिवर्सिटी की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
हाईकोर्ट ने पीयू की यह दलील कि 90 में से केवल 7 सीनेटर सामने आए हैं, बाकी खुश हैं, को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल एक सीनेटर आता तो भी याचिका पर सुनवाई होती। पीयू की दूसरी दलील कि वोटर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी और हिमाचल प्रदेश से हैं और कोरोना के कारण चुनाव नहीं करवाया जा रहा है, भी खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने कहा कि देश भर में विभिन्न निकायों, विधानसभा व अन्य चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में पीयू की यह दलील सही नहीं है। सभी दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीयू को दो माह में चुनाव करवाने का आदेश दिया है।
फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं
- पीयू की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था सीनेट का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सिंडिकेट भी मौजूद नहीं है। ऐसे में पीयू को कैसे चलाया जा रहा है। अब वन मैन शो चल रहा है जोकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।
- वीसी को अधिकार है कि वह चुनाव को परिस्थितियों के अनुरूप टाल सकते हैं, लेकिन अधिकार इतना भी नहीं है कि देशभर में चुनाव हो रहे हैं और वीसी ने चुनाव को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया।
- पीयू ने केवल चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल की सलाह को आधार बनाकर चुनाव अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया, यह बात हमारे मन में शंका पैदा कर रही है।
विवाद पर दुख जताया
हाईकोर्ट ने कहा कि पीयू का संविधान बनाने वालों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि जो वह शैक्षणिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए तैयार कर रहे हैं, उसका इस्तेमाल अकादमिक अधिकारी अपने हित साधने के साधन के रूप में करेंगे।
विस्तार
चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव को लेकर चल रहे विवाद का गुरुवार को हाईकोर्ट ने निपटारा कर दिया। हाईकोर्ट ने पीयू को दो माह के भीतर सीनेट चुनाव संपन्न करवाने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश की शुरुआत करते हुए जस्टिस फतेहदीप सिंह ने कहा कि जैसे शराब मजबूत आदमी को भी मदहोश कर देती है, वैसे ही शक्ति अच्छे व्यक्ति को भी खुमार चढ़ा देती है। कोई भी व्यक्ति इतना अच्छा और बुद्धिमान नहीं होता कि असीमित शक्ति के साथ उस पर विश्वास किया जा सके।
पीयू के सीनेटर प्रोफेसर केशव मल्होत्रा व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया था कि सीनेट का कार्यकाल खत्म होने के बावजूद चुनाव नहीं करवाया जा रहा है। पीयू ने नवंबर 2019 में सीनेट के चुनाव का कार्यक्रम जारी किया था। जून में चुनाव के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति का नोटिस भी जारी कर दिया गया था। अगस्त में कोरोना संक्रमण के चलते चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल ने चुनाव न करवाने की राय दी। इसके बाद 17 अक्तूबर को वीसी ने चुनाव को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया था।
याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पीयू जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान में चुनाव न होने के चलते व्यवस्था खराब हो रही है। इससे पीयू की ख्याति को धब्बा लग सकता है। इस मामले में जिस प्रकार से चुनाव करवाने में देरी करवाई गई है, वह यूनिवर्सिटी की मंशा पर सवाल खड़ा करता है।
हर दलील पर उठाए सवाल
हाईकोर्ट ने पीयू की यह दलील कि 90 में से केवल 7 सीनेटर सामने आए हैं, बाकी खुश हैं, को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल एक सीनेटर आता तो भी याचिका पर सुनवाई होती। पीयू की दूसरी दलील कि वोटर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी और हिमाचल प्रदेश से हैं और कोरोना के कारण चुनाव नहीं करवाया जा रहा है, भी खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने कहा कि देश भर में विभिन्न निकायों, विधानसभा व अन्य चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में पीयू की यह दलील सही नहीं है। सभी दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीयू को दो माह में चुनाव करवाने का आदेश दिया है।
फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं
- पीयू की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था सीनेट का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सिंडिकेट भी मौजूद नहीं है। ऐसे में पीयू को कैसे चलाया जा रहा है। अब वन मैन शो चल रहा है जोकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।
- वीसी को अधिकार है कि वह चुनाव को परिस्थितियों के अनुरूप टाल सकते हैं, लेकिन अधिकार इतना भी नहीं है कि देशभर में चुनाव हो रहे हैं और वीसी ने चुनाव को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया।
- पीयू ने केवल चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल की सलाह को आधार बनाकर चुनाव अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया, यह बात हमारे मन में शंका पैदा कर रही है।
विवाद पर दुख जताया
हाईकोर्ट ने कहा कि पीयू का संविधान बनाने वालों ने यह सोचा भी नहीं होगा कि जो वह शैक्षणिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए तैयार कर रहे हैं, उसका इस्तेमाल अकादमिक अधिकारी अपने हित साधने के साधन के रूप में करेंगे।