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The trend of 'embedded insurance' has increased, but what changes are needed in this field?
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Insurance: बीमा बाजार में बढ़ा में ‘एम्बेडेड इंश्योरेंस’ का चलन, पर इस क्षेत्र में और किन बदलावों की है जरूरत?
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Thu, 22 Dec 2022 02:55 PM IST
सार
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Insurance: भारत में पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि यह लाइफ इंश्योरेंस का बाजार है पर इसकी बिक्री भी आसान नहीं है। हाल के वर्षों में टर्म कवर पॉलिसीज को लेकर जागरूकता बढ़ी है लेकिन इन्हें बेचना अब भी चुनौती है।
बीमा बाजार में बीते कुछ समय से एम्बेडे इंश्योरेंस की चर्चा है। जैसे-जैसे तकनीक का चलन बढ़ा है बाजार में एमबेडेड इंश्योरेंस यानी ऑनलाइन बीमा की खरीद के विकल्प भी बढ़े हैं। आज के समय में डिजिटल फर्स्ट दुनिया हकीकत बन गई है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की 60 फीसदी आबादी आज के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल कर रही है। बकौल रिपोर्ट्स, केवल भारत में 69 करोड़ लोग इंटरनेट यूज करते हैं और 39 करोड़ लोग सक्रिय रूप से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं। इससे डिस्ट्रिब्यूशन यानी वितरण के एक अहम आयाम व कस्टमर एंगेजमेंट के एक प्रभावी माध्यम के रूप में डिजिटल के महत्व का पता चलता है।
# तकनीक का चलन बढ़ने से बीमा बाजार में ग्राहकों की अपेक्षाएं बदलीं
श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ कैस्परस जेएच क्रॉमहौट के अनुसार, आज के डिजिटल फर्स्ट वर्ल्ड में ग्राहकों का व्यवहार व अपेक्षाएं पूरी तरह बदल गई हैं। आज के समय में ग्राहक ऐस प्रोडक्ट्स चाहते हैं जिनके इस्तेमाल में किसी तरह का झंझट ना हो और जिनसे जुड़े बेनिफिट्स को या तो डिजिटल तरीके से लिया जा सकता हो या फिर कम-से-कम डिजिटल तरीके से ट्रैक किया जा सकता हो। इन सबसे बढ़कर ग्राहक अपनी डिजिटल यात्रा के दौरान कुछ एडेड बेनिफिट्स, सेवा से जुड़े अनुभव एवं डिलीवरी की ज्यादा तेज रफ्तार की उम्मीद करते है। इसके साथ ही डिजिटल से इंश्योरेंस कंपनियों एवं डिस्ट्रिब्यूटर्स को अपनी पहुंच ज्यादा ग्राहकों तक बढ़ाने का मौका भी मिल रहा है। इनोवेशन एवं टेक्नोलॉजी की वजह से इंश्योरटेक के लिए संभावनाओं का द्वार खुल गया है।
# बीमा सेक्टर में उपलब्ध ऑनलाइन विकल्पों की तलाश करने लगे हैं ग्राहक
भारत में पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि इंश्योरेंस और खासकर लाइफ इंश्योरेंस बेचा जाता है और इसकी बिक्री आसान नहीं है। हाल के वर्षों में टर्म कवर पॉलिसीज को लेकर जागरूकता बढ़ी है लेकिन इन्हें बेचना अब भी चुनौती है। हालांकि अब अधिक ग्राहक इंश्योरेंस के महत्व को लेकर जागरूक हुए हैं और ऑनलाइन उपलब्ध इंश्योरेंस विकल्पों के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी हासिल करने में लगे हैं। हालांकि, ये देखा गया है कि अधिकतर लोग इंश्योरेंस खरीदने का निर्णय लेने से पहले किसी कॉल सेंटर या एजेंट या एडवाइजर की तुलना में सीधे तौर पर किसी एजेंट से मिलकर विचार-विमर्श करना पसंद करते हैं। एक्सेंचर की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इंश्योरेंस खरीदने वाले केवल 15 फीसदी लोग पूरी तरह से ऑनलाइन तरीके से इंश्योरेंस खरीदते हैं।
# इंटरनेट की मौजूदगी से बीमा बाजार के पास सुदूर ग्रामीण इलाकों तक पहुंचने का मौका
इस प्रकार इंश्योरेंस की ऑनलाइन बिक्री के मौजूदा मॉडल से इंडस्ट्री की विजिबलिटी बढ़ी है और लोगों को इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध कराने में मदद मिल रही है लेकिन यह कुल मौजूद ग्राहकों से जुड़ी संभावनाओं को भुनाने के करीब भी नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत के ऑनलाइन यूजर्स में करीब 50 फीसदी ग्रामीण इलाकों से है और डिजिटल के पास भारत के सबसे सुदूर इलाके तक पहुंचने या समाज के हर तबके तक पहुंचने का बड़ा मौका है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों को भारत में इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की बिक्री के तरीके एवं डिजिटल ऑफर्स में ग्राहकों को किस तरह बेस्ट वैल्यू मिल सकता है इस बारे में दोबारा विचार करने की जरूरत है।
# डिजिटल का चलन बढ़ने से बीमा कंपनियों के लिए ग्राहकों को समाधान उपलब्ध कराना हुआ आसान
डिजिटल के जरिए कंपनियों को ‘प्रोडक्ट्स’ की अवधारणा से हटकर ग्राहकों को समाधान उपलब्ध कराने की संभावनाओं का द्वार खुल जाता है। एम्बेडेड इंश्योरेंस ऐसा एक उदाहरण है जहां इंश्योरेंस कंपनी ग्राहकों को अन्य प्रोडक्ट या सर्विस की खरीद पर समाधान ऑनलाइन तरीके से पेश कर सकती है। एम्बेडेड इंश्योरेंस को निर्विवाद रूप से ऐसे प्वाइंट पर मौजूदगी का फायदा मिलता है जहां ग्राहक पहले से अवेलेबल हो और ऐसे में जब वैल्यू इंश्योरेंस को पिच किया जाता है तो ग्राहक के उसके फायदे को समझने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
# क्या है एम्बेडेड इंश्योरेंश, इससे ग्राहकों को क्या फायदा है?
असान भाषा में समझें तो ऑनलाइन उपलब्ध बीमा विकल्पों को एम्बेडेड इंश्योरेंस कहा जा सकता है। एम्बेडेड इंश्योरेंस कोई नया विचार नहीं है। अगर आप एम्बेडेड इंश्योरेंस के पहले के उदाहरण को समझना चाहते हैं तो आप इसके जरिए इसे समझ सकते हैं कि जब कोई ग्राहक होम लोन लेता है तो उसे कवर करने के लिए एक टर्म प्लान भी लेता है। हालांकि, डिजिटल के नए युग में ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन प्रदान करने के बहुत अधिक मौके मौजूद हैं। इनके अलावा ‘फिजिटल’ मॉडल से ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से सभी प्रोडक्ट्स/ सर्विसेज की बिक्री में डिजिटल का महत्व इतना अधिक होता है कि ग्राहकों को वैल्यू एडेड सर्विस उपलब्ध कराना ना सिर्फ मुमकिन होता है बल्कि ग्राहकों से ऐसी आकांक्षा भी होती है।
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# यह ध्यान रखना जरूरी कि एम्बेडेड इंश्योरेंस महज एक डिस्ट्रीब्यूशन चैनल बनकर ना रह जाए
श्रीराम लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ कैस्परस जेएच क्रॉमहौट के अनुसार, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखने की जरूरत होती है कि एम्बेडेड इंश्योरेंस इंश्योरर के लिए एक अन्य डिस्ट्रिब्यूशन चैनल बनकर ना रह जाए। प्रोडक्ट्स के साथ इंश्योरेंस को एम्बेड करने से इंश्योरेंस कंपनी के साथ-साथ यह उस प्रोडक्ट/ सर्विस के लिए भी फायदेमंद साबित होना चाहिए जिसके साथ इसे एम्बेड किया गया हो। यह ग्राहकों के बेहतर अनुभव के लिए हर तरह का समाधान उपलब्ध कराता है और लॉयलिटी में सुधार करता है एवं ग्राहकों के रिटेंशन एवं माउथ पब्लिसिटी को बढ़ाता है।
# एम्बेडेड इंश्योरेंस के उत्पाद ग्राहकों की उम्मीदों के अनुरूप होने जरूरी
क्रॉमहौट के अनुसार, एम्बेडेड इंश्योरेंस के लिए प्रोडक्ट इनोवेशन (उत्पाद से संबंधित नवाचार) और उसे ग्राहकों के जरूरत के अनुरूप बनाए जाने की आवश्यकता होती है। प्रोडक्ट इस तरह सिंपल होना चाहिए कि प्रभावी संवाद के जरिए ग्राहकों को उसके बारे में समझने में किसी तरह की परेशानी ना हो। एनालिटिक्स के इस्तेमाल के जरिए इंश्योरेंस सॉल्यूशन को इंश्योरेंस की जरूरत के हिसाब से कस्टमाइज किया जा सकता है और हर तरह के ग्राहकों के लिए उचित राशि की कवरेज प्रदान की जा सकती है। ग्राहकों की पूरी यात्रा को प्रोएक्टिव व प्रभावी प्रक्रिया के जरिए नए सिरे से सोचने की जरूरत होती है. ग्राहकों की पूरी यात्रा और अनुभव एवं खास तौर पर क्लेम से जुड़ा अनुभव डिजिटल को लेकर ग्राहकों की उम्मीदों के अनुरूप होना चाहिए। कस्टमर एंगेजमेंट एक अन्य प्रमुख पहलू है जो आक्रामक हुए बगैर अनूठा एवं प्रभावी होना चाहिए।
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