वैसे तो 15 अगस्त 1947 का दिन भारत के ऐतिहासिक दिनों में से एक है लेकिन इस दिन से जुड़ी कुछ ऐसी भी बातें हैं जिसके बारे में हर शख्स नहीं जानता है। इस दिन जहां एक ओर देश में
आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तो वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जिन्होंने स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने के लिए और दूसरे वजहों से
भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इन राज्यों में त्रावणकोर, जोधपुर,
भोपाल, हैदराबाद और जूनागढ़ शामिल थे।
राष्ट्रवादी नेताओं के लिए सपना सच होने जैसा था ये दिन
15 अगस्त यानी आजादी का दिन भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के शब्दों में आज ही के दिन भारत आजादी के साथ जीवन जीने के लिए जागा था। हालांकि आजादी का यह दिन जहां एक तरफ राष्ट्रवादी नेताओं के लिए सपना सच होने जैसा था तो वहीं कुछ लोगों के लिए काफी अलग था।
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आपको बता दें कि आजादी के बाद 5 राज्य ऐसे भी थे जिन्होंने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इनमें से कुछ का सपना स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने का था तो वहीं दूसरे राज्य पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहते थें। आज हम आपको ऐसे ही पांच राज्यों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने विभिन्न वजहों से आजादी के समय में भारत से हाथ मिलाने से मना कर दिया था।
त्रावणकोर
आजादी के वक्त दक्षिण भारतीय समुद्री तट पर स्थित त्रावणकोर पहला ऐसा राज्य था जिसने भारतीय गणराज्य में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही उसने देश में कांग्रेस के नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। दरअसल यह राज्य सीधे तौर पर समुद्री व्यापार से जुड़ा हुआ था, साथ ही मानव और खनिज संसाधनों से धनी भी था।
जोधपुर
हिंदू बाहुल्य राज्य और हिंदू शासक होने के बावजूद जोधपुर का भारत में शामिल होने से इनकार करना उन दिनों काफी अजीब मामला था। दरअसल पाकिस्तान के बॉर्डर पर होने के कारण जोधपुर के राजा को पाक पीएम ने कई ऑफर दिए थे। जिसके बाद जोधपुर के राजा ने पाकिस्तान में शामिल होने का मन बनाया। इस बात की जानकारी जब वल्लभ भाई पटेल को हुई तो उन्होंने जोधपुर के राजा से बात की और मामले को सुलझाया।
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भोपाल
त्रावणकोर और जोधपुर के साथ ही भोपाल भी खुद को एक स्वतंत्र राज्य बनाना चाहता था। हिंदू बाहुल्य राज्य होने के बावजूद भोपाल पर मुस्लिम शासक हामिदुल्लाह खान शासन करता था। मुस्लिम लीग के करीबी रहे हामिदुल्लाह ने उस समय कांग्रेस के शासन का कठोर विरोध किया था।
हैदराबाद
आजादी के बाद हैदराबाद को भारत में शामिल करना दूसरे रियासतों की तुलना में काफी महत्वपूर्ण और जटिल चुनौती थी। जब ब्रिटिश शासक भारत छोड़कर जा रहे थे तो हैदराबाद के निजाम मिर उस्मान अली स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने की मांग पर अड़ गए थे।
जूनागढ़
15 अगस्त 1947 यानी देश की आजादी के दिन हैदराबाद के अलावा देश का एक और राज्य ऐसा था जो भारत में शामिल होने का प्रबल तौर पर विरोध कर रहा था औऱ वो राज्य था गुजरात का जूनागढ़.।आपको बता दें कि जूनागढ़ काठियावाड़ राज्यों के समूह में काफी महत्वपूर्ण राज्य था।
वैसे तो 15 अगस्त 1947 का दिन भारत के ऐतिहासिक दिनों में से एक है लेकिन इस दिन से जुड़ी कुछ ऐसी भी बातें हैं जिसके बारे में हर शख्स नहीं जानता है। इस दिन जहां एक ओर देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तो वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जिन्होंने स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने के लिए और दूसरे वजहों से भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इन राज्यों में त्रावणकोर, जोधपुर, भोपाल, हैदराबाद और जूनागढ़ शामिल थे।
राष्ट्रवादी नेताओं के लिए सपना सच होने जैसा था ये दिन
15 अगस्त यानी आजादी का दिन भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के शब्दों में आज ही के दिन भारत आजादी के साथ जीवन जीने के लिए जागा था। हालांकि आजादी का यह दिन जहां एक तरफ राष्ट्रवादी नेताओं के लिए सपना सच होने जैसा था तो वहीं कुछ लोगों के लिए काफी अलग था।
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आपको बता दें कि आजादी के बाद 5 राज्य ऐसे भी थे जिन्होंने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इनमें से कुछ का सपना स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने का था तो वहीं दूसरे राज्य पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहते थें। आज हम आपको ऐसे ही पांच राज्यों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने विभिन्न वजहों से आजादी के समय में भारत से हाथ मिलाने से मना कर दिया था।
त्रावणकोर
आजादी के वक्त दक्षिण भारतीय समुद्री तट पर स्थित त्रावणकोर पहला ऐसा राज्य था जिसने भारतीय गणराज्य में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही उसने देश में कांग्रेस के नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। दरअसल यह राज्य सीधे तौर पर समुद्री व्यापार से जुड़ा हुआ था, साथ ही मानव और खनिज संसाधनों से धनी भी था।
जोधपुर
हिंदू बाहुल्य राज्य और हिंदू शासक होने के बावजूद जोधपुर का भारत में शामिल होने से इनकार करना उन दिनों काफी अजीब मामला था। दरअसल पाकिस्तान के बॉर्डर पर होने के कारण जोधपुर के राजा को पाक पीएम ने कई ऑफर दिए थे। जिसके बाद जोधपुर के राजा ने पाकिस्तान में शामिल होने का मन बनाया। इस बात की जानकारी जब वल्लभ भाई पटेल को हुई तो उन्होंने जोधपुर के राजा से बात की और मामले को सुलझाया।
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भोपाल
त्रावणकोर और जोधपुर के साथ ही भोपाल भी खुद को एक स्वतंत्र राज्य बनाना चाहता था। हिंदू बाहुल्य राज्य होने के बावजूद भोपाल पर मुस्लिम शासक हामिदुल्लाह खान शासन करता था। मुस्लिम लीग के करीबी रहे हामिदुल्लाह ने उस समय कांग्रेस के शासन का कठोर विरोध किया था।
हैदराबाद
आजादी के बाद हैदराबाद को भारत में शामिल करना दूसरे रियासतों की तुलना में काफी महत्वपूर्ण और जटिल चुनौती थी। जब ब्रिटिश शासक भारत छोड़कर जा रहे थे तो हैदराबाद के निजाम मिर उस्मान अली स्वतंत्र राज्य का दर्जा पाने की मांग पर अड़ गए थे।
जूनागढ़
15 अगस्त 1947 यानी देश की आजादी के दिन हैदराबाद के अलावा देश का एक और राज्य ऐसा था जो भारत में शामिल होने का प्रबल तौर पर विरोध कर रहा था औऱ वो राज्य था गुजरात का जूनागढ़.।आपको बता दें कि जूनागढ़ काठियावाड़ राज्यों के समूह में काफी महत्वपूर्ण राज्य था।