ओलंपिक पदक जीतने पर जश्न और खुशी का मंजर स्वभाविक है। फिर यह लम्हा किसी भारतीय के हिस्से में आए तो चरमोत्कर्ष की महज कल्पना की जा सकती है। वेंबली एरीना में शनिवार को भारत की साइना नेहवाल का आखिरकार ओलंपिक पदक जीतने का सपना पूरा हो गया। लेकिन इस पदक पर न तो जश्न था न ही इसकी खुशी में साइना की आंखों में आंसू थे।
चीन की जिन वांग सात मिनट के अंतराल में लगातार दूसरी बार कोर्ट पर गिर पड़ीं और जर्मनी के चेयर अंपायर मार्क स्पाइट ने मुकाबला रोकते हुए साइना को विजेता घोषित कर दिया। इस वक्त मैच रोका गया उस दौरान साइना वांग जिन से 18-21, 0-1 से पीछे चल रही थीं।
यह एक ऐसा सपना था जिसे साइना खुली आंखों से देखती थीं। यही सपना आज हकीकत में बदल चुका था लेकिन साइना के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। साइना ने स्वीकार किया कि वह पदक जीतने पर बहुत खुश हैं। उनके और देशवासियों के लिए इसके बहुत मायने हैं। लेकिन जिस तरह वांग को चोट लगी और उन्होंने मैच छोड़ा। इससे उनके अंदर किसी तरह के भाव नहीं उमड़ पा रहे हैं। यह अच्छा होता अगर यह पदक मैच जीतकर उनके हिस्से में आता।
हालांकि उन्होंने मैच की शुरुआत शानदार ढंग से की। लेकिन शुरुआती बढ़त के बाद उन पर सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर वन वांग यी हान के हाथों मिली हार का भूत साफ नजर आया। साइना ने भी स्वीकार किया कि वह वांग के हाथों मिली हार को पचा नहीं पा रही थीं। आज भी कोर्ट पर उनके दिमाग में सेमीफाइनल की हार दौड़ रही थी।
एक समय उन्होंने लगातार चार और उसके बाद आठ अंक खोकर 6-6 की बराबरी से 7-14 से पिछड़ गईं। 14-20 के स्कोर पर साइना ने वापसी की कोशिश की। उन्होंने जिन को लंबी रैलियों में उलझाना चाहा। यही वह समय था जब साइना को भी समझ में आ गया कि जिन के साथ कुछ गड़बड़ है। 17-20 के स्कोर पर जिन ने डाउन द लाइन जोरदार स्मैश मारा। यह स्मैश भी बाहर गया और उनका घुटना भी मुड़ गया। वह कोर्ट पर गिरकर कराहने लगीं।
पांच मिनट बाद वह बैंडेज बांधकर खेलने के लिए तैयार हुईं और आते ही जोरदार क्रासकोर्ट स्मैश के जरिए पहला गेम 21-18 से अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम की शुरुआत भी उन्होंने काफी तेजी से कर पहला अंक झटका लेकिन यही तेजी उनके लिए काल बन गई। उनका घुटना फिर मुड़ा और वह कोर्ट पर गिर गईं।
रेफरी ने तुरंत मुकाबला रोक साइना को विजेता घोषित कर दिया। साफ देखा जा सकता था जिस दौरान जिन इलाज करा रही थीं साइना रेफरी से पूछ रही थीं कि क्या मैच खत्म हो गया है। रेफरी की हां के बाद वह शांत खड़ी हो गईं। गोपी से हाथ मिलाया और शांति से बाहर चली गईं।
देश का दसवां व्यक्तिगत पदक
केडी जाधव, कांस्य (कुश्ती), 1952 हेलसिंकी ओलंपिक
लिएंडर पेस, कांस्य (टेनिस), 1996 अटलांटा ओलंपिक
कर्णम मल्लेश्वरी, कांस्य (भारोत्तोलन), 2000 सिडनी ओलंपिक
राज्यवर्धन राठौड़, रजत (शूटिंग), 2004 एथेंस ओलंपिक
अभिनव बिंद्रा, स्वर्ण (शूटिंग), 2008 बीजिंग ओलंपिक
विजेंद्र सिंह, कांस्य (मुक्केबाजी), 2008 बीजिंग ओलंपिक
सुशील कुमार, कांस्य (कुश्ती), 2008 बीजिंग ओलंपिक
विजय कुमार, रजत (शूटिंग), 2012 लंदन ओलंपिक
गगन नारंग, कांस्य (शूटिंग), 2012 लंदन ओलंपिक
साइना नेहवाल, कांस्य (बैडमिंटन), 2012 लंदन ओलंपिक
इनामों की बौछार
1 करोड़ रुपये देगी हरियाणा सरकार
20 लाख रुपये मिलेंगे इस्पात खेल परिषद से
ओलंपिक में साइना
बीजिंग 2008 : क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं
खिताबी सफरनामा
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2012)
स्विस ओपन (2012)
स्विस ओपन (2011)
इंडियन ओपन ग्रांप्री. (2010)
हांगकांग सुपर सीरीज (2010)
चीनी ताइपेई ओपन (2010)
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2010)
सिंगापुर सुपर सीरीज (2010)
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2009)
यह सपने के सच होने जैसा है। यह पदक देश के लिए है। मुझे हमेशा से विश्वास था कि मैं पदक जीत सकती हूं। मैं लय में लौट रही थी और मुझे चीनी खिलाडी को हराने का भरोसा था। जीत के लिए पिता की शुक्रगुजार हूं।
- साइना नेहवाल
ओलंपिक पदक जीतने पर जश्न और खुशी का मंजर स्वभाविक है। फिर यह लम्हा किसी भारतीय के हिस्से में आए तो चरमोत्कर्ष की महज कल्पना की जा सकती है। वेंबली एरीना में शनिवार को भारत की साइना नेहवाल का आखिरकार ओलंपिक पदक जीतने का सपना पूरा हो गया। लेकिन इस पदक पर न तो जश्न था न ही इसकी खुशी में साइना की आंखों में आंसू थे।
चीन की जिन वांग सात मिनट के अंतराल में लगातार दूसरी बार कोर्ट पर गिर पड़ीं और जर्मनी के चेयर अंपायर मार्क स्पाइट ने मुकाबला रोकते हुए साइना को विजेता घोषित कर दिया। इस वक्त मैच रोका गया उस दौरान साइना वांग जिन से 18-21, 0-1 से पीछे चल रही थीं।
यह एक ऐसा सपना था जिसे साइना खुली आंखों से देखती थीं। यही सपना आज हकीकत में बदल चुका था लेकिन साइना के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। साइना ने स्वीकार किया कि वह पदक जीतने पर बहुत खुश हैं। उनके और देशवासियों के लिए इसके बहुत मायने हैं। लेकिन जिस तरह वांग को चोट लगी और उन्होंने मैच छोड़ा। इससे उनके अंदर किसी तरह के भाव नहीं उमड़ पा रहे हैं। यह अच्छा होता अगर यह पदक मैच जीतकर उनके हिस्से में आता।
हालांकि उन्होंने मैच की शुरुआत शानदार ढंग से की। लेकिन शुरुआती बढ़त के बाद उन पर सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर वन वांग यी हान के हाथों मिली हार का भूत साफ नजर आया। साइना ने भी स्वीकार किया कि वह वांग के हाथों मिली हार को पचा नहीं पा रही थीं। आज भी कोर्ट पर उनके दिमाग में सेमीफाइनल की हार दौड़ रही थी।
एक समय उन्होंने लगातार चार और उसके बाद आठ अंक खोकर 6-6 की बराबरी से 7-14 से पिछड़ गईं। 14-20 के स्कोर पर साइना ने वापसी की कोशिश की। उन्होंने जिन को लंबी रैलियों में उलझाना चाहा। यही वह समय था जब साइना को भी समझ में आ गया कि जिन के साथ कुछ गड़बड़ है। 17-20 के स्कोर पर जिन ने डाउन द लाइन जोरदार स्मैश मारा। यह स्मैश भी बाहर गया और उनका घुटना भी मुड़ गया। वह कोर्ट पर गिरकर कराहने लगीं।
पांच मिनट बाद वह बैंडेज बांधकर खेलने के लिए तैयार हुईं और आते ही जोरदार क्रासकोर्ट स्मैश के जरिए पहला गेम 21-18 से अपने नाम कर लिया। दूसरे गेम की शुरुआत भी उन्होंने काफी तेजी से कर पहला अंक झटका लेकिन यही तेजी उनके लिए काल बन गई। उनका घुटना फिर मुड़ा और वह कोर्ट पर गिर गईं।
रेफरी ने तुरंत मुकाबला रोक साइना को विजेता घोषित कर दिया। साफ देखा जा सकता था जिस दौरान जिन इलाज करा रही थीं साइना रेफरी से पूछ रही थीं कि क्या मैच खत्म हो गया है। रेफरी की हां के बाद वह शांत खड़ी हो गईं। गोपी से हाथ मिलाया और शांति से बाहर चली गईं।
देश का दसवां व्यक्तिगत पदक
केडी जाधव, कांस्य (कुश्ती), 1952 हेलसिंकी ओलंपिक
लिएंडर पेस, कांस्य (टेनिस), 1996 अटलांटा ओलंपिक
कर्णम मल्लेश्वरी, कांस्य (भारोत्तोलन), 2000 सिडनी ओलंपिक
राज्यवर्धन राठौड़, रजत (शूटिंग), 2004 एथेंस ओलंपिक
अभिनव बिंद्रा, स्वर्ण (शूटिंग), 2008 बीजिंग ओलंपिक
विजेंद्र सिंह, कांस्य (मुक्केबाजी), 2008 बीजिंग ओलंपिक
सुशील कुमार, कांस्य (कुश्ती), 2008 बीजिंग ओलंपिक
विजय कुमार, रजत (शूटिंग), 2012 लंदन ओलंपिक
गगन नारंग, कांस्य (शूटिंग), 2012 लंदन ओलंपिक
साइना नेहवाल, कांस्य (बैडमिंटन), 2012 लंदन ओलंपिक
इनामों की बौछार
1 करोड़ रुपये देगी हरियाणा सरकार
20 लाख रुपये मिलेंगे इस्पात खेल परिषद से
ओलंपिक में साइना
बीजिंग 2008 : क्वार्टर फाइनल तक पहुंचीं
खिताबी सफरनामा
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2012)
स्विस ओपन (2012)
स्विस ओपन (2011)
इंडियन ओपन ग्रांप्री. (2010)
हांगकांग सुपर सीरीज (2010)
चीनी ताइपेई ओपन (2010)
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2010)
सिंगापुर सुपर सीरीज (2010)
इंडोनेशिया सुपर सीरीज (2009)
यह सपने के सच होने जैसा है। यह पदक देश के लिए है। मुझे हमेशा से विश्वास था कि मैं पदक जीत सकती हूं। मैं लय में लौट रही थी और मुझे चीनी खिलाडी को हराने का भरोसा था। जीत के लिए पिता की शुक्रगुजार हूं।
- साइना नेहवाल