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Supreme court frees election commission hand to fight against paid news
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सुप्रीम कोर्ट ने पेड न्यूज के खिलाफ लड़ने के लिए चुनाव आयोग को दी 'खुली छूट'
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 01 Nov 2018 10:04 AM IST
उच्चतम न्यायालय ने पेड न्यूज के खिलाफ लड़ने के लिए चुनाव आयोग को 'खुली छूट' दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के पैरा 77 वाले उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने पेड न्यूज के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से चुनाव आयोग के हाथ बांध रखे थे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ये नई रोक आने वाले विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि चुनाव के समय पेड न्यूज के मामले काफी बढ़ जाते हैं।
इससे पहले हुई सुनवाई में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कोई भी ऐसी खबर, जिसमें राजनेता अपने रिकॉर्ड और उपलब्धियों के आधार पर अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहा हो, उसे पेड न्यूज माना जाएगा।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग शीर्ष अदालत में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ पहुंचा था, जिसमें मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज के आरोपों में तीन साल के लिए अयोग्य ठहराने के आयोग के फैसले को हाईकोर्ट की एक सदस्यीय पीठ ने 18 मई को खारिज कर दिया था।
आयोग ने दावा किया था कि हाईकोर्ट पेड न्यूज के खिलाफ कार्रवाई करने की उसकी भूमिका को प्रतिबंधित करने की गलती कर रहा है। आयोग ने इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर की याचिका में कहा था कि बहुत ज्यादा प्रसार क्षेत्र वाले समाचार पत्रों में प्रत्याशियों के नाम से जारी बयानों में उनके रिकॉर्ड और उपलब्धियों की प्रशंसा करने के साथ मतदाताओं से सीधे वोट देने की अपील भी की जाती है। ऐसी खबरों को चुनाव आयोग सामान्य खबर नहीं बल्कि पेड न्यूज मानता है। याचिका में आयोग ने शीर्ष अदालत से इस मुद्दे का परीक्षण करने की अपील की थी।
आयोग ने अपनी याचिका में ये भी कहा था कि अगर 'फ्री स्पीच' की आड़ में इस तरह के जानबूझकर प्रचार वाले संबोधनों को चुनाव के समय छूट दी गई तो 'पहुंच' वाले उम्मीदवार इसका लाभ उठा लेंगे। ये वो उम्मीदवार होंगे, जो मजबूत नेटवर्क रखते हैं और मीडिया में जिनके खास संबंध हैं।
2014 में विधानसभा चुनावों में पेड न्यूज के कहां-कितने मामले
साल 2014 में महाराष्ट्र और हरियाणा समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें पेड न्यूज के काफी मामले सामने आए थे। सबसे ज्यादा हरियाणा में 212 पेड न्यूज के मामले सामने आए थे, जबकि महाराष्ट्र में 73, झारखंड में 7 और जम्मू-कश्मीर में कुल 21 पेड न्यूज के मामले सामने आए थे।
वहीं, 2015 में हुए विधानसभा चुनावों में दिल्ली में कुल 59 मामले और बिहार में 7 पेड न्यूज के मामले सामने आए थे।
ठीक इसी तरह 2016 में भी असम में 5, तमिलनाडु में 17 और पश्चिम बंगाल में पेड न्यूज का 1 मामला सामने आया था। जबकि 2017 में पंजाब में 80, उत्तराखंड में 2, उत्तर प्रदेश में 56, गुजरात में 238 और हिमाचल प्रदेश में 85 पेड न्यूज के मामले सामने आए थे। वहीं, 2018 में कर्नाटक में कुल 15 मामले पेड न्यूज के सामने आए।
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