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कहते हैं कि जन्म और मृत्यु ईश्वर के हाथ में है। लेकिन इस बात को झूठा साबित करने के लिए एक व्यक्ति ने खुद ही जान दी और जान देने के साथ साथ अपना अंतिम संस्कार भी कर लिया। आप भी सोच रहे होंगे कि ये क्या बात हुई। जान देने के बाद कोई अंतिम संस्कार कैसे कर सकता है। लेकिन यह सच है।
घटना कोयम्बटूर की है। यहां सैंट्रल जेल में उम्रकैद काट रहे एक कैदी को इस बात का अफसोस था कि उसका कोई रिश्तेदार नहीं है और ऐसे में अगर वो मर गया तो उसका अंतिम संस्कार कौन करेगा। यही सोचते हुए कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की और मरते मरते अपने आपको आग भी लगा ली।
जेल के अधिकारियों ने बताया कि शणमुंगन नाम का कैदी हत्या के आरोप में उम्र कैद काट रहा है। शणमुंगन हमेशा सोचा करता था कि उसका कोई अपना नहीं है जो मौत के बाद उसका विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार कर सके। शणमुंगन साथी कैदियों से भी इस तरह की बात किया करता था। साथी हंसकर इस बात को टाल देते थे।
जेल अधिकारियों के अनुसार शणमुंगन ने कल रात बिना किसी ना नुकर के भोजन भी लिया था। फिर रात में जेल की बैरक में ही फांसी लगा ली। उसने जहां आत्महत्या की है वहां से एक कागज मिला, जिस पर लिखा था कि चूंकि उसके माता-पिता नहीं है इसलिए वह खुद ही अपना अंतिम संस्कार कर रहा है। उसकी मौत के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। अधिकारी कह रहे हैं कि उसने अपने अंगोछे से फांसी लगाई। उधर साथी कैदी कह रहे हैं कि वो काफी दिन से इस बात को लेकर परेशान था कि अंतिम संस्कार न होने पर मोक्ष नहीं मिलता।
कहते हैं कि जन्म और मृत्यु ईश्वर के हाथ में है। लेकिन इस बात को झूठा साबित करने के लिए एक व्यक्ति ने खुद ही जान दी और जान देने के साथ साथ अपना अंतिम संस्कार भी कर लिया। आप भी सोच रहे होंगे कि ये क्या बात हुई। जान देने के बाद कोई अंतिम संस्कार कैसे कर सकता है। लेकिन यह सच है।
घटना कोयम्बटूर की है। यहां सैंट्रल जेल में उम्रकैद काट रहे एक कैदी को इस बात का अफसोस था कि उसका कोई रिश्तेदार नहीं है और ऐसे में अगर वो मर गया तो उसका अंतिम संस्कार कौन करेगा। यही सोचते हुए कैदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की और मरते मरते अपने आपको आग भी लगा ली।
जेल के अधिकारियों ने बताया कि शणमुंगन नाम का कैदी हत्या के आरोप में उम्र कैद काट रहा है। शणमुंगन हमेशा सोचा करता था कि उसका कोई अपना नहीं है जो मौत के बाद उसका विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार कर सके। शणमुंगन साथी कैदियों से भी इस तरह की बात किया करता था। साथी हंसकर इस बात को टाल देते थे।
जेल अधिकारियों के अनुसार शणमुंगन ने कल रात बिना किसी ना नुकर के भोजन भी लिया था। फिर रात में जेल की बैरक में ही फांसी लगा ली। उसने जहां आत्महत्या की है वहां से एक कागज मिला, जिस पर लिखा था कि चूंकि उसके माता-पिता नहीं है इसलिए वह खुद ही अपना अंतिम संस्कार कर रहा है। उसकी मौत के लिए कोई भी जिम्मेदार नहीं है। अधिकारी कह रहे हैं कि उसने अपने अंगोछे से फांसी लगाई। उधर साथी कैदी कह रहे हैं कि वो काफी दिन से इस बात को लेकर परेशान था कि अंतिम संस्कार न होने पर मोक्ष नहीं मिलता।