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लॉकडाउन के कारण लगभग दस महीने बच्चे स्कूलों से दूर रहे हैं। ऐसे में उन्हें सुबह स्कूल आने के लिए उठना भी नहीं पड़ता था। सरकार ने विद्यार्थियों के लिए हाजिरी भी अनिवार्य नहीं कर रखी है। इसकी वजह से विद्यार्थियों में रात को देरी से सोना, सुबह जल्दी न उठना, घंटों मोबाइल पर व्यस्त रहना जैसी आदतें बढ़ गई हैं। कई स्कूलों में अभिभावक स्कूल प्रबंधन को ई-मेल और फोन के जरिए बच्चों की काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने स्कूलों को खोलने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन किसी भी बच्चे को स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही कक्षा हाजिरी के लिए भी स्कूल किसी बच्चे को बाध्य नहीं करेगा। ऐसे में कई विद्यार्थी इस छूट का फायदा उठा रहे हैं। अभिभावक स्कूल में फोन कर कह रहे हैं कि हमारे बच्चे सुबह जल्दी नहीं उठ रहे हैं। शिक्षक उन्हें कहें कि उनका स्कूल आना जरूरी है जिससे उन्हें दोबारा से अनुशासित किया जा सके। घर में अभिभावकों के दफ्तर चले जाने पर पीछे से बच्चे क्या कर रहे हैं, इसकी भी देखरेख नहीं हो पा रही है।
बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दे पा रहे अभिभावक
स्कूल को कई अभिभावकों के उनके बच्चों की काउंसलिंग करने के लिए ई-मेल और फोन आ रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों में आलस बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम दिन में नौकरी पर जाते हैं तो बच्चों की गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दे पा रहे हैं। स्कूल शिक्षक बच्चों की काउंसलिंग कर उनमें अनुशासन और समय प्रबंधन के लिए प्रेरित करें। हम ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए बच्चों में लॉकडाउन की पड़ी खराब आदतों को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें सुबह के समय शारीरिक गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। - लुइस लोपेज, प्राचार्य, सेंट स्टीफन स्कूल
घर में बच्चों का अनुशासन अभिभावकों की जिम्मेदारी
लंबे समय से बच्चे घर में रह रहे हैं, इसलिए उनकी आदतों में बदलाव आना लाजमी है। बच्चे शिक्षकों के साथ सीधे तौर पर संपर्क में भी नहीं हैं, इसलिए यहां अभिभावकों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। बच्चों को सुबह जल्दी उठाना, उनके पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के घंटे तय करना जैसी चीजों पर अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है। हम ऑनलाइन और मोबाइल पर बच्चों की इन सब गतिविधियों को लेकर काउंसलिंग कर रहे हैं, लेकिन अभिभावकों को इस अनुशासन को घर में लागू करने की जरूरत है।
-अनुजा शर्मा, प्राचार्या, डीएवी स्कूल-15
बच्चों को स्कूल बुलाकर दे रहे काउंसलिंग
कई विद्यार्थी जिन्हें किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधियों में समस्या आ रही है, उन्हें हम अभिभावकों की अनुमति के साथ स्कूल बुला रहे हैं। स्कूल में काउंसलर और शिक्षक उनके पाठ्यक्रम संबंधित प्रश्न हल करने के साथ उन्हें अनुशासन में रहने और पढ़ाई व अन्य गतिविधियों के लिए समय तय कैसे करें, इसकी जानकारी दे रहे हैं।
- सीमा बिजी, प्राचार्या, मोतीराम स्कूल
विद्यार्थियों के व्यवहार में आया बदलाव
हमारे स्कूल में छोटे बच्चे बड़ी खुशी से स्कूल आ रहे हैं, लेकिन दसवीं-बारहवीं जैसी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला है। शिक्षक और अभिभावक दोनों का कहना है कि लॉकडाउन में विद्यार्थियों में अनुशासन की कमी आई है। इसके साथ ही कई विद्यार्थी सामान्य कक्षा में शिक्षकों की ओर से दिया कार्य भी समय पर पूरा नहीं कर रहे हैं।
- सीमा रानी, प्राचार्या, जीएमएसएसएस- धनास
लॉकडाउन के कारण लगभग दस महीने बच्चे स्कूलों से दूर रहे हैं। ऐसे में उन्हें सुबह स्कूल आने के लिए उठना भी नहीं पड़ता था। सरकार ने विद्यार्थियों के लिए हाजिरी भी अनिवार्य नहीं कर रखी है। इसकी वजह से विद्यार्थियों में रात को देरी से सोना, सुबह जल्दी न उठना, घंटों मोबाइल पर व्यस्त रहना जैसी आदतें बढ़ गई हैं। कई स्कूलों में अभिभावक स्कूल प्रबंधन को ई-मेल और फोन के जरिए बच्चों की काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने स्कूलों को खोलने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन किसी भी बच्चे को स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही कक्षा हाजिरी के लिए भी स्कूल किसी बच्चे को बाध्य नहीं करेगा। ऐसे में कई विद्यार्थी इस छूट का फायदा उठा रहे हैं। अभिभावक स्कूल में फोन कर कह रहे हैं कि हमारे बच्चे सुबह जल्दी नहीं उठ रहे हैं। शिक्षक उन्हें कहें कि उनका स्कूल आना जरूरी है जिससे उन्हें दोबारा से अनुशासित किया जा सके। घर में अभिभावकों के दफ्तर चले जाने पर पीछे से बच्चे क्या कर रहे हैं, इसकी भी देखरेख नहीं हो पा रही है।
बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दे पा रहे अभिभावक
स्कूल को कई अभिभावकों के उनके बच्चों की काउंसलिंग करने के लिए ई-मेल और फोन आ रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों में आलस बहुत ज्यादा बढ़ गया है। हम दिन में नौकरी पर जाते हैं तो बच्चों की गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दे पा रहे हैं। स्कूल शिक्षक बच्चों की काउंसलिंग कर उनमें अनुशासन और समय प्रबंधन के लिए प्रेरित करें। हम ऑनलाइन काउंसलिंग के जरिए बच्चों में लॉकडाउन की पड़ी खराब आदतों को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें सुबह के समय शारीरिक गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। - लुइस लोपेज, प्राचार्य, सेंट स्टीफन स्कूल
घर में बच्चों का अनुशासन अभिभावकों की जिम्मेदारी
लंबे समय से बच्चे घर में रह रहे हैं, इसलिए उनकी आदतों में बदलाव आना लाजमी है। बच्चे शिक्षकों के साथ सीधे तौर पर संपर्क में भी नहीं हैं, इसलिए यहां अभिभावकों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है। बच्चों को सुबह जल्दी उठाना, उनके पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के घंटे तय करना जैसी चीजों पर अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है। हम ऑनलाइन और मोबाइल पर बच्चों की इन सब गतिविधियों को लेकर काउंसलिंग कर रहे हैं, लेकिन अभिभावकों को इस अनुशासन को घर में लागू करने की जरूरत है। -अनुजा शर्मा, प्राचार्या, डीएवी स्कूल-15
बच्चों को स्कूल बुलाकर दे रहे काउंसलिंग
कई विद्यार्थी जिन्हें किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधियों में समस्या आ रही है, उन्हें हम अभिभावकों की अनुमति के साथ स्कूल बुला रहे हैं। स्कूल में काउंसलर और शिक्षक उनके पाठ्यक्रम संबंधित प्रश्न हल करने के साथ उन्हें अनुशासन में रहने और पढ़ाई व अन्य गतिविधियों के लिए समय तय कैसे करें, इसकी जानकारी दे रहे हैं। - सीमा बिजी, प्राचार्या, मोतीराम स्कूल
विद्यार्थियों के व्यवहार में आया बदलाव
हमारे स्कूल में छोटे बच्चे बड़ी खुशी से स्कूल आ रहे हैं, लेकिन दसवीं-बारहवीं जैसी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला है। शिक्षक और अभिभावक दोनों का कहना है कि लॉकडाउन में विद्यार्थियों में अनुशासन की कमी आई है। इसके साथ ही कई विद्यार्थी सामान्य कक्षा में शिक्षकों की ओर से दिया कार्य भी समय पर पूरा नहीं कर रहे हैं। - सीमा रानी, प्राचार्या, जीएमएसएसएस- धनास