पेट्रोल मूल्य वृद्धि के खिलाफ बृहस्पतिवार को राजनीतिक दलों के भारत बंद का मिला-जुला असर रहा। देशभर में थोक व खुदरा व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। वहीं, बैंक व वित्तीय संस्थान खुले, लेकिन बंद के चलते वहां कामकाज प्रभावित रहा। बंद के समर्थकों ने दिल्ली सहित कई राज्यों में रेल व सड़क यातायात को अवरूध किया। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने भारत बंद से देशभर के लगभग 6,000 करोड़ रुपये का रिटेल व्यापार प्रभावित होने और इससे सरकार को अप्रत्यक्ष करों के रूप में करीब 800 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।
बैंकों के काम हुए प्रभावित
कैट के मुताबिक, देशभर के 15,000 व्यापारिक संगठनों ने भारत बंद का समर्थन करते हुए किसी तरह का कारोबार नहीं किया। देश भर में लगभग पांच करोड़ से ज्यादा व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। इससे ट्रांसपोर्टरों व बैंकों के कामकाज पर भी खासा असर पड़ा।
व्यापारिक क्षेत्रों में स्थिति बैंक की शाखाओं में सिर्फ दस से पंद्रह फीसदी ही कामकाज रहा। वहीं, सामान्य शाखाओं में भी अन्य दिनों के मुकाबले आधा कामकाज भी नहीं हुआ। शेयर बाजार व कमोडिटी एक्सचेंजों में हालांकि बंद का कोई खास असर नहीं रहा। लेकिन, कमोडिटी एक्सचेंजों में अन्य दिनों के मुकाबले कारोबार कमजोर बताया गया।
व्यापारियों ने तेल कंपनियों से पूछे सवाल
कैट ने तेल कंपनियों से पेट्रोल में की गई मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए सवाल किया यदि उन्हें वास्तव में नुकसान हो रहा है, तो वे अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंट और अपने कर्मचारियों को बोनस कहां से दे रही हैं। उन्होंने तेल कंपनियों के खातों का पब्लिक आडिट कराने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जब यह कंपनियां हर साल अपनी वार्षिक बैलेंस शीट में लाभ दर्शाती हैं, तो फिर नुकसान का सवाल कैसा। व्यापारियों ने तेल कंपनियों से यह भी पूछा है कि वे क्रूड ऑयल से कौन-कौन उत्पाद बना रही हैं और उनके मूल्य क्या हैं। व्यापारियों का कहना है कि कंपनियां क्रूड ऑयल से सिर्फ पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आदि की बात करती हैं। जबकि, अन्य उत्पादों को मुनाफे में बेचने के बाद भी उनका जिक्र तक नहीं किया जाता।