75 साल की उम्र में अपने बर्थडे पर टाटा समूह को 'टाटा' कहने जा रहे रतन टाटा कारोबारी जगत में चमकते ध्रुव तारे की तरह हैं। रतन टाटा के रिटायर होने के साथ ही टाटा ग्रुप में एक नए दौर की शुरुआत होगी जिसकी कमान साइरस मिस्त्री के हाथों में होगी। अब सबकी नजर मिस्त्री पर है कि वे किस तरह 100 अरब डॉलर की कारोबारी रियासत को संभालेंगे।
1991 में संभाली टाटा समूह की कमान
1962 से टाटा समूह में काम शुरू करने के बाद 1991 में रतन टाटा सन्स के चेयरमैन बने। उनके 21 साल के कार्यकाल में टाटा समूह की आमदनी 14,000 करोड़ से बढ़कर 4.75 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। 18.3 फीसदी की सालाना कंपाउंड ग्रोथ के साथ यह एक ग्लोबल कारोबारी समूह बन गया।
ब्रांड बनाने में लगा दी सारी ताकत
1990 के दशक में जब रतन टाटा ने टाटा समूह का विरासत संभाला था तब वे बिल्कुल अनजान चेहरे थे। चेयरमैन का पद संभालने वाले रतन टाटा ने कंपनी को बुलंदी पर पहुंचाने में अपनी सारी ताकत लगा दी। रतन टाटा की पहली प्राथमिकता एक मजबूत ब्रांड बनाना था जिसमें वे पूरी तरह सफल रहे। बाद में रतन ने कहा भी था, हमारे पास एक मजबूत विरासत थी लेकिन ब्रांड नहीं था'। पिछले 21 साल में टाटा ने बतौर ब्रांड कई उपलब्धियां हासिल की।
बिजनेस वीक मैगजीन ने भी सराहा
वर्ष 2008 में बिजनेस वीक मैगजीन ने टाटा ग्रुप का नाम दुनिया के दस अभिनव कारोबारियों की सूची में शुमार किया। यह रतन टाटा ही थे जिन्होंने टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय छवि की कंपनी बनाई। टाटा ब्रिवरेज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस और ताज होटल ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। चाहे फिर आम आदमी का कार नैनो हो या फिर विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण।
भरोसा और ईमानदारी का नाम बना टाटा
भरोसा, ईमानदारी, समुदाय को लेकर प्रतिबद्धता टाटा ग्रुप की पहचान रही है। इसकी वजह से टाटा को कारोबारी जगत में बेहद प्यार और इज्जत मिली। टाटा स्टील के राजस्व का बड़ा हिस्सा भारत के बाहर के बाजारों से आता है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक टाटा समूह लगातार अपना कारोबार बढ़ा ही रहा है।
रतन ने माना, चार बार हुआ था प्यार
रतन टाटा आजीवन अविवाहित रहे। अपनी शादी के बारे में रतन ने कहा कि ये सच है कि उन्हें शादी नहीं हुई लेकिन उन्हें चार बार प्यार हुआ। सबसे ज्यादा सीरियस प्यार 1960 में अमेरिका में हुआ लेकिन यह भी शादी तक नहीं पहुंच सका।
26/11 हमलों के समय दिखाया धैर्य
रतन टाटा जितने बड़े कारोबारी माने जाते हैं उतने ही बड़े इंसान भी हैं। विनम्र और शांत स्वभाव के इस शख्स को 26/11 के मुंबई हमलों ने अंदर से हिला दिया। हमले के बाद टाटा ने होटल को कई दिनों तक बंद रखा और कर्मचारियों की छ्ट्टी पर घर भेज दिया। इस दौरान टाटा ने सभी की पूरी सैलरी दी।
रतन टाटा के स्थान पर यह ओहदा संभालने वाले 44 वर्षीय साइरस को 2011 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था। साइरस टाटा समूह से जुड़े रहे व देश में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की दिग्गज हस्ती माने जाने वाले पालोनजी मिस्त्री के पुत्र हैं, जो टाटा सन्स के सबसे बड़े व्यैक्तिक (इंडिविजुअल) शेयरधारक थे।
75 साल की उम्र में अपने बर्थडे पर टाटा समूह को 'टाटा' कहने जा रहे रतन टाटा कारोबारी जगत में चमकते ध्रुव तारे की तरह हैं। रतन टाटा के रिटायर होने के साथ ही टाटा ग्रुप में एक नए दौर की शुरुआत होगी जिसकी कमान साइरस मिस्त्री के हाथों में होगी। अब सबकी नजर मिस्त्री पर है कि वे किस तरह 100 अरब डॉलर की कारोबारी रियासत को संभालेंगे।
1991 में संभाली टाटा समूह की कमान1962 से टाटा समूह में काम शुरू करने के बाद 1991 में रतन टाटा सन्स के चेयरमैन बने। उनके 21 साल के कार्यकाल में टाटा समूह की आमदनी 14,000 करोड़ से बढ़कर 4.75 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। 18.3 फीसदी की सालाना कंपाउंड ग्रोथ के साथ यह एक ग्लोबल कारोबारी समूह बन गया।
ब्रांड बनाने में लगा दी सारी ताकत1990 के दशक में जब रतन टाटा ने टाटा समूह का विरासत संभाला था तब वे बिल्कुल अनजान चेहरे थे। चेयरमैन का पद संभालने वाले रतन टाटा ने कंपनी को बुलंदी पर पहुंचाने में अपनी सारी ताकत लगा दी। रतन टाटा की पहली प्राथमिकता एक मजबूत ब्रांड बनाना था जिसमें वे पूरी तरह सफल रहे। बाद में रतन ने कहा भी था, हमारे पास एक मजबूत विरासत थी लेकिन ब्रांड नहीं था'। पिछले 21 साल में टाटा ने बतौर ब्रांड कई उपलब्धियां हासिल की।
बिजनेस वीक मैगजीन ने भी सराहावर्ष 2008 में बिजनेस वीक मैगजीन ने टाटा ग्रुप का नाम दुनिया के दस अभिनव कारोबारियों की सूची में शुमार किया। यह रतन टाटा ही थे जिन्होंने टाटा समूह को अंतरराष्ट्रीय छवि की कंपनी बनाई। टाटा ब्रिवरेज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस और ताज होटल ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। चाहे फिर आम आदमी का कार नैनो हो या फिर विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण।
भरोसा और ईमानदारी का नाम बना टाटाभरोसा, ईमानदारी, समुदाय को लेकर प्रतिबद्धता टाटा ग्रुप की पहचान रही है। इसकी वजह से टाटा को कारोबारी जगत में बेहद प्यार और इज्जत मिली। टाटा स्टील के राजस्व का बड़ा हिस्सा भारत के बाहर के बाजारों से आता है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक टाटा समूह लगातार अपना कारोबार बढ़ा ही रहा है।
रतन ने माना, चार बार हुआ था प्याररतन टाटा आजीवन अविवाहित रहे। अपनी शादी के बारे में रतन ने कहा कि ये सच है कि उन्हें शादी नहीं हुई लेकिन उन्हें चार बार प्यार हुआ। सबसे ज्यादा सीरियस प्यार 1960 में अमेरिका में हुआ लेकिन यह भी शादी तक नहीं पहुंच सका।
26/11 हमलों के समय दिखाया धैर्यरतन टाटा जितने बड़े कारोबारी माने जाते हैं उतने ही बड़े इंसान भी हैं। विनम्र और शांत स्वभाव के इस शख्स को 26/11 के मुंबई हमलों ने अंदर से हिला दिया। हमले के बाद टाटा ने होटल को कई दिनों तक बंद रखा और कर्मचारियों की छ्ट्टी पर घर भेज दिया। इस दौरान टाटा ने सभी की पूरी सैलरी दी।
रतन टाटा के स्थान पर यह ओहदा संभालने वाले 44 वर्षीय साइरस को 2011 में रतन टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था। साइरस टाटा समूह से जुड़े रहे व देश में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की दिग्गज हस्ती माने जाने वाले पालोनजी मिस्त्री के पुत्र हैं, जो टाटा सन्स के सबसे बड़े व्यैक्तिक (इंडिविजुअल) शेयरधारक थे।