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जब किसी अपराध में अपराधी को उम्र कैद मिलती है तो मतलब है कि वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल जेल में गुजारेगा। लेकिन 98 साल की फूलवती की उम्र ही 98 साल है और वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल और बुढ़ापा भी बिता चुकी है। ऐसी चलाचली की बेला में उम्र कैद सुनकर फूलवती के साथ साथ सब लोग आश्चर्यचकित हैं।
सुनने वाले बता रहे हैं कि फूलवती का गुनाह उसकी उम्र पर भारी पड़ गया। फूलवती पर अपने बेटे के साथ मिलकर एक किसान को चारपाई से बांधकर जिंदा जलाने का आरोप है। उस समय भी फूलवती की उम्र 81 साल थी। फूलवती के साथ साथ उसके बेटे सतवीर को भी उम्र कैद हुई है।
अदालत में मौजूद चश्मदीद ने कहा कि 98 साल की उम्र में उम्रकैद की सजा सुनकर फूलवती कुछ देर विचलित दिखी फिर खुद को संभाल लिया। साथ आई बहु से बीडी का बंडल मांगा और पुलिसकर्मियों के साथ डासना जेल चली गई।
गवाह और सबूत के मद्देनजर एडीजे-11 सर्वेश चंद्र पाण्डेय की कोर्ट ने फूलवती और उसके बेटे को कातिल करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वृद्धा के परिजन अब हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे हैं।
सरकारी वकील जगमोहन शर्मा का कहना है कि 17 साल पहले जिस समय बालकराम की हत्या हुई उस समय भी फूलवती की उम्र 81 साल रही होगी। कई बार उसकी उम्र को देखकर उन्हें रहम आता था। मगर उसका अपराध इतना वीभत्स था कि रौंगटे खड़े होते थे। एक व्यक्ति की पत्नी से पहले रेप किया जाना और फिर रिपोर्ट वापस न लेने पर उस व्यक्ति को चारपाई से बांधकर जिंदा जला देने का आरोप फूलवती और उसके बेटे सतवीर पर था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 8 गवाह कराए गए थे।
‘पूरे प्रैक्टिस काल के दौरान पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी उम्र की महिला पर कोई अपराध सिद्ध हुआ है। हत्या एक संगीन अपराध है। सेशन कोर्ट ने सबूत और गवाह को ध्यान में रखकर सही फैसला सुनाया है। हालांकि वृद्धा की उम्र को देखते हुए हाईकोर्ट में अपील से उसे कुछ राहत मिल सकती है।’ - शिवदत्त त्यागी, पूर्व बार अध्यक्ष
जब किसी अपराध में अपराधी को उम्र कैद मिलती है तो मतलब है कि वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल जेल में गुजारेगा। लेकिन 98 साल की फूलवती की उम्र ही 98 साल है और वो अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल और बुढ़ापा भी बिता चुकी है। ऐसी चलाचली की बेला में उम्र कैद सुनकर फूलवती के साथ साथ सब लोग आश्चर्यचकित हैं।
सुनने वाले बता रहे हैं कि फूलवती का गुनाह उसकी उम्र पर भारी पड़ गया। फूलवती पर अपने बेटे के साथ मिलकर एक किसान को चारपाई से बांधकर जिंदा जलाने का आरोप है। उस समय भी फूलवती की उम्र 81 साल थी। फूलवती के साथ साथ उसके बेटे सतवीर को भी उम्र कैद हुई है।
अदालत में मौजूद चश्मदीद ने कहा कि 98 साल की उम्र में उम्रकैद की सजा सुनकर फूलवती कुछ देर विचलित दिखी फिर खुद को संभाल लिया। साथ आई बहु से बीडी का बंडल मांगा और पुलिसकर्मियों के साथ डासना जेल चली गई।
गवाह और सबूत के मद्देनजर एडीजे-11 सर्वेश चंद्र पाण्डेय की कोर्ट ने फूलवती और उसके बेटे को कातिल करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वृद्धा के परिजन अब हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे हैं।
सरकारी वकील जगमोहन शर्मा का कहना है कि 17 साल पहले जिस समय बालकराम की हत्या हुई उस समय भी फूलवती की उम्र 81 साल रही होगी। कई बार उसकी उम्र को देखकर उन्हें रहम आता था। मगर उसका अपराध इतना वीभत्स था कि रौंगटे खड़े होते थे। एक व्यक्ति की पत्नी से पहले रेप किया जाना और फिर रिपोर्ट वापस न लेने पर उस व्यक्ति को चारपाई से बांधकर जिंदा जला देने का आरोप फूलवती और उसके बेटे सतवीर पर था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 8 गवाह कराए गए थे।
‘पूरे प्रैक्टिस काल के दौरान पहली बार ऐसा हुआ है जब इतनी उम्र की महिला पर कोई अपराध सिद्ध हुआ है। हत्या एक संगीन अपराध है। सेशन कोर्ट ने सबूत और गवाह को ध्यान में रखकर सही फैसला सुनाया है। हालांकि वृद्धा की उम्र को देखते हुए हाईकोर्ट में अपील से उसे कुछ राहत मिल सकती है।’ - शिवदत्त त्यागी, पूर्व बार अध्यक्ष