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ग्लोबल श्रम बाजार में चीन की तुलना में भारत अपनी युवा और अंग्रेजी बोलने वाली श्रम शक्ति की वजह से अधिक लाभ की स्थिति में है। यह बात मानव संसाधन सलाहकार मैनपावर ने कही है। मैनपावर समूह के प्रेसिडेंट (ग्लोबल कॉरपोरेट एवं गवर्मेंट अफेयर्स) डेविड आर्कलेस ने यहां एक साक्षात्कार में कहा कि चीन के मुकाबले अधिक योग्य श्रम शक्ति होने के बावजूद भारत सरकार और कंपनियों को भविष्य के लिए कौशल की जरूरत पर समझ बनाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें इसी को ध्यान में रखते हुए अपनी युवा आबादी को प्रशिक्षित करने की जरूरत है, जिससे रोजगार बाजार में आपूर्ति और मांग का संतुलन कायम रखा जा सके।
विश्व आर्थिक मंच में शिरकत करने आए आर्कलेस ने कहा कि भारतीय श्रम बाजार को लेकर वह आशावादी बने हुए हैं। हालांकि, ग्लोबल हालातों में उठापटक और अनिश्चितता बनी हुई है। नौकरियों के वैश्विक परिदृश्य को लेकर हमारा दृष्टिकोण दावोस बैठक की थीम ‘रिजिल्यंट डायनेमिक्स’ से थोड़ा अलग है।
उन्होंने कहा कि हम अपने ग्राहकों को बता रहे हैं कि भविष्य में एक चीज ही निश्चित है और यह है अनिश्चितता। हम जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव रहेगा। हम अपने सभी सहयोगियों को कह रहे हैं कि यह सामान्य बात है।
भारतीय श्रम बाजार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत उभरते बाजारों का परंपरागत श्रम बाजार नहीं है। यह एक अलग तरह की प्रतिभा वाला बाजार है। भारतीय अर्थव्यवस्था चीन तथा दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अलग तरीके से काम करती है।
उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण से भारत के पास अत्यधिक साक्षर और बहुत गतिशील युवा आबादी है। भारत के लिए सबसे अधिक फायदे वाली बात यह है कि उसके पास अधिक युवा और अंग्रेजी बोलने वाली योग्य श्रम शक्ति है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह चीनी युवा श्रम बल की तुलना में यह अधिक योग्य है। भविष्य में भी यह भारतीय श्रम बाजार की सबसे बड़ी ताकत बनने वाला है।
ग्लोबल श्रम बाजार में चीन की तुलना में भारत अपनी युवा और अंग्रेजी बोलने वाली श्रम शक्ति की वजह से अधिक लाभ की स्थिति में है। यह बात मानव संसाधन सलाहकार मैनपावर ने कही है। मैनपावर समूह के प्रेसिडेंट (ग्लोबल कॉरपोरेट एवं गवर्मेंट अफेयर्स) डेविड आर्कलेस ने यहां एक साक्षात्कार में कहा कि चीन के मुकाबले अधिक योग्य श्रम शक्ति होने के बावजूद भारत सरकार और कंपनियों को भविष्य के लिए कौशल की जरूरत पर समझ बनाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें इसी को ध्यान में रखते हुए अपनी युवा आबादी को प्रशिक्षित करने की जरूरत है, जिससे रोजगार बाजार में आपूर्ति और मांग का संतुलन कायम रखा जा सके।
विश्व आर्थिक मंच में शिरकत करने आए आर्कलेस ने कहा कि भारतीय श्रम बाजार को लेकर वह आशावादी बने हुए हैं। हालांकि, ग्लोबल हालातों में उठापटक और अनिश्चितता बनी हुई है। नौकरियों के वैश्विक परिदृश्य को लेकर हमारा दृष्टिकोण दावोस बैठक की थीम ‘रिजिल्यंट डायनेमिक्स’ से थोड़ा अलग है।
उन्होंने कहा कि हम अपने ग्राहकों को बता रहे हैं कि भविष्य में एक चीज ही निश्चित है और यह है अनिश्चितता। हम जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार-चढ़ाव रहेगा। हम अपने सभी सहयोगियों को कह रहे हैं कि यह सामान्य बात है।
भारतीय श्रम बाजार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारत उभरते बाजारों का परंपरागत श्रम बाजार नहीं है। यह एक अलग तरह की प्रतिभा वाला बाजार है। भारतीय अर्थव्यवस्था चीन तथा दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अलग तरीके से काम करती है।
उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण से भारत के पास अत्यधिक साक्षर और बहुत गतिशील युवा आबादी है। भारत के लिए सबसे अधिक फायदे वाली बात यह है कि उसके पास अधिक युवा और अंग्रेजी बोलने वाली योग्य श्रम शक्ति है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह चीनी युवा श्रम बल की तुलना में यह अधिक योग्य है। भविष्य में भी यह भारतीय श्रम बाजार की सबसे बड़ी ताकत बनने वाला है।