वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए आईआईटी खड़गपुर के 50 छात्रों की एक टीम ने एक इलेक्ट्रिक वाहन विकसित किया है। इसका नाम देशला (DESHLA) रखा गया है। आईआईटी खड़गपुर के मुताबिक टीम द्वारा डिजाइन और बनाया गया नया इलेक्ट्रिक वाहन देशला (DESHLA) देश में मौजूदा ऑटो और ई-रिक्शा से भी बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
50 छात्रों की इस टीम का नेतृत्व संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विक्रांत राचेरला कर रहे हैं। इस टीम 11 सितंबर को नेक्स्ट-जेन इलेक्ट्रिक ऑटो का मॉडल पेश था। इसमें पावरफुल मोटर के साथ, लिथियम आयन बैटरी लगी है, जो 6-7 सालों तक चल सकती है। इस वाहन में बेहतर क्वालिटी का इस्तेमाल किया है ताकि यह भार सहने सक्षम हो। इसमें मजबूत फ्रेम दिया है। इतना ही नहीं इसे चलाना भी बेहद सरल है।
उच्च रखरखाव वाले ई-रिक्शा से भी बेहतर है
एक तरफ जहां मौजूदा ई-रिक्शा लीड-एसिड बैटरी से चलते हैं तो वहीं नया देशला लिथियम आयन बैटरी से चलता है। यह मौजूदा ई-रिक्शा की तरह चलता है इसमें एक स्टीयरिंग है। इसके रियर में सस्पेंशन लगे हैं ताकि इसमें बैठें वालों को आराम महसूस हो सके। इतना ही बेहतर ब्रेकिंग के लिए इसमें हाइड्रोलिक ब्रेक का उपयोग किया गया है।
वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए आईआईटी खड़गपुर के 50 छात्रों की एक टीम ने एक इलेक्ट्रिक वाहन विकसित किया है। इसका नाम देशला (DESHLA) रखा गया है। आईआईटी खड़गपुर के मुताबिक टीम द्वारा डिजाइन और बनाया गया नया इलेक्ट्रिक वाहन देशला (DESHLA) देश में मौजूदा ऑटो और ई-रिक्शा से भी बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
50 छात्रों की इस टीम का नेतृत्व संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विक्रांत राचेरला कर रहे हैं। इस टीम 11 सितंबर को नेक्स्ट-जेन इलेक्ट्रिक ऑटो का मॉडल पेश था। इसमें पावरफुल मोटर के साथ, लिथियम आयन बैटरी लगी है, जो 6-7 सालों तक चल सकती है। इस वाहन में बेहतर क्वालिटी का इस्तेमाल किया है ताकि यह भार सहने सक्षम हो। इसमें मजबूत फ्रेम दिया है। इतना ही नहीं इसे चलाना भी बेहद सरल है।
उच्च रखरखाव वाले ई-रिक्शा से भी बेहतर है
एक तरफ जहां मौजूदा ई-रिक्शा लीड-एसिड बैटरी से चलते हैं तो वहीं नया देशला लिथियम आयन बैटरी से चलता है। यह मौजूदा ई-रिक्शा की तरह चलता है इसमें एक स्टीयरिंग है। इसके रियर में सस्पेंशन लगे हैं ताकि इसमें बैठें वालों को आराम महसूस हो सके। इतना ही बेहतर ब्रेकिंग के लिए इसमें हाइड्रोलिक ब्रेक का उपयोग किया गया है।