लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 17 Oct 2020 09:35 AM IST
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आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले की 16 वर्षीय किशोरी को एक दिन का कलेक्टर बनने का मौका मिला। ये मौका उसे 11 अक्तूबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर एक विशेष योजना के तहत मिला था। 16 वर्ष की इस बालिका का नाम श्रावणी है। बालिका के पिता किसान तो मां मजदूर हैं।
श्रावणी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्रा है। दरअसल, बालिकाओं को आगे आने की सोच को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशासन ने तय किया था 11 अक्तूबर को पूरे जिले की कमान बालिकाओं के हाथ में रहेगी। ऐसे में लॉटरी पद्धति के माध्यम से इस बालिका का नाम सामने आया। कलेक्टर की कुर्सी पर एक दिन के लिए बैठने के साथ ही श्रावणी ने पीड़ित महिला को मुआवजे के रूप में 25 हजार रुपये देने के कागजों पर हस्ताक्षर किया। साथ ही दो विद्यालयों का जायजा भी लिया।
कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद श्रावणी ने इस बात की घोषणा की कि महिलाओं को अन्य काम भी होते हैं। इसलिए सरकारी विभाग में कार्यरत महिलाओं को रात्रि आठ बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक आधिकारिक कार्यों को करने का आदेश नहीं दिया जाएगा।
आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले की 16 वर्षीय किशोरी को एक दिन का कलेक्टर बनने का मौका मिला। ये मौका उसे 11 अक्तूबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर एक विशेष योजना के तहत मिला था। 16 वर्ष की इस बालिका का नाम श्रावणी है। बालिका के पिता किसान तो मां मजदूर हैं।
श्रावणी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्रा है। दरअसल, बालिकाओं को आगे आने की सोच को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशासन ने तय किया था 11 अक्तूबर को पूरे जिले की कमान बालिकाओं के हाथ में रहेगी। ऐसे में लॉटरी पद्धति के माध्यम से इस बालिका का नाम सामने आया। कलेक्टर की कुर्सी पर एक दिन के लिए बैठने के साथ ही श्रावणी ने पीड़ित महिला को मुआवजे के रूप में 25 हजार रुपये देने के कागजों पर हस्ताक्षर किया। साथ ही दो विद्यालयों का जायजा भी लिया।
कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद श्रावणी ने इस बात की घोषणा की कि महिलाओं को अन्य काम भी होते हैं। इसलिए सरकारी विभाग में कार्यरत महिलाओं को रात्रि आठ बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक आधिकारिक कार्यों को करने का आदेश नहीं दिया जाएगा।