आतंकवाद वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अक्तूबर, 2019 तक अगर पाकिस्तान उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है तो उसे ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
पेरिस स्थित इस संस्था ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक खामियों को दूर करने की अपनी योजना पर अमल के लिए काम जारी रखना होगा। इसके तहत वह आतंकी संगठनों के वित्तपोषण के जोखिम को लेकर संवेदनशीलता के आधार पर निगरानी करे। फिलहाल, वह आईएस, अलकायदा, जमात-उद-दावा, फालेह-ए-इंसानियत, लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों की ओर से पेश किए जा रहे आतंकवाद वित्तपोषण जोखिम को लेकर उचित समझ नहीं दिखा रहा।
एक सप्ताह चली बैठक के बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया। बैठक में शामिल रहे भारतीय अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को मई, 2019 तक कार्ययोजना को पूरा करने को कहा है। जून 2019 में इसकी पुनर्समीक्षा होगी। अब पाकिस्तान के पास अक्तूबर तक का समय है। अगर वह सुधार नहीं करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
उत्तर कोरिया और ईरान ब्लैक लिस्ट में
इस समय उत्तर कोरिया और ईरान ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं। अगर पाकिस्तान को भी इस सूची में डाल दिया जाता है तो इससे उस पर बड़ा असर पड़ेगा। ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बैंक पाकिस्तान से बाहर जा सकते हैं और इससे उसका राजस्व घाटा बढ़ सकता है।
एफएटीएफ ने की पुलवामा हमले की निंदा
एफएटीएफ ने कहा कि वह पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमले पर गौर करते हुए गंभीर चिंता जताता है और उसकी निंदा करता है।
क्या होता है एफएटीएफ
इसका गठन 1989 में दुनिया के 37 देशों ने मिलकर किया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से दुनिया को बचाना है। यह वैश्विक आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रहरी के रूप में काम करने वाला संगठन है।
आतंकवाद वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने कहा कि पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर अक्तूबर, 2019 तक अगर पाकिस्तान उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है तो उसे ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
पेरिस स्थित इस संस्था ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक खामियों को दूर करने की अपनी योजना पर अमल के लिए काम जारी रखना होगा। इसके तहत वह आतंकी संगठनों के वित्तपोषण के जोखिम को लेकर संवेदनशीलता के आधार पर निगरानी करे। फिलहाल, वह आईएस, अलकायदा, जमात-उद-दावा, फालेह-ए-इंसानियत, लश्कर-ए-ताइबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों की ओर से पेश किए जा रहे आतंकवाद वित्तपोषण जोखिम को लेकर उचित समझ नहीं दिखा रहा।
एक सप्ताह चली बैठक के बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला किया। बैठक में शामिल रहे भारतीय अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को मई, 2019 तक कार्ययोजना को पूरा करने को कहा है। जून 2019 में इसकी पुनर्समीक्षा होगी। अब पाकिस्तान के पास अक्तूबर तक का समय है। अगर वह सुधार नहीं करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
उत्तर कोरिया और ईरान ब्लैक लिस्ट में
इस समय उत्तर कोरिया और ईरान ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं। अगर पाकिस्तान को भी इस सूची में डाल दिया जाता है तो इससे उस पर बड़ा असर पड़ेगा। ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बैंक पाकिस्तान से बाहर जा सकते हैं और इससे उसका राजस्व घाटा बढ़ सकता है।
एफएटीएफ ने की पुलवामा हमले की निंदा
एफएटीएफ ने कहा कि वह पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमले पर गौर करते हुए गंभीर चिंता जताता है और उसकी निंदा करता है।
क्या होता है एफएटीएफ
इसका गठन 1989 में दुनिया के 37 देशों ने मिलकर किया था। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से दुनिया को बचाना है। यह वैश्विक आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रहरी के रूप में काम करने वाला संगठन है।