सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है। उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौन से है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है। आचार्य चाणक्य
सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है। उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौन से है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है। आचार्य चाणक्य