वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रुपये में रिकॉर्ड गिरावट के बीच एक बार फिर से भरोसा दिलाया है कि हालात काबू में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में चुनौतियों का सामना करने की भरपूर ताकत है। इसके चलते हम विकास दर में धीमेपन और बढ़ते घाटे जैसी समस्याओं पर काबू पा सकते हैं।
रुपये की गिरावट का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने 2008 की याद दिलाकर कहा कि उस समय भी रुपया लुढ़क कर 56 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया था, जिसके चलते वित्त वर्ष 2008-09 में देश की आर्थिक विकास दर 6.7 फीसदी के स्तर पर आ गिरी थी। इसके बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था इन हालात से उबरने में कामयाब रही और अगले ही साल हमने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में रिकॉर्ड तेजी के साथ 8.4 फीसदी की विकास दर हासिल कर ली, जोकि लगातार दो साल तक बनी रही।
इसलिए बीते वित्त वर्ष में 6.9 फीसदी की विकास दर और रुपये की मौजूदा गिरावट जैसे हालात को देखकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में पर्याप्त दमखम मौजूद है और हम महंगाई में हो रहे इजाफे और चालू खाते के बढ़ते खाते को काबू में लाने के कारगर कदम उठाएंगे।
फिलहाल हमारा सीधा ध्यान महंगाई में कमी लाकर और वित्तीय घाटे व चालू खाते के घाटे को काबू में लाकर अर्थव्यवस्था के सामने पेश आ रही चुनौतियों से निपटने की ओर है। इस सबके जरिये हम अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से ऊंची विकास दर की ओर ले जाएंगे।
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