पिछले वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होते वक्त डोनाल्ड ट्रंप तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा से मिलने को बेहद उत्सुक थे। लेकिन अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मधुर होते संबंधों को देखते हुए ट्रंप दलाई लामा से मिलने के लिये उत्साहित नहीं दिखाई दे रहे हैं। यहां तक कि ट्रंप अब चीनी राष्ट्रपति को यह भरोसा दिला रहे हैं कि उनका इरादा फिलहाल दलाई लामा को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करने का नहीं है।
हालांकि अमेरिका लंबे समय से तिब्बत को चीन का हिस्सा होने की मान्यता देता रहा है और अमेरिकी नीति के तहत पूर्ववर्ती कई राष्ट्रपतियों ने दलाई लामा से मुलाकात भी की है। इन सभी राष्ट्रपतियों ने चीन द्वारा दलाई लामा को उग्र अलगाववादी घोषित करने के बावजूद धर्मगुरु से मुलाकात के विकल्प हमेशा खुले रखे हैं। पिछले वर्ष पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।
लेकिन उत्तर कोरिया में चीन के समर्थन को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी वर्षों पुरानी नीति को ताक पर रख दिया है। यही नहीं चीन को नाराज न करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति के उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया कि ट्रंप एक बार और उनसे फोन पर बातचीत करें। गतवर्ष ट्रंप ने चीन को बताए बिना उनसे फोन पर बातचीत की थी।
दलाई लामा के साथ होने वाली मुलाकात को टालना अमेरिका की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इन बैठकों के बाद अमरीका हर बार चीन में तिब्बतियों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाता रहा है।
इसके अलावा अमेरिका हमेशा से बीजिंग और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच औपचारिक बातचीत के रास्ते खोलने के पक्ष में बात करता रहा है। लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिका के एक समाचार पत्र को दिये इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि शी जिनपिंग मेरे अच्छे मित्र हैं। वे एक नेता के तौर पर बेहद अच्छा कार्य कर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वे चीन के राष्ट्रपति के साथ एक मजबूत संबंध स्थापित करना चाहते हैं।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों के अनुसार ट्रंप और दलाई लामा के बीच मुलाकात तो होगी, लेकिन फिलहाल ऐसा होना संभव नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि हमने दलाई लामा के प्रतिनिधियों से संपर्क साधा है कि वे ट्रंप से कहां मुलाकात करना चाहते हैं। वहीं लामा के प्रतिनिधियों का कहना है कि इस साल अप्रैल में बैठक आयोजित की गई थी, लेकिन दलाई लामा के व्यस्त कार्यक्रमों को देखते हुए इसे निरस्त कर दिया गया है। निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रमुख लोबसांग सांग्ये ने कहा कि जून तक अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की मुलाकात की संभावना नहीं है।
पिछले वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होते वक्त डोनाल्ड ट्रंप तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाईलामा से मिलने को बेहद उत्सुक थे। लेकिन अब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मधुर होते संबंधों को देखते हुए ट्रंप दलाई लामा से मिलने के लिये उत्साहित नहीं दिखाई दे रहे हैं। यहां तक कि ट्रंप अब चीनी राष्ट्रपति को यह भरोसा दिला रहे हैं कि उनका इरादा फिलहाल दलाई लामा को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करने का नहीं है।
हालांकि अमेरिका लंबे समय से तिब्बत को चीन का हिस्सा होने की मान्यता देता रहा है और अमेरिकी नीति के तहत पूर्ववर्ती कई राष्ट्रपतियों ने दलाई लामा से मुलाकात भी की है। इन सभी राष्ट्रपतियों ने चीन द्वारा दलाई लामा को उग्र अलगाववादी घोषित करने के बावजूद धर्मगुरु से मुलाकात के विकल्प हमेशा खुले रखे हैं। पिछले वर्ष पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी उन्हें व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।
लेकिन उत्तर कोरिया में चीन के समर्थन को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी वर्षों पुरानी नीति को ताक पर रख दिया है। यही नहीं चीन को नाराज न करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ट्रंप ने ताइवान की राष्ट्रपति के उस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया कि ट्रंप एक बार और उनसे फोन पर बातचीत करें। गतवर्ष ट्रंप ने चीन को बताए बिना उनसे फोन पर बातचीत की थी।
दलाई लामा के साथ होने वाली मुलाकात को टालना अमेरिका की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इन बैठकों के बाद अमरीका हर बार चीन में तिब्बतियों के खिलाफ हो रहे मानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाता रहा है।
इसके अलावा अमेरिका हमेशा से बीजिंग और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच औपचारिक बातचीत के रास्ते खोलने के पक्ष में बात करता रहा है। लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिका के एक समाचार पत्र को दिये इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि शी जिनपिंग मेरे अच्छे मित्र हैं। वे एक नेता के तौर पर बेहद अच्छा कार्य कर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वे चीन के राष्ट्रपति के साथ एक मजबूत संबंध स्थापित करना चाहते हैं।