तकनीक-उद्योग भले ही अपनी उस छवि से बाहर नहीं निकला हो जिसमें ज्यादातर काम पुरुषों के हवाले है लेकिन धीमी गति से ही सही तकनीक उद्योग में भी महिलाएं अपना दबदबा साबित कर रही हैं।
जो तकनीक कंपनियां आज भी महिलाओं को नियुक्त करने से परहेज़ करती हैं उनके मालिकों को यह तथ्य जानना चाहिए कि जिन तकनीक कंपनियों में ज़्यादा से ज्यादा महिलाएं प्रबंधन पदों पर काम करती हैं उनमें निवेश और मुनाफा 34 फ़ीसदी तक ज्यादा रहता है।
बढ़ेगा महिलाओं का दबदबा
अमरीकी अर्थव्यवस्था पर नज़र डालें तो जहां दूसरे क्षेत्रों में महिलाएं हर तरह के काम करती नज़र आती हैं वहीं विज्ञान और तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में उनकी भागीदारी 25 फीसदी से ज्यादा नहीं। ब्रिटेन में ये आंकड़ा और भी खराब है जहां तकनीक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी 17 फीसदी से ज्यादा नहीं।
वहीं कंपनी मालिकों की मानें तो उनके उत्पाद खरीदने वाली महिला ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है और जब तक उनकी जेब पर कोई असर नहीं उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि काम महिलाएं कर रही हैं या पुरुष।
लेकिन सच ये है कि भारत और चीन जैसे बाज़ारों में जैसे-जैसे महिला ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी उनकी ज़रूरतों पर आधारित तकनीक और उत्पादों की मांग बढ़ेगी। ज़ाहिर है ये मांग बेहतर ढंग से तभी पूरी की जा सकती है जब इन्हें बनाने वालों में महिलाएं शामिल हों।
'लिटिल मिस गीक'
‘जेंडर मार्केटिंग’ मामलों की जानकार डॉक्टर ग्लोरिया मॉस के मुताबिक, ''इस तरह की कंपनियों के आंकड़ें देखें तो मैंने अक्सर ये पाया है कि सुझावों और तकनीक प्रारुपों के चुनाव में पुरुषों को पुरुष और महिलाओं को महिला पदाधिकारी तरजीह देते हैं।''
यही वजह है कि महिलाओं की भागीदारी के लिए महिलाओं का प्रबंधन पदों पर नियुक्त होना ज़रूरी है। कुल मिलाकर अब स्थितियां बदलने का समय आ गया है। तकनीक कंपनियों के मालिकों को इस रुढ़िवादी सोच से उबरना होगा कि महिलाएं कुछ खास किस्म के काम नहीं कर सकतीं।
इस सोच को बदलने के लिए चलाया जा रहा 'लिटिल मिस गीक' अभियान इसी लक्ष्य को लेकर चलता है. कोशिश है तकनीक कंपनियों का अगली पीढ़ी में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल किया जाए। जो कंपनियां ऐसा करेंगी उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम नज़र आएंगे और जो नहीं कर पाएंगी उनके पास पीछे रह जाने की एक यह वजह भी होगी।
तकनीक-उद्योग भले ही अपनी उस छवि से बाहर नहीं निकला हो जिसमें ज्यादातर काम पुरुषों के हवाले है लेकिन धीमी गति से ही सही तकनीक उद्योग में भी महिलाएं अपना दबदबा साबित कर रही हैं।
जो तकनीक कंपनियां आज भी महिलाओं को नियुक्त करने से परहेज़ करती हैं उनके मालिकों को यह तथ्य जानना चाहिए कि जिन तकनीक कंपनियों में ज़्यादा से ज्यादा महिलाएं प्रबंधन पदों पर काम करती हैं उनमें निवेश और मुनाफा 34 फ़ीसदी तक ज्यादा रहता है।
बढ़ेगा महिलाओं का दबदबा
अमरीकी अर्थव्यवस्था पर नज़र डालें तो जहां दूसरे क्षेत्रों में महिलाएं हर तरह के काम करती नज़र आती हैं वहीं विज्ञान और तकनीक से जुड़े क्षेत्रों में उनकी भागीदारी 25 फीसदी से ज्यादा नहीं। ब्रिटेन में ये आंकड़ा और भी खराब है जहां तकनीक क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की हिस्सेदारी 17 फीसदी से ज्यादा नहीं।
वहीं कंपनी मालिकों की मानें तो उनके उत्पाद खरीदने वाली महिला ग्राहकों की संख्या बढ़ रही है और जब तक उनकी जेब पर कोई असर नहीं उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि काम महिलाएं कर रही हैं या पुरुष।
लेकिन सच ये है कि भारत और चीन जैसे बाज़ारों में जैसे-जैसे महिला ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी उनकी ज़रूरतों पर आधारित तकनीक और उत्पादों की मांग बढ़ेगी। ज़ाहिर है ये मांग बेहतर ढंग से तभी पूरी की जा सकती है जब इन्हें बनाने वालों में महिलाएं शामिल हों।
'लिटिल मिस गीक'
‘जेंडर मार्केटिंग’ मामलों की जानकार डॉक्टर ग्लोरिया मॉस के मुताबिक, ''इस तरह की कंपनियों के आंकड़ें देखें तो मैंने अक्सर ये पाया है कि सुझावों और तकनीक प्रारुपों के चुनाव में पुरुषों को पुरुष और महिलाओं को महिला पदाधिकारी तरजीह देते हैं।''
यही वजह है कि महिलाओं की भागीदारी के लिए महिलाओं का प्रबंधन पदों पर नियुक्त होना ज़रूरी है। कुल मिलाकर अब स्थितियां बदलने का समय आ गया है। तकनीक कंपनियों के मालिकों को इस रुढ़िवादी सोच से उबरना होगा कि महिलाएं कुछ खास किस्म के काम नहीं कर सकतीं।
इस सोच को बदलने के लिए चलाया जा रहा 'लिटिल मिस गीक' अभियान इसी लक्ष्य को लेकर चलता है. कोशिश है तकनीक कंपनियों का अगली पीढ़ी में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल किया जाए। जो कंपनियां ऐसा करेंगी उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम नज़र आएंगे और जो नहीं कर पाएंगी उनके पास पीछे रह जाने की एक यह वजह भी होगी।