भारत तथा चीन के बीच तुलना अनुचित है, क्योंकि आकार में अपेक्षाकृत पांच गुना बड़े चीन से भारत ‘काफी पीछे’ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर
रघुराम राजन ने यह बात कही। उन्होंने देश के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि भारत तथा चीन के बीच अक्सर तुलना होती है। यह तुलना कुछ हद तक भारत के लिए अनुचित है, क्योंकि दोनों बेहद अलग राष्ट्र हैं।
शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में कैथेरीन दुसाक मिलर डिस्टिंग्विश सर्विस प्रोफेसर ऑफ फाइनेंस रघुराम राजन ने 11 अप्रैल को हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में ‘लीवरेज, फाइनेंशियल क्राइसिस, एंड पॉलिसिज टू रेज इकोनॉमिक ग्रोथ’ विषय पर 2018 अल्बर्ट एच गॉर्डन व्याख्यान दिया।
भारत से पांच गुना बड़ा है चीन
राजन ने कहा कि चीन की तुलना में भारत काफी पीछे है। चीन आकार में भारत से पांच गुना बड़ा है, हालांकि दोनों राष्ट्रों की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान है, क्योंकि दोनों देशों की आबादी लगभग बराबर होने जा रही है।
उन्होंने बीते 25 वर्षों से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर के सात फीसदी रहने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि चीन से तुलना को छोड़कर अन्य किसी भी मापदंड से भारत एक बेहद आकर्षित करने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
चीन ने क्या किया, जो भारत ने नहीं किया मुद्दे पर राजन ने कहा कि भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर तथा निर्माण का काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि चीन का विकास तथा उत्पादन विकास का एक बड़ा हिस्सा बेहतर लॉजिस्टिक्स, बंदरगाहों तक पहुंच तथा सड़कों के रूप में दिखाई पड़ता है, जो भारत में नदारद है।
राजन ने भारत में सिक्स-लेन हाइवे के निर्माण के एक काल्पनिक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की परियोजना पर वहां जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल है, क्योंकि ऐसा करने के लिए कई लोगों की जमीन चाहिए होगी।
उन्होंने कहा कि आपके पास दुनिया की लगभग पहली सिविल सोसायटी, बेहद तिकड़म वाले नेता लेकिन तीसरी दुनिया का प्रशासन है। ये सब जब मिल जाते हैं, तो भारत में जमीन अधिग्रहण करना और और उस पर बड़ी परियोजनाओं का निर्माण करना बेहद कठिन हो जाता है।
लोकतंत्र सबसे सकारात्मक पहलू
राजन ने आशा जताते हुए कहा कि कभी-कभी हम यह बताएंगे कि इसे सही तरीके से कैसे अंजाम देना है। इस संबंध में भारत का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि यह एक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि अंतत: मेरा यही मानना है कि विकास के लिए सबसे मजबूत प्रणाली सरकारी प्रणाली नहीं है, न ही एक निरंकुश प्रणाली। जब आप आगे हैं, तो एक उदार बाजार लोकतंत्र सबसे मजबूत प्रणाली है, क्योंकि इसमें नियंत्रण व संतुलन होता है।
उच्च विकास दर की ओर अग्रसर
राजन ने कहा कि भारत उच्च विकास हासिल करने की ओर अग्रसर है। इसे हासिल करने के लिए भारत को काफी कुछ करना होगा, हालांकि इस दिशा में उसके आगे कोई बड़ी बाधा नहीं है। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि इस राह पर वह निरंकुशता न अपनाए, बल्कि इसे हासिल करने के लिए उसके पास तमाम खूबियों हों।
साल 2017 में चीन की जीडीपी विकास दर भारत के 6.7 के मुकाबले बढ़कर 6.8 फीसदी रही, जिसके कारण उसे सबसे तेजी से विकास करने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल हुआ।
साल 2016 में 7.1 फीसदी की दर से विकास करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2017 में नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी तथा जुलाई 2017 में जीएसटी क्रियान्वयन से सुस्त रही।
भारत तथा चीन के बीच तुलना अनुचित है, क्योंकि आकार में अपेक्षाकृत पांच गुना बड़े चीन से भारत ‘काफी पीछे’ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर
रघुराम राजन ने यह बात कही। उन्होंने देश के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार पर जोर देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि भारत तथा चीन के बीच अक्सर तुलना होती है। यह तुलना कुछ हद तक भारत के लिए अनुचित है, क्योंकि दोनों बेहद अलग राष्ट्र हैं।
शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में कैथेरीन दुसाक मिलर डिस्टिंग्विश सर्विस प्रोफेसर ऑफ फाइनेंस रघुराम राजन ने 11 अप्रैल को हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में ‘लीवरेज, फाइनेंशियल क्राइसिस, एंड पॉलिसिज टू रेज इकोनॉमिक ग्रोथ’ विषय पर 2018 अल्बर्ट एच गॉर्डन व्याख्यान दिया।
भारत से पांच गुना बड़ा है चीन
राजन ने कहा कि चीन की तुलना में भारत काफी पीछे है। चीन आकार में भारत से पांच गुना बड़ा है, हालांकि दोनों राष्ट्रों की प्रति व्यक्ति आय लगभग समान है, क्योंकि दोनों देशों की आबादी लगभग बराबर होने जा रही है।
उन्होंने बीते 25 वर्षों से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर के सात फीसदी रहने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि चीन से तुलना को छोड़कर अन्य किसी भी मापदंड से भारत एक बेहद आकर्षित करने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दिया
gdp
चीन ने क्या किया, जो भारत ने नहीं किया मुद्दे पर राजन ने कहा कि भारत ने इंफ्रास्ट्रक्चर तथा निर्माण का काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि चीन का विकास तथा उत्पादन विकास का एक बड़ा हिस्सा बेहतर लॉजिस्टिक्स, बंदरगाहों तक पहुंच तथा सड़कों के रूप में दिखाई पड़ता है, जो भारत में नदारद है।
राजन ने भारत में सिक्स-लेन हाइवे के निर्माण के एक काल्पनिक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की परियोजना पर वहां जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल है, क्योंकि ऐसा करने के लिए कई लोगों की जमीन चाहिए होगी।
उन्होंने कहा कि आपके पास दुनिया की लगभग पहली सिविल सोसायटी, बेहद तिकड़म वाले नेता लेकिन तीसरी दुनिया का प्रशासन है। ये सब जब मिल जाते हैं, तो भारत में जमीन अधिग्रहण करना और और उस पर बड़ी परियोजनाओं का निर्माण करना बेहद कठिन हो जाता है।
लोकतंत्र सबसे सकारात्मक पहलू
राजन ने आशा जताते हुए कहा कि कभी-कभी हम यह बताएंगे कि इसे सही तरीके से कैसे अंजाम देना है। इस संबंध में भारत का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि यह एक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि अंतत: मेरा यही मानना है कि विकास के लिए सबसे मजबूत प्रणाली सरकारी प्रणाली नहीं है, न ही एक निरंकुश प्रणाली। जब आप आगे हैं, तो एक उदार बाजार लोकतंत्र सबसे मजबूत प्रणाली है, क्योंकि इसमें नियंत्रण व संतुलन होता है।
उच्च विकास दर की ओर अग्रसर
राजन ने कहा कि भारत उच्च विकास हासिल करने की ओर अग्रसर है। इसे हासिल करने के लिए भारत को काफी कुछ करना होगा, हालांकि इस दिशा में उसके आगे कोई बड़ी बाधा नहीं है। उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि इस राह पर वह निरंकुशता न अपनाए, बल्कि इसे हासिल करने के लिए उसके पास तमाम खूबियों हों।
साल 2017 में चीन की जीडीपी विकास दर भारत के 6.7 के मुकाबले बढ़कर 6.8 फीसदी रही, जिसके कारण उसे सबसे तेजी से विकास करने वाली उभरती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल हुआ।
साल 2016 में 7.1 फीसदी की दर से विकास करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2017 में नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी तथा जुलाई 2017 में जीएसटी क्रियान्वयन से सुस्त रही।