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देश में म्यूचुअल फंडों का कुल एसेट बेस (परिसंपत्ति आधार) अगले चार-पांच वर्षों में मौजूदा 9.85 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) का कहना है कि देश में म्यूचुअल फंडों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं और पारिवारिक बचत को म्यूचुअल फंड में लगाने के लिए लोगों को आकर्षित किया जा सकता है।
इस साल 31 मार्च को 45 म्यूचुअल फंड हाउसों के प्रबंधन में कुल परिसंपत्ति आठ लाख करोड़ रुपये की थी, जो 30 जून को समाप्त तिमाही के दौरान बढ़कर 9.85 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इस दौरान इस साल मई में यह 10.11 लाख करोड़ रुपये पर भी पहुंची थी।
एएमएफआई का कहना है कि निवेशकों की संख्या में वृद्धि, छोटे शहरों से ज्यादा निवेश आने और वितरकों की संख्या बढ़ने से अगले चार-पांच वर्षों में देश की कुल म्यूचुअल फंड परिसंपत्ति बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। यह अनुमान इस क्षेत्र के लिए काफी उत्साहजनक है क्योंकि पिछले कुछ सालों में इसकी विकास दर काफी कम रही थी।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को इसे दोबारा पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाने पड़े। इस साल फरवरी में सेबी ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए पहली बार एक दीर्घकालीन नीति बनाई, जिसमें कई तरह के लाभों की घोषणा और कारोबार बढ़ने के उपाय किए गए हैं।
देश में म्यूचुअल फंडों का कुल एसेट बेस (परिसंपत्ति आधार) अगले चार-पांच वर्षों में मौजूदा 9.85 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) का कहना है कि देश में म्यूचुअल फंडों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं और पारिवारिक बचत को म्यूचुअल फंड में लगाने के लिए लोगों को आकर्षित किया जा सकता है।
इस साल 31 मार्च को 45 म्यूचुअल फंड हाउसों के प्रबंधन में कुल परिसंपत्ति आठ लाख करोड़ रुपये की थी, जो 30 जून को समाप्त तिमाही के दौरान बढ़कर 9.85 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इस दौरान इस साल मई में यह 10.11 लाख करोड़ रुपये पर भी पहुंची थी।
एएमएफआई का कहना है कि निवेशकों की संख्या में वृद्धि, छोटे शहरों से ज्यादा निवेश आने और वितरकों की संख्या बढ़ने से अगले चार-पांच वर्षों में देश की कुल म्यूचुअल फंड परिसंपत्ति बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। यह अनुमान इस क्षेत्र के लिए काफी उत्साहजनक है क्योंकि पिछले कुछ सालों में इसकी विकास दर काफी कम रही थी।
पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को इसे दोबारा पटरी पर लाने के लिए कई कदम उठाने पड़े। इस साल फरवरी में सेबी ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए पहली बार एक दीर्घकालीन नीति बनाई, जिसमें कई तरह के लाभों की घोषणा और कारोबार बढ़ने के उपाय किए गए हैं।