प्रशासन का अनुमान था कि कुंभ के दूसरे प्रमुख स्नान पर्व यानी पौष पूर्णिमा पर 55 लाख श्रद्धालु स्नान करेंगे। स्नान करने वालों की संख्या अनुमान से कुछ कम ही रही और स्नानार्थियों की भीड़ गंगा तट पर साढ़े ग्यारह हजार फीट की दूरी तक बनाए गए घाटों में आराम से समा गई। हालांकि कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी इसे बड़ी उपलब्धि नहीं मानते। उनका कहना है कि मुख्य परीक्षा मौनी अमावस्या पर होगी और इसके लिए अभी से सबको जी-जान से जुटना होगा।
पौष पूर्णिमा पर सेक्टर-तीन से लेकर सेक्टर-12 तक कुल 11500 फीट की दूरी तक 18 स्नान घाट बनाए गए थे। इसमें सेक्टर-3, सेक्टर-8 और सेक्टर-12 में सबसे बड़े तीन-तीन हजार फीट लंबे घाट बनाए गए और सबसे ज्यादा भीड़ भी इन्हीं घाटों पर उमड़ी। गंगा में कटान कम होने के कारण भी मेला प्रशासन को काफी राहत मिली और उसे घाटों पर हुई बैरिकेडिंग से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी पड़ी। हालांकि कई घाटों पर चेंजिंग रूम की समस्या दूसरे स्नान पर्व पर भी बनी रही। महिलाओं को काफी परेशान होना पड़ा।
घाट पर ज्यादा देर तक भीड़ इकट्ठा न रहे, इसके लिए घाटों की जाने वाले रास्तों पर जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी लगावाए गए। इस पर लिखा हुआ था, ‘तीन डुबकी में तीन गुना पुण्य, कृपया घाट जल्दी छोड़े।’ घाटों को समय से खाली करवाने के लिए मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स भी तैनात की गई थी। घुड़सवार पुलिस बल और जल पुलिस को भी यह जिम्मेदारी दी गई थी।
घाटों से हटवाए गए गुब्बारे
घाटों पर विज्ञापन के लिए लगाए गए गुब्बारे पौष पूर्णिमा के स्नान वाले दिन हटवा दिए गए। यह कार्रवाई पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर की है। आशंका थी कि भीड़ ज्यादा होने पर तेज आवाज के साथ गुब्बारा फटा तो भगदड़ मच जाएगी।
मौनी अमावस्या पर भी चलेंगी नौकाएं
प्रमुख स्नान पर्वों पर नौकाओं के संचालन को लेकर विवाद खत्म हो चुका है। रविवार को कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी ने संवाददाताओं से बातचीत में स्पष्ट किया कि पौष पूर्णिमा वाले दिन जिन घाटों से नौकाएं चलाई गईं, मौनी अमावस्या पर भी नौकाएं वहीं से चलाई जा सकेंगी। नौकाओं के संचालन पर कोई रोक नहीं रहेगी।
प्रशासन का अनुमान था कि कुंभ के दूसरे प्रमुख स्नान पर्व यानी पौष पूर्णिमा पर 55 लाख श्रद्धालु स्नान करेंगे। स्नान करने वालों की संख्या अनुमान से कुछ कम ही रही और स्नानार्थियों की भीड़ गंगा तट पर साढ़े ग्यारह हजार फीट की दूरी तक बनाए गए घाटों में आराम से समा गई। हालांकि कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी इसे बड़ी उपलब्धि नहीं मानते। उनका कहना है कि मुख्य परीक्षा मौनी अमावस्या पर होगी और इसके लिए अभी से सबको जी-जान से जुटना होगा।
पौष पूर्णिमा पर सेक्टर-तीन से लेकर सेक्टर-12 तक कुल 11500 फीट की दूरी तक 18 स्नान घाट बनाए गए थे। इसमें सेक्टर-3, सेक्टर-8 और सेक्टर-12 में सबसे बड़े तीन-तीन हजार फीट लंबे घाट बनाए गए और सबसे ज्यादा भीड़ भी इन्हीं घाटों पर उमड़ी। गंगा में कटान कम होने के कारण भी मेला प्रशासन को काफी राहत मिली और उसे घाटों पर हुई बैरिकेडिंग से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करनी पड़ी। हालांकि कई घाटों पर चेंजिंग रूम की समस्या दूसरे स्नान पर्व पर भी बनी रही। महिलाओं को काफी परेशान होना पड़ा।
घाट पर ज्यादा देर तक भीड़ इकट्ठा न रहे, इसके लिए घाटों की जाने वाले रास्तों पर जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी लगावाए गए। इस पर लिखा हुआ था, ‘तीन डुबकी में तीन गुना पुण्य, कृपया घाट जल्दी छोड़े।’ घाटों को समय से खाली करवाने के लिए मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स भी तैनात की गई थी। घुड़सवार पुलिस बल और जल पुलिस को भी यह जिम्मेदारी दी गई थी।
घाटों से हटवाए गए गुब्बारे
घाटों पर विज्ञापन के लिए लगाए गए गुब्बारे पौष पूर्णिमा के स्नान वाले दिन हटवा दिए गए। यह कार्रवाई पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर की है। आशंका थी कि भीड़ ज्यादा होने पर तेज आवाज के साथ गुब्बारा फटा तो भगदड़ मच जाएगी।
मौनी अमावस्या पर भी चलेंगी नौकाएं
प्रमुख स्नान पर्वों पर नौकाओं के संचालन को लेकर विवाद खत्म हो चुका है। रविवार को कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी ने संवाददाताओं से बातचीत में स्पष्ट किया कि पौष पूर्णिमा वाले दिन जिन घाटों से नौकाएं चलाई गईं, मौनी अमावस्या पर भी नौकाएं वहीं से चलाई जा सकेंगी। नौकाओं के संचालन पर कोई रोक नहीं रहेगी।